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पर्यटकों का आकर्षित कर रहे बर्फ से सफेद हुए लद्दाख के वन्यजीव, सर्दी में तिब्बत से लद्दाख आ जाते हैं वन्यजीव

लद्दाख का पर्यटन विभाग भी देश विदेश के फोटोग्राफरों को वन्यजीवों की फोटोग्राफी करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। गर्मी के महीनों में लद्दाख के ऊपरी इलाकों में सीमित रहने वाले वन्यजीव ठंड बढ़ने के बाद इस समय निचले इलाकों में आ रहे हैं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 03:24 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 03:24 PM (IST)
पर्यटकों का आकर्षित कर रहे बर्फ से सफेद हुए लद्दाख के वन्यजीव, सर्दी में तिब्बत से लद्दाख आ जाते हैं वन्यजीव
बर्फ की चादर पर इन वन्यजीवों को दूर से देख पाना भी संभव हो रहा है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : इन दिनों लद्दाख के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बर्फीले वन्यजीवों की काफी हलचल देखी जा रही है। इन हलचल पर्यटकों के रोमांच और उत्साह को बढ़ा रहा है। ये वन्य जीव गर्मी के दिनों में लद्दाख के ऊपरी इलाकों में रहते हैं। जब तापमान ऊपर उनके मुताबिक सामान्य से कम और नीचे का तापमान उन वन्यजीवों के मुताबिक होता है तो उनकी हलचल नीचे दिखने लगती है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए यह माकूल समय है। लिहाजा लद्दाख का पर्यटन विभाग देश और विदेश के फोटोग्राफरों को वन्यजीवों की फोटोग्राफी के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

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लेह जिले के दूरदराज पोलोनगोंगका-ला इलाके में सोकर झील की ओर जाने वाले पर्यटकों को इस समय तिब्बतन भेड़िया दिखना आम है। गर्मी के दिनों के महीनों में ये भेड़िया तिब्बत की ओर निकल जाते हैं। ऐसे इलाकों में लोगों को इन दिनों हिमालयी भूरा भालू भी दिख रहा है। अगर दूरदरज इलाकों में ट्रैकिंग करने वाले पर्यटन खुशकिस्मत रहें तो उन्हें स्नो लेपर्ड के दर्शन भी हो सकते हैं। शून्य से नीचे के तापमान में जीने वाले अधिकतर इन वन्यजीवों पर फर की दो परतें होती हैं। पहली उन्हें गर्म रखती है तो दूसरी परत बर्फ, पानी को उनके शरीर तक नहीं पहुंचने देती है।

बर्फबारी के बाद ऊपरी इलाकों से नीचे ढलाने पर आ जाने वाले वन्यजीवों में लाल लोमड़ी, नीली भेड़, लद्दाखी उरियाल, तिब्बती एंटीलोप, तिब्बती अरगाली, तिब्बती गिजेल, तिब्बती जंगली गधा, हिमालयी मरमट, लद्दाख पिका व तिब्बती खरगोश मुख्य हैं। लद्दाख के पर्यावरण विद्ध सोनम छोलडन का कहना है कि इस समय लद्दाख में विन्यजीवों को आसानी से देखा ासकता है। उनका कहना है कि अकसर खाने की तलाश में वन्यजीव उपरी इलाकों से नीचे आ जाते हैं। लद्दाख में वन्यजीवों को विचरण करने के लिए खुली जगह है। यही कारण है कि यहां पर पशु मानव टकराव के मामले बहुत कम हैं। लद्दाख वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित अभ्यारण्य है।

इसी बीच इस समय लेह में पहुंचाने पर देश के विभिन्न हिस्सों से पयर्टकों में से अधिकतर वन्यजीव प्रेमी ही हैं। कोरोना संक्रमण से उपजे हालात में इस समय विदेश पर्यटक लद्दाख में नहीं आ रहे हैं। क्षेत्र में दिसंबर माह के दूसरे पखवाड़े से ट्रैकिंग का सीजन शुरू हो जाता है। इस दौरान लद्दाख पर्यटन विभाग की ओर से भी कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ऐसे हालात में लेह के साथ कारगिल के द्रास में बर्फीले इलाकों में ट्रैकिंग करने वाले पर्यवरण लद्दाख पहुंचकर दूरदराज इलाकों की खूबसूरती को अकसर अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं।


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