जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के नारको टेररिज्म का जाल तोड़ेगी एसटीएफ
जम्मू कश्मीर पुलिस ने वर्ष 2018 में मादक तस्करी के 3600 मामले दर्ज किए जो 2017 की तुलना में बहुत अधिक हैं।
जम्मू, दिनेश महाजन। जम्मू कश्मीर में युवाओं को नशे का आदी बनाने वाले अब पुलिस के शिकंजे से बच नहीं पाएंगे। पाकिस्तान की शह पर राज्य में फैलाए गए नारको टेररिज्म के जाल को तोड़ने के लिए राज्य गृह विभाग ने पहली बार स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की विशेष सेल बनाना शुरू कर दिया है। इसे राज्य के सभी जिलों में सक्रिय किया जाएगा। जिला स्तर पर बनाए जा रहे इस विशेष सेल में एसपी रैंक के अधिकारी की देखरेख में 30 से 40 पुलिस अधिकारी शामिल होंगे। इसमें शामिल पुलिस अधिकारी किसी पुलिस थाने की हद तक सीमित नहीं रहेंगे। मादक पदार्थो की तस्करी से जुड़ा मामला जिले के किसी भी पुलिस थाने में दर्ज हो, लेकिन उसकी जांच एसटीएफ के सदस्य करेंगे।
दरअसल, पुलिस थानों में अन्य आपराधिक मामलों की जांच के अलावा कानून व्यवस्था को बनाए रखने की चुनौतियां रहती हैं। इसके कारण थानों में तैनात पुलिस कर्मी नशे की तस्करी से जुड़े मामलों की जांच गंभीरता से नहीं कर पाते। एसटीएफ के सदस्य पकड़े गए आरोपितों से खरीद से लेकर बेचने में संलिप्त लोगों के बारे में जानकारी जुटाएंगे। इसके बाद तस्करी के जाल की तह तक जाएंगे। सभी जिलों में सेल सदस्य एक दूसरे के बीच तालमेल बनाए रखेंगे।
पंजाब की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर एसटीएफ का गठन
मादक तस्करी से निपटने के लिए पंजाब सरकार द्वारा 18 मार्च 2017 को एसटीएफ का गठन किया था। पंजाब की एसटीएफ से अनुभव लेकर राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने जम्मू कश्मीर में मादक तस्करी से निपटने एसटीएफ के गठन का फैसला लिया है। के विजय कुमार ने वर्ष 2010 में सीआरपीएफ के महानिदेशक रहते हुए चंदन तस्कर वीरप्पन को मारने की लिए भी विशेष टास्क फोर्स का गठन किया था। इसी टास्क फोर्स ने वीरप्पन को मार गिराया था।
राज्य में 80 फीसदी नशे की खेप पाकिस्तान से आ रही
राज्य में युवा पीढी को नष्ट कर रही मादक पदार्थ की खेप पाकिस्तान से इस ओर भेजी जा रही है। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर संभाग के उड़ी, कुपवाड़ा के रास्ते खेप पहुंचाई जा रही है। जम्मू संभाग में यह खेप पुंछ, राजौरी और जम्मू जिला से लगते ग्रामिण क्षेत्रों के रास्ते भेजी जा रही है।
हिमाचल व पंजाब के तस्कर हैं सक्रिय
राज्य के युवाओं को नशीली दवाइयों और अन्य प्रकार की नशे की वस्तुएं उपलब्ध करवाने के लिए हिमाचल प्रदेश व पंजाब के तस्कर सक्रिय हैं। हाल ही में एक मामले की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि हिमाचल के दो मादक तस्कर जम्मू के युवाओं को नशे की खेप उपलब्ध करवाते हैं। जांच में यह बात भी सामने आई थी कि हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब के भी तस्कर जम्मू में सक्रिय हैं।
जिला सांबा ने सबसे पहले बनाई एसटीएफ
संभाग में सांबा सबसे पहला जिला बन गया है, जिसने एसटीएफ का गठन कर दिया है। जिला सांबा की एसटीएफ एएसपी फैजल कुरैशी की देखरेख में गठित हुई है। एएसपी फैजल कुरैशी अपने साथ एसटीएफ में काम करने वाले पुलिस कर्मियों का चयन कर रहे है। वहीं, ऊधमपुर जिला पुलिस ने भी एसटीएफ के गठन की कार्रवाई को अंजाम देना शुरू कर दिया है। एएसपी ऊधमपुर राजेंद्र कटौत की देखरेख में एसटीएफ का गठन किया जा सकता है। जिला जम्मू में यह कार्रवाई अभी चल रही है। माना जा रहा है कि एएसपी हैड क्वार्टर फारूक केसर को जिले में एसटीएफ का कार्य भार सौंपा जा सकता है।
2018 में 3600 मामले किए दर्ज
जम्मू कश्मीर पुलिस ने वर्ष 2018 में मादक तस्करी के 3600 मामले दर्ज किए, जो 2017 की तुलना में बहुत अधिक हैं। 1291 लोगों को नशे की खेप के साथ दबोचा गया। उनके कब्जे से 28 किलो हेरोइन, 362 किलो चरस, 19,873 किलो डोडा चूरा बरामद हुआ। 56 तस्करों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया। वहीं, वर्ष 2019 में जिला जम्मू पुलिस की कार्रवाई की बात करे तो पुलिस कर्मियों ने आठ माह में मादक तस्करी के आरोप में 350 लोगों को पकड़ा है, जिनमें से 12 लोगों पर पीएसए लगाया गया है। तेजी से बढ़ती इन गतिविधियों ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब नारको टेररिज्म पर जोर दे रहा है।