Jammu Kashmir: निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने के लिए राजनीतिक दलों में जोर आजमाइश
सोमवार को जिला मुख्यालयों में संबंधित डिप्टी कमिश्नर जिला विकास परिषद के सदस्यों को शपथ दिलाएंगे। परिषद में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है।ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उम्मीदवार विजयी होने के बाद दूसरी पार्टी में शामिल नहीं हो सकता है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । जिला विकास परिषद के चुनाव के नतीजे आने के बाद परिषदों में अपना चेयरमैन बनाने के लिए जोड़ तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने साथ मिला कर परिषद में बहुमत जुटाने के लिए सारी पार्टियों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है। जिला विकास परिषद के चुनाव आठ चरणों में हुए है। सोमवार को जिला मुख्यालयों में संबंधित डिप्टी कमिश्नर जिला विकास परिषद के सदस्यों को शपथ दिलाएंगे। परिषद में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है।
भाजपा को 75, नेशनल कांफ्रेंस को 67, पीडीपी को 27, कांग्रेस को 26, जम्मू कश्मीर अपनी पाअीर् को 12, जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस को 8, माकपा को 5, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट को 3, पैंथर्स पार्टी को 2, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रन्ट को 2 और बसपा को 1 सीट मिली है। मजेदार यह है कि 50 निर्दलीय विजयी होकर सामने आए है जो किसी भी पार्टी को बहुमत साबित करने या गणित बिगाड़ने के लिए काफी है। जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा, ऊधमपुर, कठुआ और डोडा में तो बहुमत भाजपा के पक्ष में है मगर कश्मीर की कई सीटों पर निर्दलीयों का दबदबा हो गया है। निर्दलीयों के साथ आने के बिना कई जिला परिषद का गठन संभव नहीं होगा। गत दिवस शनिवार को जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी में एक महिला निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हो गई है। शोपियां की निर्दलीय उम्मीदवार बिलकीस जान ने निर्दलीय उम्मीदवार को चुनाव में हराया था और उन्होंने अल्ताफ बुखारी की उपस्थिति में जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी का दामन थाम लिया। इसके लिए नेशनल कांफ्रेंस के उप प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला काफी भड़के हुए नजर आए। उन्होंने खरीद फरोख्त का आरोप लगाते हुए यह भी कह डाला कि शोपियां में चुनाव लड़े उम्मीदवारों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।
जिला विकास परिषद के चुनाव में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उम्मीदवार विजयी होने के बाद दूसरी पार्टी में शामिल नहीं हो सकता है। कश्मीर केंद्रित पार्टियां यह आरोप लगा रहा है कि जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी की मदद करके भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिशें हो रही है। श्रीनगर जिला में 14 सीटों में किसी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है। वहां पर सात सीटें तो निर्दलीय ही ले गए है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की कोशिश निर्दलीयों को अपने साथ मिला कर परिषदों पर कब्जा करने की है। आने वाले कुछ ही दिनों में और निर्दलीय राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलेंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और अपनी पार्टी की कोशिशें भी जारी है।