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Jammu Kashmir : खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम तो बन रहे पर नहीं हैं कोच

खेलों को बढ़ावा देने के बडे़-बडे़ दावे करने वाली जम्मू-कश्मीर खेल परिषद स्टेडियम और दूसरी ढांचागत सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षकों की कमी लगातार बनी हुई है। खेल परिषद 50 प्रतिशत प्रशिक्षकों की कमी से जूझ रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 10:51 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 10:51 AM (IST)
Jammu Kashmir : खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम तो बन रहे पर नहीं हैं कोच
जम्मू और श्रीनगर शहर को छोड़ दे तो दूसरे लगभग सभी सेंटरों एवं नए बने स्टेडियमों में प्रशिक्षकों की कमी।

जम्मू, जागरण संवाददाता। खेलों को बढ़ावा देने के बडे़-बडे़ दावे करने वाली जम्मू-कश्मीर खेल परिषद स्टेडियम और दूसरी ढांचागत सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षकों की कमी लगातार बनी हुई है। अभी भी खेल परिषद 50 प्रतिशत प्रशिक्षकों की कमी से जूझ रही है।

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जम्मू और श्रीनगर शहर को छोड़ दे तो दूसरे लगभग सभी सेंटरों एवं नए बने स्टेडियमों में प्रशिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसा तब है जब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रधानमंत्री विकास पैकेज से खेलों के विकास के लिए दो सौ करोड़ की मंजूरी मिली हुई है।वर्ष 2017 के रिकार्ड अनुसार विभाग के पास 88 कोच होने चाहिए लेकिन इस समय 45 प्रशिक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है।खेल परिषद के साथ 52 खेल पंजीकृत हैं। हर खेल का कम से कम हर जिले में एक कोच तो होना ही चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जूनियर कोच की श्रेणी में कुल पद62 हैं लेकिन, विभाग में वर्तमान में 21 कोच हैं।कुल वरिष्ठ कोच के पद 18 हैं, लेकिन विभाग के पास आठ ही वरिष्ठ कोच हैं।वर्ष 2017 में खेल परिषद में 88 कोचों की स्वीकृति मिली थी।कुल आठ मुख्य प्रशिक्षकों में से दो एथलेटिक्स, एक-एक बास्केटबाॅल, क्रिकेट, बाॅलीबाल, हाकी, फुटबाल और जिम्नास्टिक का है। इसी तरह सीनियर वर्ग में, दो प्रशिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद कुल 18 में से 16 कोच ही हैं, जिनमें दो वॉलीबॉल, दो एथलेटिक, दो खो-खो, दो हॉकी, दो भारोत्तोलन जबकि बॉक्सिंग, फुटबॉल, बास्केटबॉल, क्रिकेट, जिम्नास्टिक और जूडो का एक-एक कोच है।

जूनियर श्रेणी में एक अधिकारी ने कहा कि जूडो में छह कोच हैं।जिम्नास्टिक्स में दो, फुटबॉल और हॉकी में तीन-तीन जबकि तबारबाजी, हैंडबॉल, एथलेटिक, तैराकी, क्रिकेट, थांगता, मुक्केबाजी और योग का एक-एक कोच है।वहीं योग के एक कोच का निधन होने के बाद से रिक्त पड़ा हुआ है।वहीं वर्ष 2019 से अब्दुल क्यूम की सेवानिवृत्ति ये मुख्य खेल अधिकारी का पद भी रिक्त पड़ा हुआ है।तीन खेल अधिकारियों में एक इस महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश में 20 प्रबंधकों की जरूरत है लेकिन अभी तक चार ही पद भरे गए हैं।खेल परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त 56 खेल हैं, इन सभी खेलों का हर जिले में एक कोच होना चाहिए। जरूरत तो हर तहसील में इन खेलों का कोच होने की जरूरत है लेकिन हालत यह है कि सभी जिलों में भी कोच नहीं हैं।

भारतीय स्केटिंग टीम के पूर्व कप्तान आर्यवीर सिंह ने कहा कि मात्र स्टेडियम बना देने से खेलों का प्रोत्साहन नहीं हो सकता। जब तक ब्लाक लेबल पर कोच नहीं होंगे खेलों और खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। ज्यादा नहीं तो इतना तो होना ही चाहिए कि जिस खेल की यहां जितनी संभावना हो उसे देखते हुए प्रशिक्षकों की नियुक्तियां हों।ज्यादा नहीं तो जितने पदों की मंजूरी मिली हुई है। उतनी नियुक्ति तो होनी ही चाहिए ताकि पेशेवर खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को रोजगार मिले और दूसरे खिलाड़ी भी उन्हें देखकर प्रोत्साहित हों। जम्मू-कश्मीर खेल परिषद के सचिव नसीम चौधरी ने भी माना की प्रशिक्षकों की कमी है। कोशिश है कि जल्द प्रशिक्षकों के पदों नियुक्ति हो। कुछ मामले उच्च न्यायालय में होने के कारण भी भर्ती नहीं हो पा रही है।


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