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सत्यपाल मलिक बने जम्मू कश्मीर के 13वें राज्यपाल

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आज राज्य के 13वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली । हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने दिलाई उन्हें शपथ। समारोह में कई राजनीतिज्ञ व राज्यपाल के सलाहकार मौजूद।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 10:16 AM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 04:04 PM (IST)
सत्यपाल मलिक बने जम्मू कश्मीर के 13वें राज्यपाल
सत्यपाल मलिक बने जम्मू कश्मीर के 13वें राज्यपाल

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सत्यपाल मलिक ने वीरवार को राज्य के 13वें राज्यपाल के रुप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। उन्हें राज्य की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने राजभवन में आयोजित एक भावपूर्ण समारोह में शपथ दिलाई। जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनने से पहले सत्यपाल मलिक बिहार के राज्यपाल थे। उन्होंने एनएन वोहरा के स्थान पर राज्यपाल का पद ग्रहण किया है।

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राजभवन में राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह में राज्य विधानसभा के स्पीकर डा निर्मल सिंह, डिप्टी स्पीकर नजीर अहमद गुरेजी, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा फारुक अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफती, केंद्रीय मंत्री डा जितेंद्र सिंह, मंडलायुक्त कश्मीर बसीर अहमद खान, पीडीपी के प्रवक्ता रफी अहमद मीर, भाजपा नेता द्रख्शां अंद्राबी, कांग्रेस नेता ताज मोहिउददीन, भाजपा नेता सुखनंदन और राज्य पुलिस महानिदेशक, राज्य पाल के तीनों सलाहकार, मुख्य सचिव अन्य सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जम्मू कश्मीर का राज्यपाल नामित किए जाने के 24 घंटे के भीतर ही बुधवार को ही सत्यपाल मलिक श्रीनगर पहुंच गए। राज्य के 13वें राज्यपाल के रूप में उन्‍होंने आज शपथ ली। शपथ लेने के बाद आज से कार्यभार संभालने जा रहे मलिक बुधवार शाम करीब साढ़े चार बजे पटना से एक विशेष विमान में श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे। उनकी आगवानी के लिए राज्य प्रशासन के सभी वरिष्ठ अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद थे।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला भी निवर्तमान राज्यपाल एनएन वोहरा के उत्तराधिकारी की आगवानी के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद थे। इस बीच, निवर्तमान राज्यपाल एनएन वोहरा बुधवार को न राजभवन में नजर आए और न श्रीनगर एयरपोर्ट पर। वह दिल्ली में थे। वोहरा मंगलवार की रात को ही सरकारी विमान में दिल्ली चले गए थे । वह आज सुबह दिल्ली से लौटें और अपने उत्तराधिकारी सत्यपाल मलिक को औपचारिक रूप से राजभवन का कार्यभार सौंपें।

एयरपोर्ट पर उनकी आगवानी के लिए दोपहर को पटना से श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके आगमन पर सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला, राज्यपाल के तीनों सलाहकार बीबी व्यास, के विजय कुमार और खुर्शीद अहमद गनई, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम, महानिदेशक राज्य पुलिस डॉ. एसपी वैद, राज्यपाल के प्रमुख सचिव उमंग नरुला, वित्तीय आयुक्त, प्रशासनिक सचिव, मंडलायुक्त कश्मीर, आइजीपी कश्मीर, जिला उपायुक्त बडगाम और नागरिक, पुलिस प्रशासन और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

इससे पूर्व मुख्य सचिव ने नागरिक और पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों संग अलग-अलग बैठकों में नामित राज्यपाल के आगमन और वीरवार को राजभवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने प्रोटोकॉल के अनुसार उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित लोगों को निर्देश जारी किए।

मुख्यसचिव ने नामित राज्यपाल के लिए राजभवन के बाहर सभी व्यवस्थाओं के लिए प्रमुख सचिव आतिथ्य एवं प्रोटोकॉल और शपथ ग्रहण समारोह के संबंध में राजभवन में सभी व्यवस्थाओं के लिए राज्यपाल के प्रमुख सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा महानिदेशक और एडीजीपी को सौंपा गया है। राज्यपाल के सलाहकार, मुख्यसचिव, महानिदेशक और प्रशासकीय सचिव वीरवार की शाम राज्यपाल को रियासत के समग्र राजनीतिक, प्रशासकीय और सुरक्षा परिदृश्य के बारे में एक बैठक में औपचारिक रूप से जानकारी देंगे।

सत्यपाल मलिक नई जिम्मेदारी संभालने के लिए बुधवार को ही ग्रीष्मकालीन राजधानी पहुंच गए थे। वीरवार सुबह रियासत के 13वें राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण करने के साथ ही राज्य के समक्ष चुनौतियां उनकी राजनीतिक कार्यकुशलता और सूझबूझ की परीक्षा लेना शुरू कर देंगी। उन्हें आतंकवाद के मोर्चे से लेकर राज्य में लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक मजबूत बनाने के साथ राज्य के तीनों संभागों के लोगों की सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के मोर्चे पर जूझना है।

सत्यपाल मलिक धुर राजनीतिक माने जाते हैं लेकिन राजनीतिक, सामाजिक व सामरिक रूप से संवेदनशील जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक बागडोर संभालते ही उन्हें धारा 35ए पर पैदा हुए विवाद को हल करना है। धारा 35ए के मुद्दे पर जम्मू कश्मीर में लोग दो ध्रुवों में बंट चुके हैं। 

हालांकि यह मामला अदालत में विचाराधीन है, लेकिन फैसला अगर धारा 35ए के खिलाफ जाएगा तो कश्मीर में हालात बिगड़ने से कोई इनकार नहीं कर सकता। हालात बिगड़ने का असर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की सियासत पर नजर आएगा। सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले पर 27 अगस्त को सुनवाई होगी। अलगाववादियों ने 26-27 अगस्त को कश्मीर बंद का आह्वान किया है। इस मामले से वह खुद कैसे अलग रखेंगे और हालात को सामान्य बनाए रखते हैं, इसे सभी टकटकी लगाए देख रहे हैं।

राज्यपाल शासन लागू होने के कारण जम्मू कश्मीर के प्रशासक की जिम्मेदारी को अंजाम देते हुए उन्होंने कश्मीर में शांति बहाली और कश्मीर समस्या के समाधान के लिए जमीन तैयार करना, अलगाववादी खेमे को बातचीत की मेज पर लाना और आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाना भी उनके लिए बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही राज्य में प्रस्तावित स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों को संपन्न कराने के साथ साथ वर्ष 2019 के संसदीय चुनावों का माहौल बनाना और मौजूदा विधानसभा जो निलंबित है, को फिर से बहाल करना या भंग कर नए चुनाव कराना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।

सत्यपाल मलिक को आतंकी संगठनों में बढ़ रही स्थानीय युवकों की भर्ती को रोकना, आतंकियों के सरेंडर को यकीनी बनाना, सेना समेत सभी पुलिस व अर्धसैनिकबलों के बीच समन्वय बनाए रखते हुए आतंकवाद व घुसपैठ से निपटना और राज्य में सियासी हथियार बन चुकी नौकरशाही को पूरी तरह जनता के प्रति जवाबदेह बनाना और उसके कामकाज में पारदर्शिता लाना भी उनके लिए एक कड़ा इम्तिहान साबित होगा।

केंद्र ने सत्यपाल मलिक को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल सोची समझी रणनीति के तहत ही नियुक्त किया है। बीते 51 साल में वह जम्मू कश्मीर के ऐसे पहले राज्यपाल हैं, जो नौकरशाही, सेना या खुफिया ब्यूरो की पृष्ठभूमि नहीं रखते। सत्यपाल मलिक एक फुलटाइम सियासतदां हैं, जो छात्र जीवन से ही सियासत में रहे हैं।


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