घर से थैला लेकर जाएं बाजार, पॉलीथिन पर लगाएं जनता कर्फ्यू
जागरण संवाददाता जम्मू पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बावजूद जम्मू जिला ही नहीं पूरे जम्मू कश्मीर में इ
जागरण संवाददाता, जम्मू : पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बावजूद जम्मू जिला ही नहीं पूरे जम्मू कश्मीर में इसके इस्तेमाल में कुछ खास असर नहीं पड़ा है। ऐसे में सरकार का सिगल यूज प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने का सपना भी साकार होता नजर नहीं आ रहा। हालत यह है कि मंदिरों का शहर कहे जाने वाले जम्मू में रोजाना 400 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, जिसमें 100 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित होने के बावजूद आखिर लोग इसका इस्तेमाल क्यों नहीं बंद कर रहे हैं। सरकार ने 50 माइक्रोन के प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया और आए दिन नगर निगम की तरफ से इस मामले में कार्रवाई के लिए अभियान भी चलाए जाते हैं, फिर भी जम्मू शहर की दुकानों, रेहड़ियों और यहां तक की मंडियों में भी पॉलीथिन में ही सामान दिया जा रहा है। जानकारों की मानें तो इसकी सबसे बड़ी वजह लोगों की यह आदत है कि वे जब खरीदारी के लिए बाजार या दुकान जाते हैं तो अपने साथ बैग लेकर नहीं जाते हैं। यदि लोग ऐसा करने लगें तो काफी हद तक पॉलीथिन के इस्तेमाल पर अपने आप प्रतिबंध लग जाएगा। बस पर्यावरण संरक्षण के सपने को सच करने के लिए सही मायने में जनता की तरफ से शुरुआत करने की जरूरत है।
बड़े पैमाने पर पॉलीथिन को ठिकाने लगाना नगर निगम के लिए भी मुश्किल हो रहा है। हालांकि नगर निगम कभी-कभार अभियान चलाकर पॉलीथिन की जब्ती, जुर्माने तो करता है, लेकिन प्रभावी तरीके से कार्रवाई के अभाव में इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। दुकानदारों का तर्क है कि लोग सामान लेने तो आते हैं, लेकिन अपने साथ थैला नहीं लाते। इस कारण पॉलीथिन में सामान डालकर बेचा जाता है। दूसरी तरफ लोगों का तर्क है कि दुकानों में हर तरह का सामान प्लास्टिक पैकिग में ही मिलता है। पॉलीथिन में सामान देना बंद कर दिया जाए, तो घर से बैग लेकर सामान लेने जाएंगे। ऐसे में साफ है कि सरकार को पैकिंग में प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने के लिए गंभीर होने की जरूरत है, वहीं आम लोगों को भी समझना होगा कि जब जल-जंगल-जमीन सबकी है, तो पर्यावरण संरक्षण भी हम सबकी जिम्मेदारी है। इस समय जिस तरह से वायु और जल प्रदूषण बढ़ रहा है, ऐसे में प्रदूषण से निपटने के लिए नीचे से यानी जनता की तरफ से यदि शुरुआत हो, तो काफी हद तक समस्या से निजात मिल सकती है।
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10 से 25 किलो लिफाफे होते हैं हर दुकान में
हर रोज रेहड़ियों में पांच-छह, दुकानों में 10-15 और मंडियों में 20 से 25 किलो लिफाफे खरीदे जाते हैं। इनमें ही दुकानदार, रेहड़ी वाले सामान डालकर ग्राहकों देते हैं। यह पॉलीथिन अवैध तरीके से बाहरी राज्यों से जम्मू पहुंचता है। चोरी-छिपे इस पॉलीथिन की बिक्री की जाती है। प्रतिबंध के बावजूद पॉलीथिन की आमद पड़ोसी राज्यों से हो रही है। 70 प्रतिशत प्रतिबंधित पालिथीन ट्रकों में छिपाकर मंडियों में पहुंच रहा है। इसके बाद यह दुकानदारों, व्यापारियों के पास पहुंच रहा है। मजेदार बात यह है कि प्रतिबंधित होने के कारण पॉलीथिन की मांग अधिक हो गई है, जिसकी वजह से यह प्रिट रेट से भी दोगुने दाम पर बिक रहा है। जम्मू पहुंचने वाला पारदर्शी लिफाफे का पांच किलो साइज का पैकेट 50 रुपये व 10 किलो साइज के लिफाफों का पैकेट 90 से 100 रुपये में व्यापारियों को बेचा जा रहा है। दो किलो साइज का पैकेट 30-35 रुपये में बिकता है।
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50 माइक्रोन लिफाफे की जांच की नहीं है सुविधा
सरकार ने 50 माइक्रोन या इससे उपर के लिफाफे इस्तेमाल करने की छूट दी है। इसकी आड़ में भी धंधा जोरों पर चल रहा है। पालीथिन इस्तेमाल करने वाले दुकानदार पूछे जाने पर बताते हैं वे 50 माइक्रॉन के पॉलीथिन बैग ही इस्तेमाल करते हैं। हैरानी की बात यह है कि 50 माइक्रोन का लिफाफा है या नहीं, इसकी जांच करने वाला कोई नहीं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए कई एजेंसियां काम कर रही हैं, लेकिन उनके पास ऐसी सुविधा नहीं कि वे लिफाफों की जांच कर सकें। नियमों के मुताबिक 50 माइक्रोन से अधिक लिफाफों पर निर्माता की मुहर होती है, लेकिन प्रतिबंधित लिफाफे जो 50 माइक्रॉन से कम होते हैं, उन पर कोई स्टैंप नहीं होता। यह लिफाफा काफी महीन होता है और पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह है।
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शहर में पॉलीथिन का इस्तेमाल रोकने के लिए जम्मू नगर निगम ने प्रयास तेज किए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन को भी इस संबंध निर्देश हैं। पहले से काफी फर्क पड़ा है। 50 माइक्रोन से ऊपर के पालीथिन बैग बाजारों में ज्यादा हैं। इसकी आड़ में कई बार पालीथिन की खेप निगम की टीम जब्त कर चुकी है। पालीथिन नहीं रहेगा तो शहर की आधी गंदगी साफ हो जाएगी। इस दिशा में जम्मू नगर निगम प्रभावी कदम उठा रहा है।
-चंद्रमोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू नगर निगम