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Rohingyas in Jammu: रोहिंग्‍याओं को साजिश के तहत जम्‍मू में बसाया, बिजली-पानी कनेक्‍शन भी बांट दिए

सवाल उठ रहा है कि सुजवां सैन्य कैंप के आसपास रोहिंग्याओं की बस्ती किसने बसाकर दी। कैसे बिजली और पानी के कनेक्शन मिल गए। आम नागरिक को बिजली-पानी की स्थायी सुविधा लेनी हो तो विभागों की औपचारिकताएं पूरी करने में कई माह लग जाएं।

By VikasEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 09:27 PM (IST)
Rohingyas in Jammu: रोहिंग्‍याओं को साजिश के तहत जम्‍मू में बसाया, बिजली-पानी कनेक्‍शन भी बांट दिए
जम्मू में साजिश के तहत बसाए गए रोहिंग्याओं को हर सरकारी सुख सुविधा दी गई।

अवधेश चौहान, जम्मू : रोहिंग्याओं के सिर पर कश्मीर केंद्रित सियासतदानों पर हाथ रहा है। जम्मू में साजिश के तहत बसाए गए रोहिंग्याओं को हर सरकारी सुख सुविधा दी गई। बिजली से लेकर पानी सबकुछ मुफ्त। जहां तक कि रेलवे और नगर निगम में भी अस्थायी नौकरियां भी। खाली सरकारी जमीनों पर रोहिंग्याओं को झुग्गियां बनाकर बसाना। कश्मीर के कुछ गैर सरकारी संगठनों की भी समय-समय पर मदद मिलना।

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बाकायदा पुलिस को भी हिदायतें थी कि यहां भी रोहिंग्याए बैठे हैं उन्हें सुरक्षा दी जाए। अनुच्छेद 370 की आड़ में कश्मीरी हुक्मरान की मनमानी आज सबके सामने है। अगर किसी ने विरोध किया तो आवाज दबा दी। राजनीतिक व व्यापारिक संगठनों ने रोहिंग्याओं को बाहर करने का विरोध किया पर नतीजा सामने है। आज इनकी आबादी हजारों में बढ़ गई है। रोहिंग्याओं को भी मालूम है कि जम्मू से महफूज जगह और कोई नहीं हो सकती।

सवाल उठ रहा है कि सुजवां सैन्य कैंप के आसपास रोहिंग्याओं की बस्ती किसने बसाकर दी। कैसे बिजली और पानी के कनेक्शन मिल गए। आम नागरिक को बिजली-पानी की स्थायी सुविधा लेनी हो तो विभागों की औपचारिकताएं पूरी करने में कई माह लग जाएं। लेकिन रोहिंग्याओं को बस्ती में विभागीय अधिकारी कनेक्शन देने पहुंच जाते। करते भी क्यों न ऊपर से आदेश जो होते हैं। ये लोग यहां भी बसे हैं या तो सरकारी या फिर कश्मीरी रसूखदारों की जगहों पर।

बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पूर्व सरकारों का आदेश था कि रोहिंग्याओं को तंग न किया जाए। इन्हें बिजली सुविधा मिलनी चाहिए। तब से ही परपंरा चली आ रही है। पानी का भी वही हाल है। पास ही विभाग की पाइप से ये लोग पानी भरते हैं। सुंजवां बस्ती में कुछ कनेक्शन स्थायी हैं। खाली जगहों पर कई रसूखधारों ने इनको झुग्गियां बनाकर दी  हैं। वहां उन्हें सभी सुविधाएं मिलती हैं।

दो हजार रोहिंग्या निगम के लिए काम कर रहे : जम्मू नगर निगम रोहिंग्याओं को सबसे रोजगार दे रहा है। करीब दो हजार रोहिंग्या नगर निगम के ठेकेदारों के लिए शहरों में सफाई और कचरा बीनने का काम कर रहे हैं। रोहिंग्याओं को 400 रुपये दिहाड़ी मिल रही है।

जम्मू नगर निगम में सफाई कर्मचारी यूनियन के नेता रिंकू गिल का कहना है कि 200 रोहिंग्या विभिन्न ठेकेदारों के साथ शहर में साफ सफाई का काम कर रहे हैं। जम्मू और सांबा रेलवे स्टेशन पर अन्य राज्यों से आने वाला माल की ढुलाई में रोहिंग्याओं को ठेकेदारों ने साथ रखा हुआ है। नगर निगम के मेयर चंद्र मोहन गुप्ता का कहना है कि श्रमिक कम होने के कारण रोहिंग्याओं को ठेकेदार नियुक्त करते हैं। ये लोग कम दिहाड़ी में काम कर लेते हैं। हालांकि निगम भी उन पर नजर रखती है। सुंजवां बस्ती में रह रहे  रोहिंग्या मोहम्मद युसुफ ने जम्मू शहर में खुद को कभी असुरक्षित महसूस नहीं किया। काम धंधा भी ठीक है।

उठ रहे सवाल

  • रेलवे और नगर निगम में भी अस्थायी नौकरियां कैसे कर रहे हैं।
  • कश्मीर के कुछ गैर सरकारी संगठन से मिल रही मदद
  • सरकारी जमीनों पर रोहिंग्याओं को झुग्गियां बनाकर बसाना
  • पुलिस को हिदायतें, रोहिंग्याओं को तंग न करेंं

जम्मू में कहां-कहां बसे रोहिंग्या

2018 की शुरुआत में तत्कालीन सरकार के गृह विभाग की रिपोर्ट में कहा गया था कि जम्मू कश्मीर के पांच जिलों में 39 स्थानों पर रोहिंग्या बसे हैं।

  • भठिंडी
  • बेलीचराना
  • सुंजवां
  • भगवती नगर
  • नरवाला बाला
  • रेलवे स्टेशन जम्मू के पास
  • बड़ी ब्राहृणा तेली बस्ती
  • सांबा
  • कठुआ

किसने क्‍या कहा

जम्मू में रह रहे रोहिंग्याओं की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। आपराधिक गतिविधियों में इनका नाम सामने आया है। कानून के तहत पुलिस कार्रवाई कर रही है।- मुकेश सिंह, आइजी, जम्मू

रोहिंग्याओं की बस्ती में अधिकांश कनेक्शन अवैध हैं। चंद के ही स्थायी हैं। इसकी जांच की जाएगी। खपत भी अधिक होती है। - गुरमीत सिंह, चीफ इंजीनियर, बिजली विभाग

हमारी यहां भी पाइप लाइन बिछी है। वहां से ही रोहिंग्याओं और प्रवासी लोगों ने कनेक्शन ले रखे हैं। किराया कहीं से नहीं आता। - महेश भट्ट चीफ इंजीनियर, जल शक्ति विभाग


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