सुरक्षा वापस लेने के फैसले पर हो पुनर्विचार : उमर
राज्य ब्यूरो जम्मू पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि अगर राज्यपाल ने राजनीतिक
राज्य ब्यूरो, जम्मू : पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि अगर राज्यपाल ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा को वापस लेने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया तो वह कोर्ट जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की सुरक्षा वापस लेने से यहां पर राजनीतिक गतिविधियां कमजोर होंगी। ऐसा लगता है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की सुरक्षा वापस लेने पर भाई-भतीजावाद अपनाया गया है। ऐसा कदम उठाते समय केंद्र या राज्य की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को नहीं देखा गया है। केवल राजनीतिक कारणों से यह कदम उठाया गया है।
गौरतलब है कि राज्य प्रशासन ने बीते बुधवार को 18 अलगाववादियों के साथ कुल 155 लोगों से सुरक्षा घटाने के साथ वापस ली थी। इनमें हाल ही में आइएएस से त्यागपत्र देने वाले डॉ. फैसल शाह और पीडीपी की युवा इकाई के प्रधान वाहिद पारा शामिल हैं। प्रधानमंत्री और कांग्रेस पर बरसे
पूर्व मुख्यमंत्री कश्मीर के विद्यार्थियों को देश के विभिन्न हिस्सों में प्रताड़ित करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस की चुप्पी पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि देश को भाजपा के विकल्प की तलाश है, उसकी बी टीम की नहीं। उन्होंने कहा कि उन्हें स्टेटसमैन की तलाश थी, लेकिन राजनीतिज्ञ ही मिले। उमर ने कहा कि उन्हें भाजपा से कोई अपेक्षा नहीं थी, लेकिन एक प्रधानमंत्री से जरूर उम्मीद थी कि वह राजनीति को एकतरफ रखते हुए इस मामले पर कुछ कहेंगे। प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर चुप तो हैं ही, लेकिन दुखद पहलू यह है कि इस मुद्दे पर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भी चुप बैठी है। उमर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से कश्मीर लौट रहे कश्मीरी विद्यार्थियों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाया जाए। हमलों के भय से वापस लौट रहे विद्यार्थियों में सुरक्षा का माहौल बनाने की जरूरत है ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो। कश्मीर के लोग कांग्रेस से भी इस मुद्दे पर दो शब्द सहानुभूति के सुनने के लिए तरस रहे हैं। आज उनकी पत्रकार वार्ता थी। हर मुद्दे पर उन्होंने बातचीत की, लेकिन कश्मीरी विद्यार्थियों को प्रताड़ित करने पर कुछ भी नहीं कहा। यह पूछे जाने पर कि क्या हमलों के पीछे भाजपा का हाथ है, इस पर उन्होंने कहा कि उनके पास इसके कोई पुख्ता सुबूत नहीं हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लें सीख
उमर ने कहा कि 27 नवंबर 2008 को जब मुंबई में आतंकी हमले हुए थे तो एक दिन बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन ¨सह राष्ट्रीय टीवी चैनल पर आए थे। उन्होंने लोगों से शांत रहने की अपील करते हुए कहा था कि कोई भी किसी विशेष जगह या धर्म के लोगों को निशाना न बनाए। पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस प्रकार की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री से सीख लेनी चाहिए थी। उमर ने कहा कि वह आज तक यह नहीं समझ पाए कि प्रधानमंत्री की प्राथमिकता क्या है। चुनावों के कारण हो रहा ऐसा
उमर ने कहा कि कश्मीरियों पर यह हमले सिर्फ चुनावों को देखकर हो रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस भी इसीलिए चुप है, इस पर उमर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ऐसा न हो। अगर ऐसा होगा तो यह देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा। देश को भाजपा का विकल्प चाहिए। उसकी बी टीम नहीं। उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दल इस पर कड़ा रुख अपनाएंगे और कश्मीरियों को प्रताड़ित नहीं होने देंगे।
ऐसे हालात में नहीं हो सकती बातचीत
उमर ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद बने हालात में पाकिस्तान से बातचीत नहीं हो सकती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री व अन्य बेशक बातचीत करने की बात कह रहे हों, लेकिन ऐसे हालात में नहीं हो सकती है। इसके लिए पाकिस्तान को पुख्ता कदम उठाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सख्त कार्रवाई करने के बयान पर उमर ने कहा कि इस समय ऐसा नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने मुंहतोड़ जवाब की बात की है, लेकिन इस समय जो हालात बने हैं, उनमें ऐसा करना मुश्किल है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भी जवाब देने की बात कही है।
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