Article 370: सात दशक बाद खिल उठे मुरझाए चेहरे, 1950 में पंजाब से जम्मू आए सफाईकर्मी भी होंगे जम्मू-कश्मीर के नागरिक
जम्मू के प्रेजेंटेशन कान्वेंट स्कूल से दसवीं करने के बाद नर्सिग में बीएससी की। नागरिकता न होने से यहां नौकरी नहीं मिली इसलिए ब्रीचकैंडी अस्पताल मुम्बई में नर्स की नौकरी कर रही है।
जम्मू, अवधेश चौहान। सफाई कर्मचारियों की तीसरी पीढ़ी के लिए सोमवार उनके जीवन में नया रंग लेकर आया। वर्ष 1957 में पंजाब से बुलाए गए सफाई कर्मी जम्मू कश्मीर का नागरिक बनने के बाद फूले नहीं समा रहे हैं। वे तिरंगा झंडा लेकर सड़कों पर परिवार सहित उतर आए। भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों के बीच उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।
सन्नी खोखर का कहना है कि वर्ष 1957 में जम्मू कश्मीर में सफाई कर्मचारियों की दो माह से जारी हड़ताल से निपटने के लिए राज्य के तत्कालीन प्रधानमंत्री बक्शी गुलाम मोहम्मद ने पंजाब से सफाई कर्मचारियों को बुलाया था। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो ने उन्हें यहां भेजने से इन्कार कर दिया कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 है, लेकिन बक्शी गुलाम ने उन्हें यकीन दिलाया कि सफाई कर्मियों के लिए कैबिनेट से ऑर्डर पारित किया जाएगा। इसमें गोरखा और सफाई कर्मियों के लिए स्टेट सब्जेक्ट माफ करने का प्रवधान होगा। उनके बच्चों को भी नौकरी मिलेगी, लेकिन उनसे धोखा हुआ और तब से उनका परिवार न्याय के लिए लड़ता रहा है।
अब मिलेगा शिखर छूने का मौका : मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में नर्सिग का काम कर रही सानिया गिल के दिल में कुछ कर दिखाने की हसरतें उमड़ रही हैं। अब तक जिंदगी संवारने के लिए जो रुकावटे थीं, दूर हो चुकी हैं। जम्मू के प्रेजेंटेशन कान्वेंट स्कूल से दसवीं करने के बाद नर्सिग में बीएससी की। नागरिकता न होने से जम्मू कश्मीर में नौकरी नहीं मिली, लेकिन ब्रीचकैंडी अस्पताल मुम्बई में नर्स की नौकरी मिल गई। बड़ी बहन शिखा ने एमबीए किया और पंजाब में नौकरी मिल गई। उन्हें खुशी है कि उनके परिवार के सदस्यों को नागरिकता का अधिकार मिल जाएगा। मौका मिला तो जम्मू कश्मीर में नौकरी के लिए आवेदन करूंगी।
प्रशासनिक सेवाओं के लिए कर सकेंगे आवेदन : केतन कुमार नागरिकता का अधिकार पाने के बाद बेहद खुश हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब वह राज्य प्रशासनिक सेवाओं के लिए आवेदन कर सकेंगे। अभी वह बारहवीं में पढ़ रहे हैं। अगर केंद्र सरकार यह फैसला नहीं लेती तो शायद उनका भविष्य उनके पूर्वजों की तरह इतिहास में खो जाता। आज के ऐतिहासिक दिन ने उनकी सोच को बदल दिया है। इसके लिए वह केंद्र की सरकार की तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं।
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