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न हंगामा, न तामझाम, शांत माहौल में शुरू काम

जागरण ब्यूरो : जम्मू : दरबार खुलने के मौके पर जो गहमागहमी पहले नजर आती रही है वह इस बार भी

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 02:11 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 02:11 AM (IST)
न हंगामा, न तामझाम, शांत माहौल में शुरू काम
न हंगामा, न तामझाम, शांत माहौल में शुरू काम

जागरण ब्यूरो : जम्मू : दरबार खुलने के मौके पर जो गहमागहमी पहले नजर आती रही है वह इस बार भी नहीं दिखी। न सचिवालय के भीतर थी और न बाहर। सचिवालय के बाहर पुलिस और अर्धसैनिकबलों के जवानों की बड़ी संख्या में तैनाती में ही कोई फर्क नजर नहीं आया। कुछ साल पहले की बात करें तो भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार से पूर्व दरबार खुलने के पहले दिन बाहर खूब हंगामा होता था। ये विभाग हैं

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कृषि, पशुपालन, एआरआइ व ट्रेनिंग, सिविल एविएशन, सहकारिता, संस्कृति, खाद्य आपूर्ति, जनवितरण, बागवानी, कानून-न्याय एवं संसदीय मामले, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, चुनाव, एस्टेट, वित्त, गृह, वन, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, आवास एवं शहरी विकास विभाग, लोक निर्माण, युवा सेवा एवं खेल मामले, मतस्य पालन, पर्यटन, कारावास, राहत एवं पुनर्वास, राजस्व,फायर एंड इमरजेंसी, जीएडी समेत करीब 32 विभागों के मुख्य प्रशासनिक कार्यालय दरबार मूव में शामिल होते हैं। विधानसभा, विधानपरिषद, राजभवन, पुलिस मुख्यालय भी दरबार मूव में शामिल हैं। जम्मू बंद से होता था स्वागत

करीब चार साल पहले तक जम्मू में दरबार मूव के आगमन का पहला दिन अक्सर जम्मू बंद और सचिवालय घेराव का होता था। सचिवालय के बाहर करीब दो से तीन किलोमीटर के इलाके में तनाव देखने को मिलता था। भाजपा के पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद यह बंद हो गया है। काग्रेस और नेका ने इस मामले में उसकी जगह लेने का प्रयास किया था, लेकिन कामयाब नहीं हुए। इस बार किसी संगठन ने कोई बंद का एलान भी नहीं किया था। विभिन्न कर्मचारी संगठन सचिवालय घेराव का आह्वान करते थे। पुलिस के साथ धक्का-मुक्की, पुलिस का बल प्रयोग और हड़ताली कर्मियों की गिरफ्तारिया होती रही। ढाई किमी दूर हुए प्रदर्शन

सचिवालय से करीब ढाई किलोमीटर दूर प्रदर्शनी मैदान में दैनिक वेतन भोगियों, पेंशनरों व दो अन्य कर्मचारी संगठनों ने जरूर जुलूस निकालना चाहा। लेकन वह प्रदर्शनी मैदान में ही सिमट कर रह गए। सचिवालय के भीतर हलचल नहीं थी

सचिवालय के भीतर भी ज्यादा कोई हलचल नहीं थी। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और सचिवालय के कुछ कर्मचारी ही राज्यपाल की आगवानी करते नजर आए। सचिवालय के भीतर अधिकाश विभागों के कार्यालय लगभग वीरान नजर रहे,क्योंकि दरबार मूव में शामिल कश्मीर के अधिकाश कर्मचारी रास्ता बंद होने के कारण रामबन और बनिहाल के बीच ही फंसे रह गए। कई वरिष्ठ अधिकारी जहाज पकड़कर जम्मू पहुंचे,लेकिन दोपहर बाद ही सचिवालय में वह हाजिरी लगा पाए। सचिवालय और दरबार मूव में कार्यरत कुल अधिकारियों व कर्मियों में सत्तर प्रतिशत से ज्यादा कश्मीर संभाग से ही हैं। समान्य कामकाज शुरू होने में एक सप्ताह लग जाता

सचिवालय में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दरबार मूव में शामिल जम्मू संभाग के कर्मचारी व अधिकारी उसी दिन श्रीनगर से जम्मू रवाना हो जाते हैं या उससे अगले दिन रवाना होते हैं जिस दिन श्रीनगर में दरबार बंद होता है। कश्मीर संभाग के कर्मचारी व अधिकारी जम्मू में दरबार खुलने से एक दिन पहले ही सामान्य तौर पर निकलते हैं। इस बार भी यही हुआ, लेकिन हिमपात के चलते रास्ता बंद होने के कारण वह समय रहते नहीं पहुंच पाए हैं। समान्य कामकाज शुरु होने में करीब एक सप्ताह लग जाता है। शायद राज्यपाल शासन का असर तो नहीं

वरिष्ठ पत्रकार मोहित कंधारी ने कहा कि मैंने भी यहा आज पहली बार दरबार मूव के मौके पर इस तरह की स्थिति देखी है। सचिवालय के बाहर लोगों की भीड़ नहीं है,अंदर भी कर्मचारियों की उपस्थिति नाममात्र रही है। पहले तो यहा विधायक,एमएलसी भी मौजूद रहते थे, आम लोग भी बहुत होते थे। मुझे लगता है कि इस समय राज्यपाल शासन है और यह उसका ही असर है। राज्य की दो राजधानिया

जम्मू कश्मीर की दो राजधानिया हैं। गर्मियों के छह माह मई से अक्टूबर अंत तक राजधानी श्रीनगर में रहती हैऔर सभी प्रशासनिक कामकाज वहीं से संचालित होते हैं जबकि सर्दियों के छह माह नवंबर से अप्रैल के अंत तक जम्मू मे राजधानी होती है। सचिवालय के श्रीनगर से जम्मू व जम्मू से श्रीनगर स्थानातरण को दरबार मूव की प्रक्रिया कहा जाता है।


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