जम्मू-कश्मीर के छह प्रतिशत लोगों के पास अभी भी शौचालय की सुविधा नहीं, सर्वेक्षण रिपोर्ट से हुआ खुलासा
शोपियां एकमात्र जिला है जहां शत-प्रतिशत शौचालय की सुविधा है जबकि कठुआ जिले में सिर्फ 82 प्रतिशत आबादी के पास शौचालय की सुविधा है। अन्य जिलों में भी शहरी क्षेत्रों में तो शौचालय की लगभग सभी के पास सुविधा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कमी बनी हुई है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू और कश्मीर में छह प्रतिशत आबादी के पास शौचालय की सुविधा नहीं है। दक्षिण कश्मीर का शोपियां एकमात्र जिला है, जहां शत-प्रतिशत शौचालय की सुविधा है, जबकि कठुआ जिले में सिर्फ 82 प्रतिशत आबादी के पास शौचालय की सुविधा है। अन्य जिलों में भी शहरी क्षेत्रों में तो शौचालय की लगभग सभी के पास सुविधा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कमी बनी हुई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार अनंतनाग जिले में सौ प्रतिशत शहरी आबादी और 98.4 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के पास शौचालय की सुविधा है। वहीं बडगाम में सौ प्रतिशत शहरी और 97.9 ग्रामीण, बांडीपोरा में शहरों के लिए 100 प्रतिशत और ग्रामीण के लिए 96.1 प्रतिशत जनसंख्या के पास शौचालय की सुविधा है। इसके अलावा बारामुला में 99.3 प्रतिशत शहरी और 99.9 प्रतिशत ग्रामीण, डोडा में सौ प्रतिशत शहरी और 90.7 प्रतिशत ग्रामीण, गांदरबल में सौ प्रतिशत शहरी और 98.7 प्रतिशत ग्रामीण, जम्मू में 99.3 प्रतिशत शहरी और 88.2 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के पास सुविधा है।
कठुआ में 95.8 प्रतिशत शहरी और 79.3 प्रतिशत ग्रामीण, किश्तवाड़ में सौ प्रतिशत ग्रामीण और 87.5 प्रतिशत शहरी और कुलगाम में सौ प्रतिशत शहरी और 98.4 ग्रामीणों के पास शौचालय हैं। इसी तरह कुपवाड़ा में 100 प्रतिशत शहरी आबादी के पास और 99.7 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के पास शौचालय की सुविधा है। पुलवामा में 100 प्रतिशत शहरी और 99.8 ग्रामीण, पुंछ में 100 प्रतिशत शहरी और 88.6 प्रतिशत ग्रामीण, राजौरी में 98.5 प्रतिशत शहरी और 89.5 प्रतिशत ग्रामीणों के पास यह सुविधा है।
रामबन जिले में 89 प्रतिशत शहरी और 91 प्रतिशत ग्रामीण, रियासी में 100 प्रतिशत शहरी और 83 प्रतिशत ग्रामीण, सांबा में 100 प्रतिशत शहरी और 85.3 प्रतिशत ग्रामीण, श्रीनगर 99.6 प्रतिशत शहरी आबादी और ऊधमपुर में 97.2 प्रतिशत शहरी और 90.1 ग्रामीण आबादी के पास शौचालय की सुविधा है। कुल मिलाकर 99.4 प्रतिशत शहरी आबादी और 92.5 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के पास शौचालय की सुविधा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि जिन घरों में साफ-सफाई की उचित सुविधा नहीं है, उनमें डायरिया और टायफाइड जैसी बीमारियों का खतरा उन परिवारों की तुलना में अधिक होता है, जिनके पास बेहतर स्वच्छता सुविधाएं होती हैं।