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रचनाधर्मियों के संघर्ष की कहानी बयां करता है नाटक 'दो कलाकार'

जागरण संवाददाता जम्मू नटरंग संडे थियेटर श्रृंखला में भगवती चरण वर्मा के लिखे नाटक दो कला

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 08:34 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 08:34 AM (IST)
रचनाधर्मियों के संघर्ष की कहानी बयां करता है नाटक 'दो कलाकार'
रचनाधर्मियों के संघर्ष की कहानी बयां करता है नाटक 'दो कलाकार'

जागरण संवाददाता, जम्मू : नटरंग संडे थियेटर श्रृंखला में भगवती चरण वर्मा के लिखे नाटक दो कलाकार का मंचन किया गया। नीरज कांत के निर्देशन में मंचित नाटक दो कलाकार में एक कवि और एक चित्रकार दो प्रमुख पात्र हैं। इन दो पात्रों को केंद्र में रखकर देश के कलाकारों के जीवन की विडंबना का वर्णन किया गया है। नाटक में मुहावरेदार भाषा और कलाकारों की संवाद शैली दर्शकों को गुदगुदाने में सफल रही। नाटक के माध्यम से कलाकारों के संघर्ष को दिखाने का प्रयास किया गया है। नाटक को बडे़ कलात्मक ढंग से पेश किया गया।

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नाटककार ने उन रचनात्मक लोगों के दुखद भाग्य को खूबसूरती से चित्रित किया है, जो अपनी प्रतिभा के दम पर दुनिया की हकीकत को समझे बिना, आकाश छूना चाहते हैं।

नाटक में चूडामणि और मार्तड दो दोस्त हैं। दोनों कलाकार एक कवि और दूसरा चित्रकार हैं, जिन्होंने एक बार अपनी संबंधित रचनात्मक शक्तियों के साथ बॉलीवुड पर राज करने की आकांक्षा की थी। कवि ने शीर्ष हिदी फिल्म गीतकार बनने का सपना देखा था। चित्रकार ने खुद के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया था। नियति उन्हें ऐसी स्थिति में ले जाती है, जहां दोनों को अपने सृजनात्मक ऊर्जा का उपयोग मालिक मकान को किराया न दे पाने के कारण झूठ बोलने पर लगाना पड़ता है। केवल जीवित रहने के लिए उनकी रचनात्मकता को बर्बाद करते हुए दिखाया गया है। नाटक एक ऐसी स्थिति में खुलता है, जहां कवि और चित्रकार दोनों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया है। मकान मालिक द्वारा उनसे किराया लेने के लिए दौरा किया जा रहा है।

दोनों अपने रचनात्मक दिमाग का आश्रय लेते हैं और मकान मालिक को प्रभावित करने के लिए अत्यधिक तार्किक बहाने बनाना शुरू करते हैं, ताकि वह उन्हें तब तक मकान से न निकाले जब तक उन्हें काम नहीं मिलता।

दोनों उसे इस हद तक सपने दिखाते हैं कि उनके लिए किराए पर दिया गया कमरा एक बार एक संग्रहालय बन जाएगा। मालिक मकान उनकी कोई नहीं सुनता और उनका सामान उठा कर घर के बाहर फेंक देता है। कवि और चित्रकार दोनों को इस समय यह अहसास होता है कि हमारी पीठ पर हजार साल की सभ्यता होने के बावजूद यह दुनिया रचनात्मक लोगों के लिए नहीं है। नाटक में गोपी शर्मा ने चूडामणि की भूमिका निभाई। मार्तंड के रूप में चिराग आनंद, आदेश धर, आकाश भट ने अपनी भूमिका से न्याय किया। संयोजन मोहम्मद यासीन ने किया। संचालन काननप्रीत कौर ने किया।


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