कश्मीर के कुपवाड़ा व बड़गाम में रहने वाले बाल वीर सरताज और मुदस्सर को वीरता पुरस्कार
मुदस्सर अशरफ ने बताया कि वहां कुछ लोगों ने हेलीकॉप्टर में फंसे लोगों की मदद करने से रोकना चाहा था लेकिन हमने उन्हें भी शांत किया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किए जा रहे 22 बहादुर बच्चों में जम्मू कश्मीर के दो बाल वीर भी हैं। इनमें एक उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एलओसी के साथ सटे चौकीबल का रहने वाला 16 वर्षीय सरताज मोहिउदीन मुगल और दूसरा श्रीनगर के साथ सटे बड़गाम का रहने वाला 17 वर्षीय मुदस्सर अशरफ है। सरताज ने पाकिस्तानी गोलाबारी से आग की लपटों से घिरे अपने अपने पूरे परिवार को बचाया था, जबकि मुदस्सर ने धू-धू कर जल रहे वायुसेना के हेलीकॉप्टर से अधिकारियों व एक ग्रामीण को बचाने में जी जान लगा दी थी।
वायुसेना द्वारा पिछले वर्ष पाकिस्तान के बालाकोट इलाके में की गई एयर स्ट्राइक के एक दिन बाद 26 फरवरी को श्रीनगर एयरपोर्ट से वायुसेना के जवानों व अधिकारियों को लेकर एमआइ-17 हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के चंद ही मिनट बाद यह हेलीकॉप्टर एक दुर्घटना में एयरपोर्ट से कुछ ही दूरी पर बड़गाम में गिर पड़ा। इस हादसे में वायुसेना के छह अधिकारी शहीद हो गए थे। मुदस्सर अशरफ उस समय अपने घर में था। उसने कहा, मैंने दो धमाके सुने और देखा कि खेतों के बीच हेलीकॉप्टर जल रहा है। मैं दौड़ते हुए वहां पहुंचा। मैंने वहां आग की लपटों में एक युवक को जलते देखा, मैंने उसे पायलट समझा और उसे बचाने का प्रयास किया। बाद में पता चला कि वह हमारा ही पड़ोसी किफायत रिजवी था। हेलीकॉप्टर उसके पास ही गिरा था, लेकिन हम उसे बचा नहीं पाए। इसके बाद मैंने वहां अन्य ग्रामीणों के साथ मिलकर राहत अभियान चलाया और हेलीकॉप्टर में बुरी तरह झुलस चुके वायुसेना अधिकारियों को भी बाहर निकाला, लेकिन वह भी अंदर ही जलकर शहीद हो चुके थे।
मुदस्सर अशरफ ने बताया कि वहां कुछ लोगों ने हेलीकॉप्टर में फंसे लोगों की मदद करने से रोकना चाहा था, लेकिन हमने उन्हें भी शांत किया। अमर सिंह कॉलेज के छात्र मुदस्सर ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मुझे कोई अवार्ड मिला है। कुछ दिन पहले सुरक्षाबलों का एक दस्ता हमारे घर आया था, उसने ही हमें इस बारे में सूचित किया। इसके बाद डाक के जरिए भी मुझे पत्र मिला।
जिला कुपवाड़ा में एलओसी के साथ सटे टुमिना-चौकीबल के रहने वाले 16 वर्षीय सरताज मोहिउद्दीन मुगल ने बताया कि 24 अक्तूबर 2019 को अचानक पाकिस्तानी सेना ने हमारे घरों और पास बने सैन्य ठिकानों पर ताबड़तोड़ गोलाबारी शुरू कर दी। पाकिस्तानी सेना द्वारा दागा गया एक गोला हमारे मकान पर गिरा और घर आग की लपटों में घिर गया। मैं किसी तरह वहां से बाहर निकल आया। मैंने देखा कि मेरे मां-बाप और दोनों बहनें सनैया और सादिया अंदर ही थीं। मकान से बाहर कूदने के दौरान मेरी टांग में चोट लग चुकी थी। मेरे चलना मुश्किल हो रहा था, लेकिन मेरे परिवार की जिंदगी का सवाल था। मैंने किसी तरह से हिम्मत की और दोबारा घर में घुसा और मैंने अपने मां-बाप और अपनी दोनों बहनों को बाहर निकला। जैसे ही हम सभी वहां से बाहर निकले, मकान भी नीचे गिर पड़ा।