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Jammu Kashmir Lockdown: ऑनलाइन फीस जमा करने का दबाव बना रहे स्कूल, स्कूलों में पढ़ाई पर फैसला 14 के बाद

देश में 21 दिनों के लिए लागू लॉकडाउन समाप्त होने पर उनके मंत्रलय की योजना के बारे में पूछे जाने पर ‘निशंक’ ने कहा कि इस वक्त कोई फैसला लेना मुश्किल है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 10:56 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 10:56 AM (IST)
Jammu Kashmir Lockdown: ऑनलाइन फीस जमा करने का दबाव बना रहे स्कूल, स्कूलों में पढ़ाई पर फैसला 14 के बाद
Jammu Kashmir Lockdown: ऑनलाइन फीस जमा करने का दबाव बना रहे स्कूल, स्कूलों में पढ़ाई पर फैसला 14 के बाद

जम्मू, राज्य ब्यूरो : कोरोना से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन के बीच कुछ केंद्रीय स्कूलों के अलावा प्राइवेट स्कूल प्रबंधन एसएमएस या वाट्सएप के जरिए संदेश भेज कर ऑनलाइन फीस जमा करवाने के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं। हालांकि, स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि मार्च की फीस की अंतिम तिथि को तीस अप्रैल तक बढ़ाया गया है। ऐसे हालात में अभिभावकों को तंग नहीं किया जाना चाहिए।

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हैरत की बात यह है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पहले ही केंद्र स्कूलों को अभिभावकों को इस तरह का दबाव न बनाने की हिदायत दे दी थी। उसके बाद जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा विभाग ने भी केंद्र शासित प्रदेश में चल रहे निजी स्कूल चाहे वे किसी भी बोर्ड से संबंधित हैं, को इस पर अमल करने को कहा था। हद तो यह है कि सरकार के आदेश के बावजूद केंद्र के अधीन चलने वाले और प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से फीस ऑनलाइन जमा करवाने के लिए कह रहे हैं। कुछ स्कूल मार्च माह की तो कुछ स्कूल अगले अप्रैल से अगली तिमाही की फीस आनलाइन भरने के लिए कह रहे हैं। इतना तय है जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा वैसे ही अभिभावकों को बिना देरी के फीस देनी होगी।

विभाग ने यह भी आदेश दिया था कि प्राइवेट स्कूलों की तरफ से वार्षिक फीस वसूलने के मुद्दे पर जम्मू और कश्मीर के डायरेक्टर स्कूल एजूकेशन को अभिभावकों, प्राइवेट स्कूलों के प्रतिनिधियों की बात सुनने के लिए मौका दिया जाना चाहिए। इस समय प्राइवेट स्कूलों की तरफ से वाट्सएप या आनलाइन या वेबसाइट पर होमवर्क दिया जा रहा है लेकिन अभिभावकों को चिंता सताने लगी है कि लॉकडाउन के खुलते ही स्कूलों की मनमानी शुरू होगी। फीस, वार्षिक चार्ज, फीस में बढ़ोतरी, स्कूलों की तरफ से निर्धारित दुकानों से वर्दियां, पुस्तकें खरीने जैसी मनमानी का सामना करना पड़ेगा। पैरेंट्स एसोसिएशन जम्मू के प्रधान अमित कपूर ने वार्षिक चार्ज वसूल करने के मुद्दे को शिक्षा विभाग के समक्ष उठाया है। उन्होंने कहा कि सरकार को प्राइवेट स्कूलों पर सख्त रवैया अपनाना चाहिए। पिछले साल भी विभाग के कदम नाकाफी साबित हुए थे। चूंकि इस समय लॉकडाउन में सबकुछ बंद है। जब लॉकडाउन खुलेगा तो स्कूलों के नए नए आदेश सामने आएंगे। लोग पहले से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वार्षिक चार्ज पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। सरकार की सख्ती के बाद कुछ प्राइवेट स्कूलों ने अपनी तरह से पुस्तकें व स्टेशनरी देनी बंद कर दी है लेकिन इसके साथ ही अभिभावकों से कहा है कि वे निर्धारित दुकान से पुस्तकें और वर्दियां खरीदें।

स्कूलों में पढ़ाई पर फैसला 14 के बाद: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि कोरोना संकट पर स्थिति की 14 अप्रैल को समीक्षा करने के बाद सरकार स्कूल, कॉलेज फिर से खोलने पर कोई निर्णय लेगी। ‘निशंक’ ने प्रेट्र से एक साक्षात्कार में कहा कि छात्रों और अध्यापकों की सुरक्षा सरकार के लिए सबसे ऊपर है। उनका मंत्रलय यह सुनिश्चित करने में लगा है कि यदि स्कूल, कॉलेज को 14 अप्रैल के बाद भी बंद रखने की जरूरत पड़ी, तो छात्रों को पढ़ाई-लिखाई का कोई नुकसान नहीं हो। देश में 21 दिनों के लिए लागू लॉकडाउन समाप्त होने पर उनके मंत्रलय की योजना के बारे में पूछे जाने पर ‘निशंक’ ने कहा कि इस वक्त कोई फैसला लेना मुश्किल है। हम 14 अप्रैल को स्थिति की समीक्षा करेंगे। परिस्थितियों के मुताबिक इस बारे में फैसला लिया जाएगा कि स्कूल, कॉलेज फिर से खोले जा सकते हैं या उन्हें कुछ और समय के लिए बंद रखना होगा। मंत्री ने कहा कि छात्रों एवं अध्यापकों की सुरक्षा सरकार के लिए सवरेपरि है। 21 दिनों का लॉकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त होगा । सरकार से संकेत मिला है कि लॉकडाउन को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।


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