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अजमत बीबी ने भरी अंतरराष्ट्रीय उड़ान, कराटे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता

तहसील सुंदरबनी के गांव मावा की रहने वाली बीस वर्षीय अजमत पुत्री मुहम्मद इकबाल ताइक्वांडों व वुशु में अपना भविष्य संवरना चाहती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 11:47 AM (IST)
अजमत बीबी ने भरी अंतरराष्ट्रीय उड़ान, कराटे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता
अजमत बीबी ने भरी अंतरराष्ट्रीय उड़ान, कराटे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता

एनके शर्मा, सुंदरबनी : अगर दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो सफलता खुद ही उसके कदमों को चूमती है। यह पंक्ति सुंदरबनी की छात्रा अजमत बीबी पर सटीक बैठती है। पर्याप्त सुविधाएं न मिल पाने के बावजूद अजमत ने कराटे प्रतियोगिता में पहले जिला फिर राज्य स्तर आैर उसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पदक जीतकर क्षेत्र का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया है।

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तहसील सुंदरबनी के गांव मावा की रहने वाली बीस वर्षीय अजमत पुत्री मुहम्मद इकबाल ताइक्वांडों व वुशु में अपना भविष्य संवरना चाहती है। अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच चरण सिंह सलाथिया को देते हुए अजमत ने कहा कि वह जब छठी कक्षा में थी तो उनके कोच एक निजी हायर सेकेंडरी स्कूल में कराटे का प्रशिक्षण देने के लिए आते थे। उन्हें देख उसमें भी कराटे सीखने की ललक जगी। तब से लेकर आज तक इस पथ पर आगे बढ़ रही हूं। अजमत ने बताया कि उन्होंने गत एक दिसंबर को साउथ अफ्रीका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया। साउथ अफ्रीका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में भाग लेकर सुंदरबनी पहुंचने पर लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया।

सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

अजमत बीवी ने कहा कि उनके इलाके में न तो कोई इंडोर मैदान है आैर न ही सरकार व प्रशासन द्वारा कोई सुविधा मुहैया करवाई जाती है। इससे सरकार एवं प्रशासन के खिलाफ काफी रोष व्याप्त है। विदेश में आयोजित कराटे प्रतियोगिता में कांस्य पदक लेकर सुंदरबनी लौटने के पांच दिन के बाद भी उनसे कोई उनका हाल पूछने नहीं आया। अजमत ने सरकार और स्थानीय प्रशासन से सुंदरबनी में भी बेहतर खेल सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की है।

आर्थिक संकट से जूझ रही अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी

अजमत बीवी ने कहा कि उनके पिता 20 साल पहले ही सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं। ऐसे में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं। इंडोर हॉल के अभाव में वह स्कूल के मैदान में रोजाना अभ्यास कर रही हैं, ताकि उनका सपनों साकार हो सके। उन्होंने अपने कोच और परिजनों को अपना सारथी बताया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को बाहर निकलने पर पाबंदी है, लेकिन मुझे आगे बढ़ने से किसी  ने नहीं रोका। परिजनों के साथ ही हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी समुदाय के लोगों ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सहयोग किया।

जीत चुकी हैं कई मेडल

अजमत बीवी ने अब तक नौ स्वर्ण पदक जीते हैं। इसके अलावा उन्होंने राज्य स्तर पर भी 8 गोल्ड और 3 सिल्वर पदक जीते हैं। इसके अतिरिक्त के छोटे-मोटे मेडल सहित सैकड़ों प्रशस्ति पत्र भी हासिल कर चुकी हैं।


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