Kashmir से सरजन बरकती ऊर्फ 'Azaadi Chacha' पीएसए के तहत गिरफ्तार, युवाओं को हिंसा के लिए उकसाने के हैं आरोप
सरजन बरकती के परिजनों के अनुसार सुबह सात बजे के करीब गिरफ्तार किया गया और उसके बाद उसे जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भेज दिया गया। उसके परिजनों ने दावा किया है कि जेल से छूटने के बाद वह किसी भी तरह की सियासी गतिविधि में शामिल नहीं था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। स्थानीय युवाओं में मजहब की आड़ में जिहादी और अलगाववादी मानसिकता को पैदा करने मेेंं जुटे तत्वों के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखते हुए पुलिस ने शनिवार को सरजन बरकती उर्फ आजादी चाचा को गिरफ्तार कर लिया। उसे जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया गया है।
बीते तीन दिनों में प्रशासन कश्मीर में सात मजहबी नेताओं को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बना चुके हैं। यह सभी दक्षिण कश्मीर के ही रहने वाले हैं। दक्षिण कश्मीर में जिला शोपियां में जेनपोरा का रहने वाला सरजन बरकती प्रतिबंधित जमाते इस्लामी का एक अहम सदस्य है। वह कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस से जुड़ा हुआ था। वर्ष 2016 में आतंकी बुरहान की मौत के बाद दक्षिण कश्मीर में विशेषकर शोपियां, कुलगाम और पुलवामा के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रविरोधी हिंसक रैलियों और पत्थरबाजी में उसने अहम भूमिका निभाई थी। उसे आजादी चाचा कहा जाता था। उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।
अक्टूबर 2016 में उसे पकड़ा गया था और करीब चार साल तक वह जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में बंद रहा था।सरजन बरकती के परिजनों के अनुसार, उसे आज सुबह सात बजे के करीब गिरफ्तार किया गया और उसके बाद उसे जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भेज दिया गया। उसके परिजनों ने दावा किया है कि जेल से छूटने के बाद वह किसी भी तरह की सियासी गतिविधि में शामिल नहीं था और अपने घर में एक सामान्य जिंदगी जी रहा था। सरजन बरकती से पहले पुलिस ने गत वीरवार को तहरीक ए सौउत उल औलिया के संस्थापक अब्दुल रशीद दाउदी के अलावा जमीयत ए अहले हदीस के मौलाना मुश्ताक वीरी और मौलाना अब्दुल मजीद डार व जमाते इस्लामी से संबधित तीन मौलवियों में तारिक रहमान, गाजी मोइनुद्दीन इस्लाम और फहीम मोहम्मद रमजान को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया है।
पुलिस से संबंधित सूत्रों ने बताया जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जिन मौलवियों को बंदी बनाया गया है, वह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्त हैं। उनके खिलाफ आवश्यक सुबूत जमा करने के बाद ही कार्रवाई की गई है। यह लोग मजहब की आड़ में स्थानीय युवाओं में जिहादी व राष्ट्रविरोधी मानसिकता पैदा करते हुए उन्हें हिंसा की तरफ धकेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिण कश्मीर में बीते कुछ महीनों के दौरान आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। इनमें से कुछ पकड़े भी गए हैं। इन सभी से पूछताछ के आधार पर पता चला है कि कुछ मजहबी नेता अलगाववादी एजेंडे का प्रचार कर रहे हैं और युवाओं को हिंसा के लिए उकसा रहे हैं।