Mothers Day 2020 : संक्रमित बच्चों की देखभाल के लिए अपनी बिटिया से रहीं दूर
जम्मू के कोविड अस्पताल गांधीनगर की स्टाफ नर्स अमनमीत कौर है। उसकी ड्यूटी अस्पताल के नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट में है।
जम्मू, रोहित जंडियाल । मां शब्द ऐसा है जिसके सामने कोई भी बच्चा हो, उसे वह अपने बच्चे जैसा ही प्यार देती है। इस समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से संक्रमित है तो कई ऐसी माताएं भी हैं जो कि अपने बच्चों को घरों में छोड़कर कई दिनों से उनसे दूर होकर संक्रमित बच्चों व अन्य के इलाज में जुटी हुई हैं। इनकी दिनचर्या अस्पताल से होटल और होटल से फिर अस्पतालों तक में सिमट कर रह गई है। अपने बच्चों के साथ वे सिर्फ फोन पर ही बातें करती हैं और वीडियो काल से उन्हें निहार लेती हैं।
कोविड-19 के मरीजों के इलाज में जुटी है अमनमीत कौर
जम्मू के कोविड अस्पताल गांधीनगर की स्टाफ नर्स अमनमीत कौर है। उसकी ड्यूटी अस्पताल के नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट में है। जम्मू के चट्ठा क्षेत्र में रहने वाली अमनप्रीत कौर पर अपनी पंद्रह साल की बेटी की पूरी देखभाल की जिम्मेदारी भी है। उसकी ड्यूटी कोविड के मरीजों की देखभाल में मार्च महीने में ही लग गई लेकिन जब अस्पताल में मरीज आना शुरू हुए तो 19 अप्रैल के बाद उन्हें घर जाने की भी इजाजत नहीं मिली। अस्पताल में मरीजों की देखभाल करने के बाद उन्हें सीधा होटल में जाना पड़ता था। संयोगवश संक्रमित हुए चार बच्चे भी इसी अस्पताल में भर्ती हुए। उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी अमनमीत और उनकी अन्य स्टाफ सदस्यों को सौंपी गई। यह सब आसान नहीं था। घर में बच्ची की देखभाल और अस्पताल में संक्रमित बच्चों की देखभाल एक साथ करना बहुत मुश्किल था। उन्होंने अपनी बच्ची को अपनी मां के पास छोड़ा और खुद इन बच्चों की तीमारदारी में जुट गई। दिन भर अस्पताल में बच्चों की देखभाल करने के बाद जब अपने होटल के कमरे में पहुंचती थी तो फोन करके सबसे पहले अपनी बेटी के साथ बात करती थी।
बेटी को मां के पास रखा, खुद संक्रमित बच्चों की सेवा की
अमनमीत ने बताया कि यह सब कुछ आसान नहीं था। बेटी से मिलने का बहुत मन करता था। उससे वीडियो काल करके देख लेती थी। उसकी पढ़ाई से लेकर खाने तक के बारे में पूरी जानकारी लेनी होती थी। उसे उसकी नानी के पास छोड़ा था। उसे बेशक नानी भी मां की प्यार दे रही थी लेकिन बेटी से दूर रहना आसान नहीं होता। पहले वह कभी भी इतने दिन बेटी से दूर नहीं रही। अस्पताल में जो बच्चे भर्ती थे। उनकी हर फरमाइश पूरी करनी पड़ती थी। एक बच्ची तो छह महीने की थी। एक छह साल और एक बारह साल की बच्ची भी थी। कभी चाकलेट खाने की फरमाइश होती थी तो कभी टाफी। सब कुछ उन्हें भी अपने बच्चों की तरह ही उपलब्ध करवाना होता था। जब यह बच्चे ठीक होकर घरों को रवाना हुए दिल को सुकून पहुंचा। 21 दिनों के बाद अमनमीत शनिवार शाम को जब अपने घर पहुंची तो उसकी बेटी भी स्वागत करने के लिए खड़ी थी। बेटी ने गले लग कर मां से प्यार किया। वह पल भी भावूक करने वाले थे।
होटलों में रूके हैं कई डाक्टर, पैरामेडिकल कर्मी
जम्मू के होटलों में इस समय कई डाक्टर, पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के सदस्य रह रहे हें। यह अपने बच्चों, अपनी माताओं से दूर हैं। उनके साथ सिर्फ फोन पर ही बात हो रही है या फिर वीडियो काल से उनके चेहरे देख लते हैं। उनका कहना है कि यह समय अपने बच्चों या मां के साथ बिताने के स्थान पर कोविड के मरीजों के इलाज में जुट जाने का है। अब रविवार को होटल से बेटे अपनी मां को और मां अपने बच्चों को मुबारकबाद देंगे।