समाज की कड़वी सच्चाई दिखा गया शिव मेहता का 'संस्कार' नाटक
मौत ऐसी कड़वी सच्चाई है जो प्राणी के लिए सत्य है। एक दिन सभी को मौत आनी है। हालांकि यह भी देखने में आता है कि मरने वाले का शोक और संस्कार करने से पहले कुछ लोगों को उसकी संपत्ति पर नजर रहती है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : मौत ऐसी कड़वी सच्चाई है, जो प्राणी के लिए सत्य है। एक दिन सभी को मौत आनी है। हालांकि यह भी देखने में आता है कि मरने वाले का शोक और संस्कार करने से पहले कुछ लोगों को उसकी संपत्ति पर नजर रहती है। वे बंटवारे के लिए चिता की आग ठंडी होने का भी इंतजार नहीं कर पाते हैं। इस हकीकत को नाटक शनिवार को 'संस्कार' नाटक के माध्यम से अभिनव थियेटर में दर्शाया गया। शिव मेहता के लिखे इस नाटक का मंचन हिल थेस्पियन थिएटर ग्रुप की ओर से सुनील शर्मा के निर्देशन में किया गया।
जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित स्प्रिंग थयेटर फेस्टवल में मंचित यह नाटक एक डोगरा परिवार का ब्लैक कॉमेडी नाटक है। नाटक की शुरुआत बहुत पुरानी डोगरी रस्म से होती है, जो महिलाओं के बिलाप द्वारा की जाती थी। जिन्हें विशेष रूप से श्लोनियां गाने के लिए बुलाया जाता था।जो एक ऐसा गीत था, जिसमें मरने वाले के गुण याद आते हैं और लोग रोते हैं। नाटक परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसके सबसे बुजुर्ग सदस्यों की हाल ही में मृत्यु हो गई। राम रतन और शिव रतन मृत महिलाओं के पोते हैं, जो दाह संस्कार की तैयारी में लगे हुए हैं। उस समय तक धन, स्थिति और ईर्ष्या के कारण कई विवाद हो रहे हैं, जो श्मशान समारोह को प्रभावित कर रहे हैं।
नाटक समाज की वास्तविकता के इर्द-गिर्द घूमता है, जो दिन-प्रतिदिन बदल रहा है क्योंकि लोग अधिक से अधिक भौतिकवादी होते जा रहे हैं। लगाव की भावना और स्नेह आक्रामकता और स्वार्थ में परिवर्तित हो रहा है। नाटक में भाग लेने वाले सभी कलाकारों ने अपनी भूमिका से प्रभावित किया। नाटक में राम रतन की भूमिका जावेद गिल ने, शिवरतन की भूमिका नीरज सेठी दृष्टि राजपूत, संध्या, जान मोहम्मद, विवेक संगोत्र, अक्षित सेठ, सीता कुमारी, सुनैना, इरफाना बानो, शिव गौतम, समदेशो, अंकितो ने अपनी भूमिका से न्याय किया। संदीप ठाकुर, मोहित चौधरी, दीपक शर्मा का विशेष योगदान रहा। प्रकाश व्यवस्था अंकित शर्मा ने की। वेशभूषा विवेक संगोत्रा ने डिजाइन की।