Vaishno Devi yatra: वैष्णो देवी की सुरक्षित और सुगम यात्रा के लिए श्राइन बोर्ड ने उठाया ये प्रभावी कदम
Vaishno Devi yatraवैष्णो देवी यात्रा में नहीं पड़ेगा पत्थरों से खलल। दोनों यात्रा मार्ग शेड से पूरी तरह हो जाएंगे कवर। सुरक्षित सुगम यात्रा के लिए श्राइन बोर्ड लगातार उठा रहा कदम
जम्मू, सतनाम सिंह। श्री माता वैष्णो देवी यात्रियों को पहाड़ों से गिरने वाले पत्थरों से बचाने के लिए वर्ष 2021 तक पूरे यात्रा मार्ग को शेड से ढक दिया जाएगा। फिलहाल, सात किलोमीटर यात्रा मार्ग ही शेष बचा है जिसे शेड से ढकना बाकी है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ सिमरनदीप सिंह ने कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए बोर्ड के कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है। श्राइन बोर्ड के पास अपना आपदा प्रबंधन ढांचा है। इसी के जरिये वह प्रभावी कदम उठाता है।
जम्मू के कन्वेंशन सेंटर में जल शक्ति और आपदा प्रबंधन पर आयोजित दो दिवसीय रीजनल कांफ्रेंस में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिमरनदीप सिंह ने वैष्णो देवी यात्रा के सफर, सुविधाओं और चुनौतियों के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2012-13 में आपदा प्रबंधन के लिए बोर्ड ने काम शुरू किए। इसके लिए 170 करोड़ रुपये खर्च किए गए। पहाड़ों से गिरने वाले पत्थरों को रोकने के लिए शेड बनाने का कार्य शुरू किया गया। यात्रा के दो मार्ग हैं। एक 13 किलोमीटर है और दूसरा 11 किलोमीटर है। बोर्ड ने कुल 24 किलोमीटर के क्षेत्र में 17 किलोमीटर मार्ग को शेड से कवर कर दिया है। मात्र सात किलोमीटर क्षेत्र ही शेष बचा है। साल 2021 तक पूरे क्षेत्र को शेड से कवर कर लिया जाएगा। जो शेड लगाए हैं उनमें स्पि्रंग एक्शन होता है।
पत्थर शेड पर गिरने के बाद नीचे गिर जाते हैं। इससे यात्रियों की सुरक्षा होती है। उन्होंने कहा कि श्री माता वैष्णो देवी यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को 1980 से पहले पर्याप्त सुविधाएं हासिल नहीं होती थीं। तब विकास कार्य बहुत ही सीमित थे। यात्रा मार्ग नहीं बने थे, सुविधाओं का अभाव था।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन होने के बाद सुविधाओं का सफर शुरू हुआ, जिसमें बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए सिमरनदीप ने बताया कि साल 1980 में यात्रा 13 लाख थी जो 2018 में 85 लाख तक पहुंच चुकी है।
श्री माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पहाड़ी है, साथ में जंगल है। पत्थर गिरने वाले क्षेत्र हैं, वन्य जीव क्षेत्र है। रियासी जिला में सबसे अधिक बारिश होती है। इसमें भूकंप, पहाड़ों से पत्थर गिरने, वनों में आग, तूफान जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
चट्टानों की हलचल का पता लगाएंगे
पिछले दो साल में पत्थर गिरने से किसी यात्री की मौत नहीं हुई है। चट्टानें मूव करती रहती हैं जिससे खतरा बना रहता है। चूंकि वहां पर कुछ क्षेत्र संवेदनशील हैं इसलिए रडार और अन्य उपकरणों की मदद से यह पता लगाया जाएगा कि क्या हलचल हो रही है। इससे हम पहले ही अलर्ट कर सकते हैं।