GST Evasion in Jammu: कमाए करोड़ों, दर्शाए लाखों, फिर भी नहीं भरा टैक्स
ढाबों व बेकरी पर पांच फीसद जीएसटी है और इनकी रेट लिस्ट में यह शामिल है। विभाग यहीं चाहता है कि जनता से जो टैक्स वसूला गया है वो सरकारी खजाने में जमा हो।
जम्मू, ललित कुमार। जम्मू शहर में ऐसे कई ढाबे, होटल-रेस्तरां व बेकरी की दुकानें हैं, जिनकी साल की बिक्री करोड़ों में है, लेकिन जब टैक्स जमा करवाने की बारी आती है तो वे अपनी कमाई आधे से भी कम दिखाते हैं। ये दुकानदार ग्राहकों से तो टैक्स वसूल करते हैं, लेकिन सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाते। ऐसे दुकानदारों की स्टेट टैक्सेस डिपार्टमेंट ने लंबी फेहरिस्त तैयार की है। शुरुआत में विभाग ने जम्मू शहर में 13 काउंटर चिह्न्ति करके उनकी रोजाना की बिक्री की जांच पड़ताल शुरू की। इसके लिए विभाग के दो अधिकारियों को पूरे दिन के लिए एक दुकान में तैनात किया गया है जो पूरे दिन की बिक्री का पूरा हिसाब अपने पास रख रहे हैं। विभाग ने ऐसी कार्रवाई पहली बार की है।
विभाग ने तीन जून को यह प्रक्रिया शुरू की और तीन दिन में ही हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। अब तक हुई दैनिक बिक्री के आधार पर जो आंकड़े सामने आए हैं, उसमें साफ हुआ है कि ये दुकानदार अपने दिन की आधी बिक्री भी जीएसटी रिटर्न में नहीं दर्शाते थे। कुछ तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने आज तक जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन तक नहीं करवाया था। विभागीय सूत्रों के अनुसार, अभी तक हुई पड़ताल में बिल्लू दी हट्टी गांधी नगर व पंजबख्तर रोड की रोजाना की औसतन बिक्री 45 हजार रुपये है। ऐसे में उसकी सालाना बिक्री एक करोड़ 62 लाख बनती थी, लेकिन उसने वर्ष 2018-19 में केवल 14 लाख की र्टिन दायर करते हुए टैक्स जमा करवाया। जम्मू-लखनपुर हाईवे पर स्थित जमींदारा ढाबा की दैनिक बिक्री 55 हजार रुपये पाई गई।
ऐसे में उसकी सालाना बिक्री एक करोड़ 65 लाख के करीब बनती थी, लेकिन उसने पिछले साल कम टैक्स जमा करवाया। गांधी नगर गोल मार्केट स्थित पापे दी हट्टी की दैनिक बिक्री तीस हजार रुपये पाई गई। ऐसे में उसकी सालाना बिक्री एक करोड़ आठ लाख के करीब बनती थी, लेकिन उसने पिछले साल अपनी बिक्री 26 लाख 84 हजार दर्शाई। रिहाड़ी स्थित पंजाबी ब्रदर्स की दैनिक बिक्री तीस हजार रुपये पाई गई। इसकी सालाना बिक्री करीब एक करोड़ दस लाख रुपये बनती है, लेकिन पिछले साल उसने 56 लाख रुपये बिक्री दर्शाई। इसी तरह बिग बेकर्स छन्नी हिम्मत की दैनिक बिक्री 66 हजार रुपये पाई गई। उसकी सालाना बिक्री करीब दो करोड़ 38 लाख बनती थी और उसने पिछले साल 46 लाख रुपये बिक्री दर्शाई। ये सभी दुकानदार ग्राहकों से पांच फीसद टैक्स वसूल रहे हैं, लेकिन ग्राहकों को बिल काट कर नहीं देते और न ही सरकारी खजाने में पूरा टैक्स जमा करवाते हैं। यह ककार्रवाई शहर के दूसरे काउंटरों पर भी हाोगी।
तीन दिन में पकड़ी गई चोरी : शाहिद
एडिशनल कमिश्नर, स्टेट टैक्सेज डिपार्टमेंट शाहिद सलीम ने बताया कि विभाग ने शुरू में शहर के 13 काउंटरों की निशानदेही की थी, जिनकी बिक्री हमें लगता था कि अधिक है, लेकिन वे कम दर्शाते हैं। तीन दिन में ही लाखों रुपये की टैक्स चोरी सामने आ गई है। हमने जून महीने का चयन भी सोच-समझ कर किया, क्योंकि इस महीने में खाने-पीने की दुकानों का काम साल में सबसे कम होता है। हम इन काउंटरों की न्यूनतम बिक्री का आकलन करना चाहते थे। अब इन 13 काउंटरों पर आठ जून तक पड़ताल जारी रहेगी। छह दिनों की बिक्री का औसत निकाला जाएगा और दैनिक औसतन बिक्री को मापदंड बना दिया जाएगा। यह प्रक्रिया अन्य जिलों में भी जारी है। विभाग किसी तरह से व्यापारियों को परेशान नहीं करना चाहता। ढाबों व बेकरी पर पांच फीसद जीएसटी है और इनकी रेट लिस्ट में यह शामिल है। विभाग यहीं चाहता है कि जनता से जो टैक्स वसूला गया है, वो सरकारी खजाने में जमा हो।
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