आतंक की कोर्ट में सुहैरा का गोल, कश्मीर में फुटबॉल एकेडमी खोलने वाली सबसे युवा कोच
सुहैरा ने बताया कि जब वह दूसरी कक्षा में पढ़ती थी तभी से उसने फुटबॉल खेलना शुरू किया। तब से लेकर आज तक फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
जम्मू, विकास अबरोल। फौलादी इरादे के सामने कोई परिस्थिति बुलंदी तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। यह साबित कर दिया कश्मीर की बेटी सुहैरा अशरफ ने। कट्टरपंथी सोच को दरकिनार करते हुए आतंक के कोर्ट में सुहैरा ने मजबूत इरादे का शानदार गोल दागा है। उसने मात्र 20 वर्ष की आयु में कश्मीर फुटबाॅल एकेडमी खोलकर प्रदेश में फुटबॉल एकेडमी खाेलने वाली सबसे कम उम्र की पहली महिला कोच बनने का कीर्तिमान स्थापित किया। यह एकेडमी लड़कियों और लड़कों की प्रतिभा को साथ-साथ तराशने वाली प्रदेश की पहली एकेडमी बन गई।
श्रीनगर के ईदगाह में खेली गई कश्मीर फुटबॉल एकेडमी में जूनियर वर्ग के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे आगे चलकर पहले प्रदेश और फिर देश के लिए खेल सकें। श्रीनगर शहर के कमरवाड़ी की रहने वाली सुहैरा ने बताया कि वह इस समय जम्मू-कश्मीर की स्टेट फुटबॉल एकेडमी में पिछले दो वर्षों से कोच के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। अब उन पर दोहरी जिम्मेदारी बढ़ गई है लेकिन वह इससे हार मानने वाली नहीं हैं। चूंकि फुटबॉल उनका बचपन से ही मनपसंदीदा खेल रहा है इसलिए अगर पूरा दिन वह इस खेल में व्यस्त भी रहे तो गम नहीं। कम से कम उन्हें इस बात की खुशी है कि वह प्रदेश के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में योगदान दे रही हैं।
दूसरी कक्षा से ही फुटबॉल खेल रही सुहैरा: सुहैरा ने बताया कि जब वह दूसरी कक्षा में पढ़ती थी तभी से उसने फुटबॉल खेलना शुरू किया। तब से लेकर आज तक फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिछले 10 वर्षों में कश्मीर सहित महाराष्ट्र, मणिपुर, गुड़गाव और हरियाणा सहित अन्य राज्यों में आयोजित कई फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग लेती आई हैं लेकिन अब अब उनमें प्रदेश के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने की ललक जागी है। इसी को पूरा करने के लिए उन्होंने कश्मीर फुटबॉल एकेडमी खोली है।