मंगलवार से शनिदेव चलेंगे सीधी चाल
शनिदेव का काम प्रकृति में संतुलन पैदा करना है। इसलिए समस्त मानव जाति पर शनि का गहरा प्रभाव होता है। ज्योतिष के अनुसार शनि कर्म और सेवा का कारक होता है। यानी इसका सीधा संबंध आपकी नौकरी और व्यवसाय से होता है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : नवग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली ग्रह श्री शनिदेव 29 सितंबर सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर मार्गी होंगे यानी सीधी चाल चलेंगे।सन् 2020 ई. 11 मई सोमवार की सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर शनिदेव वक्री हुए थे और अब 29 सिंतबर सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर मार्गी होंगे। वक्री उल्टी चाल को कहते हैं और सीधी चाल को मार्गी कहते हैं।
शनिदेव का काम प्रकृति में संतुलन पैदा करना है। इसलिए समस्त मानव जाति पर शनि का गहरा प्रभाव होता है। ज्योतिष के अनुसार शनि कर्म और सेवा का कारक होता है। यानी इसका सीधा संबंध आपकी नौकरी और व्यवसाय से होता है। इसी वजह से शनि की चाल का असर आपकी नौकरी व व्यवसाय में सफलता और उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। इसके प्रभाव से ही मनुष्य के जीवन में बड़े बदलाव होते हैं। ये परिवर्तन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी कोई ग्रह वक्री अथवा मार्गी होता है उसका असर हर व्यक्ति एवं प्रकृति पर अवश्य पड़ता है।
श्री शनिदेव के मार्गी होने के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शनिदेव को खुश करने के लिए काली गाय की सेवा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। गरीबों, असहायों को शनिवार को काला कंबल सप्त धान्य, काले वस्त्र दान करें। शनिवार को व्रत रखें। शनिदेव के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें। एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत; शनि का दान लेने वाले को दान कर दें। शनिवार या मंगलवार को हनुमानजी को चमेली के तेल का दीप जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें। रविवार को छोड़कर शनिदेव की मूर्ति पर 43 दिन तक लगातार तेल चढाएं। हर शनिवार बंदरों और कुतों को गुड़ और काले चने खिलाएं साथ ही शनिदेव पर भी तेल के साथ काले तिल अर्पित करें। शनिवार के दिन काले वस्त्र पहनें, शमी का वृक्ष घर में लगाएं और नियमित रूप से उसकी पूजा करें।