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रमन आरटीआइ के हथियार से भ्रष्टाचार पर कर रहे वार

हर कोई भ्रष्टाचार, सरकार में सुस्ती से हो रहे कायों की बातें करता है लेकिन इन्हें उजागर करने के लिए या फिर दूसरों को इंसाफ दिलाने के लिए आगे नहीं आता। चंद लोग ही ऐसे होते हैं जो कि ऐसा साहस जुटा पाते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:37 AM (IST)
रमन आरटीआइ के हथियार से भ्रष्टाचार पर कर रहे वार
रमन आरटीआइ के हथियार से भ्रष्टाचार पर कर रहे वार

जम्मू, राज्य ब्यूरो। हर कोई भ्रष्टाचार, सरकार में सुस्ती से हो रहे कायों की बातें करता है लेकिन इन्हें उजागर करने के लिए या फिर दूसरों को इंसाफ दिलाने के लिए आगे नहीं आता। चंद लोग ही ऐसे होते हैं जो कि ऐसा साहस जुटा पाते हैं। जम्मू के पी मिट्ठा के रहने वाले रमन शर्मा एक ऐसे शख्य है जिन्होंने सूचना के अधिकार से न सिर्फ सरकारी उदासीनता को लोगों के बीच लाया बल्कि कई लोगों को इसी से इंसाफ भी दिलाया। वह लोगों को यह भी जानकारी देते हैं कि अपने अधिकारों को कैसे प्राप्त करना है।

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उन्होंने यह भी बताया कि शासन और प्रशासन में व्याप्त अव्यवस्थाओं को उजागर करते हुए उनका समाधान कराने का सशक्त माध्यम सूचना का अधिकार (आरटीआइ) भी है। वह पिछले बारह साल से आरटीअाइ के माध्यम से कई मामलों को उजागर कर चुके हैं। रमन शर्मा बताते हैं कि यह साल 2006 की बात है जब भारतीय संचार निगम लिमटेड से उन्होंने एक जानकारी मांगी थी। उस समय जम्मू कश्मीर में आरटीआइ कानून लागू भी नहीं था। परंतु जागरूक रमन ने केंद्र के आरटीआइ कानून के सहारे बीएसएनएल को दो रुपये जुर्माना भी करवाया था। उनका कहना था कि इसी ने उन्हें एक नई सोच और ताकत दी। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

32 हजार विद्यार्थियों को दिलाई डिग्रियां

जम्मू विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 32 हजार विद्यार्थी ऐसे थे जिन्हें प्रशासन डिग्रियां नहीं दे रहा था। रमन शर्मा ने उस समय आरटीआइ का सहारा लिया और विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता को सभी के साामने लाया। इसमें यह खुलाया हुआ कि डिग्रियां तो बन जाती थी, मगर यह विद्यार्थियों को नहीं दी जाती थी। इस खुलासे के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन हजारों विद्यार्थियों को डिग्रियां देने के लिए विवश हो गया था।

सीमांत क्षेत्रों की अनदेखी काे उजागर किया

संघर्ष विराम के दौरान हर बार पाकिस्तान की गोलीबारी का सामना करने वाले राज्य के सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार ने बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम में बरती जा रही सुस्ती को भी रमन शर्मा ने उजागर किया। इसमें यह खुलाया हुआ कि राज्य सरकार पहले से भेजे गए फंड का यूटेलाइजेशन सर्टिफिकेट ही केंद्र को नहीं दे पाता। इस कारण करोड़ों रुपये केंद्र राज्य को भेजता ही नहीं। राज्य प्रशासन केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत आए फंड में से 83.64 करोड़ रुपये इस्तेमाल करने का प्रमाणपत्र देने में विफल रहा। इससे केंद्र ने राज्य को दिए जाने वाले फंड में कटौती कर दी। यह प्रमाणपत्र साल 2015-16 से ही नहीं दिया गया है।

पुलिस को मार्डन बनाने में विफल रहने का मुद्दा उठाया

रमन शर्मा ने केंद्र सरकार से राज्य पुलिस को मार्डन बनाने के लिए आए फंड को इस्तेमाल करने और उसका यूटेलाइजेशन सर्टिफिकेट देने में विफल रहने का मुद्दा भी आरटीआई से उजागर किया। केंद्र ने राज्य को 223 करोड़ रुपये भेजे लेकिन राज्य गृह विभाग केंद्रीय गृह मंत्रालय को 57 करोड़ रुपये का यूटेलाइजेशन सर्टिफिकेट देने में विफल रहा।

एक हजार से अधिक आरटीआइ दायर की

रमन शर्मा ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में एक हजार से अधिक आरटीआइ दायर की। इसमें उन्होंने कई अव्यवस्थाओं को सामने लाया। राज्य सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए विवश किया। उनका कहना है कि उन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए कभी भी एक आरटीआइ दायर की।

लोगों को कर रहे जागरूक

रमन शर्मा अब युवाओं व अन्य लोगाें को आरटीआइ के बारे में जागरूक भी कर रहे हैं। वह स्कूलों, कालेजों में सेमिनार करने के अलावा राज्य प्रशासन और सूचना आयोग से भी जुड़े हुए हैं। उनका कहना है कि उनका मकसद अधिक से अधिक लोगों को सूचना के अधिकार के बारे में जागरूक करना है ताकि प्रशासन में बरती जा रही अनियमितताओं को उजागर किया जा सके।


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