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गोलाबारी के जख्म पर हमदर्दी का मरहम, एलओसी से सटे राजौरी-पुंछ के बुजुर्गों से लेकर बच्चों का सहारा बनी सेना

जम्मू संभाग के राजौरी और पुंछ दो ऐसे जिले हैं जिनसे सटी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाक सेना रोजाना ही गोलाबारी करती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 10:50 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 10:50 AM (IST)
गोलाबारी के जख्म पर हमदर्दी का मरहम, एलओसी से सटे राजौरी-पुंछ के बुजुर्गों से लेकर बच्चों का सहारा बनी सेना
गोलाबारी के जख्म पर हमदर्दी का मरहम, एलओसी से सटे राजौरी-पुंछ के बुजुर्गों से लेकर बच्चों का सहारा बनी सेना

राजौरी, गगन कोहली । जम्मू संभाग के राजौरी और पुंछ दो ऐसे जिले हैं, जिनसे सटी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाक सेना रोजाना ही गोलाबारी करती है। जब भी गोलाबारी हो, एलओसी से सटे सीमांत गांवों में जीवन ठहर-सा जाता है। लोग घरों से बाहर निकलने से भी कतराते हैं। पाक गोलाबारी के दौरान यह ग्रामीण पलायन कर दूसरे क्षेत्रों में नहीं जाते हैं, बल्कि गोलाबारी के साये में रहकर दिन गुजारते हैं। गोलाबारी में यहां की गलियां-सड़कें सब सूनी हो जाती हैं। हर तरफ सन्नाटा-सा पसरा होता है। ऐसे माहौल में भारतीय सेना न सिर्फ पाकिस्तान की गोलाबारी का उसे मुंहतोड़ जवाब दे रही है, बल्कि सीमांत गांवों के लोगों की हमदर्द बनकर गोलाबारी के कारण ठहर-से जाने वाले जीवन को भी रफ्तार दे रही है।

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सीमांत गांवों में लोगों की सुविधाओं के लिए सेना चला रही विशेष कार्यक्रम

सेना के जवान और अधिकारी सीमांत गांवों में जाकर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का दुख-दर्द बांट रहे हैं। उनके जीवन में बहार आए, इसके लिए कई सारे कार्यक्रम भी चल रहे हैं। कार्यक्रम में हिस्सा लेकर न सिर्फ लोगों के जीवन में सुधार हो रहा है, बल्कि उनके हौसले भी बुलंद हैं। सेना और आम लोगों के बीच की दूरी भी धीरे-धीरे कम हो रही है। सैन्य अधिकारी और जवान सीमांत ग्रामीणों को स्वरोजगार के जुडऩे के लिए प्रशिक्षण दे रही हैं। लोगों को गांव में ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले, इसके लिए चिकित्सा शिविर को आयोजन कर रहे हैं। युवाओं को सैन्य भर्ती और सरकारी नौकरियों के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गांव की महिलाओं और युवतियों को भी सशक्त करने के लिए स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है।

युवाओं को सैन्य भर्ती से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं का प्रशिक्षण

राजौरी और पुंछ जिलों के गोलाबारी प्रभावित सीमांत गांवों के युवा, जो सेना में भर्ती होने का जज्बा रखते हैं, को सेना में भर्ती होने का विशेष तौर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए समय-समय पर सेना के जवान गांवों में जाकर भर्ती प्रशिक्षण शिविर का आयोजन भी कर रही है। इसके अलावा सैन्य अधिकारी युवाओं को आइएएस, आइपीएस, एनडीए की परीक्षाओं की कोचिंग भी दे रही है, ताकि सीमांत क्षेत्रों के युवा भी प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करके, नौकरी हासिल करने के साथ अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर सकें।

तनाव व नशे से दूर रहें युवा, इसलिए खेल प्रतियोगिताएं

सीमांत गांव में रोजाना होने वाली गोलाबारी से जनजीवन के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था भी ठहर जाती है। स्कूल बंद हो जाते हैं। छात्र घरों में कैद हो जाते हैं। कई बार भविष्य की चिंता से अधिकतर युवा तनाव में चले जाते हैं। कई नशे आदि की आदतें भी पालने लग जाते हैं। ऐसे युवाओं को तनाव और नशे से दूर रखने के लिए सेना गांवों में खेल-कूद प्रतियोगिताएं करवाती है। इससे युवा तनाव और नशे से तो दूर रहते हैं, साथ ही युवाओं को अपनी खेल प्रतिभा दिखाने का भी मौका मिल जाता है। जब भी सेना खेल प्रतियोगिताओं का सीमांत गांवों में आयोजन करती है तो उसमें युवाओं की खासी भीड़ देखने को मिलती है।

घर-द्वार पर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ

गोलाबारी के कारण फैलने वाले प्रदूषण के कारण सीमांत क्षेत्र के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक कई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। अस्थमा, हृदयाघात जैसे कई बीमारियों खासकर बुजुर्गों को चपेट में ले रही हैं। ऐसे में सेना सीमांत बुजुर्गों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जानने और उन्हें उससे निजात दिलाने के लिए समय-समय पर चिकित्सा शिविर लगा रही है। इसमें सेना के चिकित्सकों के साथ दूसरे अस्पतालों के विशेषज्ञ भी लोगों की स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं। शिविर में आने वाले लोगों को समय पर ही मुफ्त दवाएं वितरित करने के साथ, जरूरी परीक्षण भी किए जा रहे हैं, ताकि लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

सिलाई-कढ़ाई के साथ बेकरी का प्रशिक्षण

गोलाबारी से प्रभावित होने वाले गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे न केवल महिलाएं कामकाजी बन रही हैं, बल्कि अपनी आर्थिकी को भी मजबूत कर रही हैं। सेना सीमांत महिलाओं के लिए सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण दे रही हैं। इसके अलावा बेकरी का प्रशिक्षण देकर उनको घर में ही रोजगार से जोड़ा जा रहा है। महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर बिस्कुट, ब्रेड के साथ अन्य बेकरी का सामान तैयार कर रही हैं, जिससे बाजार में बेचा जा रहा है।

चालक और नर्सिंग का प्रशिक्षण

पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गोलाबारी में कई लोग घायल हो चुके हैं। सेना ने यहां की महिलाओं को वाहन चालक और नर्सिंग का प्रशिक्षण भी देने लगी है, ताकि भविष्य में पाकिस्तान की गोलाबारी में अगर कोई घायल हो जाए तो महिला चालक उसे अस्पताल में पहुंचाने का काम कर सके और नर्सिंग का प्रशिक्षण लेने वाली महिला अथवा युवति प्राथमिक उपचार दे सके।


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