पूरा नहीं हुआ नहरों की सफाई का काम, किसान चिंतित
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संवाद सहयोगी, आरएसपुरा : करीब चार माह पूर्व रणवीर नहर को बंद किए जाने के बाद भी सिंचाई विभाग अभी तक नहरों की सफाई का काम पूरा नहीं करवा पाया है, जिसके चलते सीमांत किसानों में रोष व्याप्त है। किसान नहरों की सफाई का काम अभी तक पूरा न होने से आने वाले समय में फसलों की सिंचाई के लिए चितित नजर आ रहे हैं।
किसान नेता व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौधरी मोहन सिंह का कहना है कि हर बार नहरों को साफ करने के नाम पर संबंधित विभाग द्वारा लीपापोती की जाती है। दिसंबर माह में नहरों को सफाई के लिए बंद किया जाता है, लेकिन अभी तक नहरों की सफाई का कार्य समाप्त नहीं हो पाया है। उनका कहना है कि हर वर्ष समय पर नहर का पानी किसानों को उपलब्ध नहीं हो पाता है। किसान सुरजीत सिंह, यशपाल, जीत राज, प्रीतम सिंह आदि का कहना है कि नहरों की सफाई समय पर नहीं होने पर सीमांत क्षेत्र के किसानों को हर बार नहर के अंतिम छोर तक पानी नहीं उपलब्ध नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि चार माह से नहरों को बंद किए जाने के बाद भी सफाई का काम समय पर विभाग पूरा नहीं करवा पाया है। अगर नहरों का कार्य समय रहते आरंभ करवाया जाए तो किसानों को राहत मिल सकती है। सीमावर्ती क्षेत्र चंदू चक के नए सरपंच सुरेंद्र पाल सिंह, पूर्व पंच यशपाल का कहना है कि हर वर्ष 13 अप्रैल को नहरों की सफाई कर पानी छोड़ा जाता है, लेकिन अब तो बैसाखी का पर्व भी गुजर गया पर नहरों की सफाई का काम अभी चल रहा है। किसानों ने आरोप लगाया कि इसके लिए सिंचाई विभाग पूरी तरह से जिम्मेदार है। वह ठेकेदारों को मनमानी करने देता है और अंत में फिर जल्दबाजी में सफाई के नाम पर मात्र लीपापोती कर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में जिन किसानों के पास पानी का अपना साधन नहीं है, वे समय पर धान की फसल नहीं लगा पाते हैं। यदि विभाग नहरों की सफाई फरवरी तक करवा ले तो किसानों को धान की फसल लगाने में राहत मिल सकती है। किसानों ने राज्यपाल से मांग करते हुए कहा है कि वह सीमा क्षेत्र का दौरा कर नहरों की जर्जर हालत को देखें और प्रयास करें कि सफाई के काम को जल्द से जल्द समाप्त कराएं, जिससे किसान को नहरों में पानी जल्द से जल्द उपलब्ध हो पाए।
इस संबंध में सिंचाई विभाग के एईई का कहना है कि सफाई का काम लगभग अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि इस बार सफाई का काम पूरा विभाग की निगरानी में हुआ है और इसमें कोई कोताही नहीं बरती गई है।