कश्मीर के कई ऐसे उत्पाद जिनकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मांग है
जम्मू-कश्मीर से पशमीना शाल, सिल्क, ऊनी वस्त्रों व बसोहली पेंटिंग समेत कई ऐसे उत्पाद है जिनकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मांग है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। राज्य सरकार की योजना धरी की धरी रह गई। कश्मीर के पश्मीना शाल, बसोहली की खूबसूरत पेंटिंग और हथकरघा के अन्य उत्पादों को ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध करवाने की योजना बनाई थी, लेकिन इस दिवाली पर ऐसा नहीं हो पाया।
सरकार ने सितंबर में ऑनलाइन पोर्टल ऐमेजान के कार्यकारी अधिकारियों व स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर इस प्रस्ताव को मंजूर दी थी। तय योजना अनुसार ऐमेजान पर जम्मू-कश्मीर के उत्पादों के लिए अलग से सेक्शन बननी थी। इसका उद्देश्य राज्य के कारीगरों को ऑनलाइन बिक्री के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराना था। ऐसा दावा किया था कि इस साल दिवाली पर देश-विदेश के लोग जम्मू-कश्मीर के हथकरघा उत्पादों को ऑनलाइन खरीद पाएंगे।
समय पर यह समझौता नहीं हो पाया। इसके लिए उद्योग व वाणिज्य विभाग ने ऐमेजान के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने थे। ऐसी कोशिश थी कि दिवाली से पहले यह समझौता हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और राज्य के स्थानीय कारीगरों को स्थानीय बाजार पर ही निर्भर रहना पड़ा। यूं तो अपने स्तर पर राज्य की कई कंपनियां स्थानीय उत्पादों को आनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध करवा रही है।
यह पहला मौका था, जब सरकार ने भी मार्केट के बदलते ट्रेंड को देखते हुए सरकारी स्तर पर ऑनलाइन मार्केट में कदम रखना था। जम्मू-कश्मीर से पशमीना शाल, सिल्क, ऊनी वस्त्रों व बसोहली पेंटिंग समेत कई ऐसे उत्पाद है जिनकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मांग है। इस मांग को पूरा करने के साथ बिचौलियों को बाहर निकालने के उद्देश्य से सरकार ने यह पहल की ताकि कारीगरों को नया बाजार मिलने के साथ उनके मुनाफे में भी वृद्धि हो सके। इसके पीछे मुख्य कारण पुश्तैनी कारीगरी को प्रोत्साहित करने के साथ उनकी आमदनी बढ़ाना भी है। समय पर कार्रवाई न होने के कारण सीजन में यह सपना पूरा नहीं हो पाया।
उद्योग व वाणिज्य विभाग के प्रमुख सचिव शैलेंद्र कुमार के मुताबिक ऐमेजान के साथ समझौता करने की दिशा में काम हो रहा है और बहुत जल्द विभाग इस प्रक्रिया को पूरा करके कारीगरों को बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध करवाएगा।