शनिवारी अमावस्या चार दिसंबर को, जानिए क्या-क्या परेशानियां आ सकती हैं
इस समय कुम्भ राशि वालों को साढ़ेसाती का प्रथम चरण सिर पर मकर राशि वालों को द्वितीय चरण हृदय पर तथा धनु राशि वालों को तृतीय अंतिम चरण जाती हुई। साढ़ेसाती है। धनु राशि वालों के लिए जाती हुई साढ़ेसाती लाभ देगी।
बिश्नाह, संवाद सहयोगी : मार्गशीर्ष माह की अमावस्या चार दिसंबर शनिवार को है। शनिवार के दिन होने से इस अमावस्या का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। भारत के कुछ क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की कमी होगी। महंगाई में बढ़ोतरी होगी। लोगों में आपसी प्रेम में कमी आएगी। लड़ाई-झगड़े ज्यादा होंगे। घरों में भी कलह का वातावरण रहेगा। देश की राजनीतिक परिस्थितियों में तनाव व अस्थिरता रहेगी। फसल अच्छी होगी। दुर्घटनाओं में वृद्धि होगी। वाहन दुर्घटना की घटनायें भी बढ़ेंगी।
शनिवारी अमावस्या का महत्व : प्राचीन शिव मंदिर बिश्नाह से महामंडलेश्वर अनूप गिरि ने बताया कि इस वर्ष शनिवार का दिन शनिदेव का होता है। शनिदेव कलियुग के सर्वोच्च न्यायाधीश हैं। शनिवार के दिन अमावस्या होने से इस अमावस्या का महत्व बहुत बढ़ जाता है। इस समय कुम्भ राशि वालों को साढ़ेसाती का प्रथम चरण सिर पर, मकर राशि वालों को द्वितीय चरण हृदय पर तथा धनु राशि वालों को तृतीय अंतिम चरण जाती हुई। साढ़ेसाती है। धनु राशि वालों के लिए जाती हुई साढ़ेसाती लाभ देगी। मकर तथा कुम्भ राशि वालों को नुकसान का समय है। मिथुन तथा तुला राशि वालों को शनि की ढैय्या चल रही है।
तुला राशि को ढैय्या फायदेमंद है, जबकि मिथुन राशि वालों के लिए अष्टम भाव की ढैय्या नुक्सानदायक है। इसके अलावा जिन व्यक्तियों को शनि की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो वह सभी व्यक्ति शनिवारी अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा आराधना, दान आदि कर शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं तथा अपने कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। शनिवारी अमावस्या पितृकार्यों के लिए भी होती है जिन व्यक्तियों ने अपने पितरों के निमित्त कोई दान वगैरह करने हों कर सकते हैं।
शनि की दान करने वाली वस्तुएं : जो व्यक्ति अधिक परेशान हों, वह शनिदेव के मंदिर में दीवार घड़ी चढ़ाएं और शनिदेव से अपना वक्त सुधारने के लिए प्रार्थना करें। गरीब जरूरतमंद को भोजन, कंबल, ऊनी वस्त्र, जूते चप्पल आदि दें। दान अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार ही करें। शनि की अन्य दान योग्य वस्तुयें उड़द की दाल, सरसों तेल, चमड़े लोहे का सामान, काले नीले कपड़े, तिल, गुलाब जामुन, काले अंगूर, छाता, सुरमा, काजल आदि हैं।
शनिदेव विश्व के सर्वोच्च न्यायधीश : शनि कलियुग में विश्व के मुख्य न्यायाधीश हैं इसलिए इनको हाथ नहीं जोड़े जाते। दोनों हाथ पीछे करके सिर झुकाकर प्रणाम किया जाता है। शनिदेव की अदालत में अपील की भी सुविधा है। यदि आपसे कोई गलत कार्य हुआ है तो आप शनिदेव की आराधना सेवा करके अपने कष्ट से मुक्ति पा सकते हैं। यदि आप किसी की मदद करते हैं तो शनिदेव आपसे अवश्य प्रसन्न होंगे। शनि को क्रूर माना जाता है। लोग शनि के कोप से भयभीत रहते हैं। जबकि सत्य यह है कि शनिदेव केवल न्यायाधीश का कार्य करते हैं और मानव को उसके कर्मों के अनुसार दंड देते हैं या पुरस्कृत करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार : शनि की अपनी दो राशियां मकर व कुम्भ हैं। शनि की उच्चराशि तुला है। शनि की नीच राशि मेष है। शनि के नाम पर ही शनिवार दिन का नामकरण हुआ है। शनि एक पैर से लंगड़ाकर चलते हैं। इसलिए सबसे धीरे चलते हैं। शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष रहते हैं। शनि की महादशा उन्नीस साल की होती है। साढ़ेसाती सात साल की होती है। ढैय्या ढाई वर्ष की होती है। शनि के मित्र शुक्र राहु केतु हैं। शनि के शत्रु सूर्य चंद्र मंगल हैं। बुध गुरु के साथ शनि सम रहता है। शनि के पिता सूर्यदेव हैं, इनकी माता का नाम छाया है, बहन भद्रा हैं। कुंडली में शनि शुभ होने पर व्यक्ति राजाओं जैसा जीवन व्यतीत करता है। यदि शनि अशुभ हो तो व्यक्ति का जीवन अभावों से भरा रहता है। परेशानियां रहती हैं। कुंडली में सप्तम भाव का शनि दो विवाह का योग बनाता है।