Shraddha ka Mahasawan : सावन के महीने में हर दिन कर सकते हैं रुद्राभिषेक
पंडित शाम लाल शर्मा ने कहा कि भगवान विष्णु ब्रह्मा और शिव तीनों देवता क्रमश जीव का पालन रचना व संहार के स्वामी हैं। इन तीनों देवताओं में भगवान शिव को ही महादेव कहा जाता है। सागर मंथन में जो हलाहल निकला था वह भगवान शिव ने ही धारण किया
जम्मू, जागरण संवाददाता : सावन में भगवान शिव के प्रति प्रेम और श्रद्धा की भावना सहज उत्पन्न होती है। पंडित शाम लाल शर्मा ने कहा कि भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव तीनों देवता क्रमश: जीव का पालन, रचना व संहार के स्वामी हैं। लेकिन इन तीनों देवताओं में भगवान शिव को ही महादेव कहा जाता है। सागर मंथन में जो हलाहल निकला था, वह भगवान शिव ने ही अपने कंठ में धारण कर पृथ्वी को विनाश से बचाया था। भगीरथ जी जब गंगा जी को पृथ्वी पर लाने लगे तो पृथ्वी उनके वेग को सहन कर पाने में असमर्थ थी। इसीलिए पृथ्वी पर आने से पहले भगवान शंकर ने उन्हें अपनी जटा में धारण किया और फिर पृथ्वी पर गंगा को छोड़ा।
शिव के अलावा इस काम को करने में कोई देवता सक्षम नहीं थे। इसीलिए उन्हें महादेव कहा जाता है। पंडित शाम लाल ने कहा कि महादेव बहुत जल्द प्रसन्न हो कर शुभ वरदान प्रदान करते हैं। जम्मू-कश्मीर में तो शुरू से भगवान शिव अराध्य रहे हैं। हर मोहल्ले में भगवान शिव के मंदिर हैं। श्रावण महीने में भगवान शंकर की पूजा की जाती है। भगवान शिव ने स्वयं अपने मुख से ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनतकुमार से कहा कि मुझे 12 महीनों में सावन विशेष प्रिय है।
सावन मास में भगवान शिव का पूजन व अभिषेक करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। परिवार में सुख, शाति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सावन मास में भगवान शिव के पूजन करने से जीवन में आए अंधकार और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। केवल इसी महीने में भगवान शंकर का रुद्राभिषेक हर दिन कर सकते हैं। इसीलिए सावन में केवल सोमवार ही नहीं प्रत्येक दिन रुद्राभिषेक किया जा सकता है। महादेव ने जगत कल्याण के लिए विषपान किया था। इसलिए दूध से उनका अभिषेक करने का विधान हैं। विधिपूर्वक शिवजी की की पूजा अर्चना करने से मनुष्य की मानसिक और शारीरिक विकृतियों का नाश होता है।
श्रावण मास भगवान शिव को अति प्रिय है। पूरे श्रावण मास में जो भी श्रद्धालु भगवान आशुतोष की पूजा-अर्चना करता है। ओम नम: शिवाय का जाप तथा पंचामृत अभिषेक प्रेम-श्रद्धा की भावना से करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्रावण मास में सोमवार व्रत रखने से मन चाहे फल की प्राप्ति होती है। व्रत के दिन यथासंभव मौन रहना चाहिए। क्रोध, घृणा, द्वेष, ईर्ष्या से बचना चाहिए। सायंकाल भगवान शिव का पूजन कर एक ही बार अन्न या फलाहार ग्रहण करें।