ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड बंद हो तो रुकेंगे सड़क हादसे
जब तक ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगेगी, सड़क हादसे नहीं रुकेंगे। ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड सड़क हादसों का मुख्य कारण है। ट्रैफिक पुलिस इन दोनों चीजों पर नजर तो रखती है।
जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, पुंछ और राजौरी जिलों में यातायात व्यवस्था को सुधारने में लगे एसपी ट्रैफिक रूरल मुश्ताक चौधरी सिर्फ चालान काटने में ही नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करने में विश्वास रखते हैं। पिछले कुछ समय से ग्रामीण इलाकों में भी लोग हेलमेट और सीट बेल्ट की अहमियत को समझने लगे हैं। यह संभव हो सका इस युवा पुलिस अधिकारी के कारण। एसपी मुश्ताक चौधरी से दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता सुरेंद्र सिंह की बातचीत के कुछ अंश।
-सड़क हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे। इसका क्या कारण है?
जब तक ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगेगी, सड़क हादसे नहीं रुकेंगे। ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड सड़क हादसों का मुख्य कारण है। ट्रैफिक पुलिस इन दोनों चीजों पर नजर तो रखती है। जहां पर पुलिस नहीं होती, वहां लोग इन दोनों चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। लोग खुद जागरूक हों। ओवरलोड और ओवरस्पी¨डग से बचें। ऐसा कर वह अपनी और दूसरों की जान बचा सकते हैं।
-ट्रैफिक पुलिस ने ओवरलोडिंग को रोकने के लिए क्या प्रयास किए हैं?
जब से मैंने एसपी ट्रैफिक रूरल का पदभार संभाला है, तब से ओवरलोडिंग को रोकने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं। ग्रागीण इलाकों में चलने वाली मिनीबसों में ज्यादा ओवरलो¨डग होती है। हमने उन मिनीबसों के पीछे लगी सीढि़यों को हटवाया है ताकि लोग उन पर चढ़ न सकें। इसके बाद भी जब चालकों ने ओवरलो¨डग नहीं रोकी तो उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाने शुरू कर दिए। इसका कुछ असर हुआ है। आने वाले दिनों में यह असर दिखने लगेगा।
-ओवरस्पीडिंग को जांचने के लिए ट्रैफिक पुलिस क्या करती है?
ओवरस्पीडिंग ज्यादातर हाईवे पर ही होती है। इसके लिए इंटरसेप्टर गाड़ियां लगाई गई हैं जिनमें स्पीड मापने के यंत्र लगे हैं। ओवरस्पीड गाड़ियों के चालान भी काटे जा रहे हैं। लोगों विशेषकर युवाओं को इस बारे जागरूक करने के लिए शिविर भी लगाए जा रहे हैं। सड़कों पर स्पीड लिमिट को दर्शाते साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं।
-ज्यादातर हादसे कहां होते हैं? क्या उन जगहों को चिन्हित किया गया है?
हादसा कब और कहां हो जाए, इस बारे में कुछ सुनिश्चित नहीं कहा जा सकता। लोग यह सोचते हैं कि ज्यादातर हादसे पहाड़ी इलाकों में होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। हां, उन इलाकों में हादसा होने पर एक बार में ही जानी नुकसान ज्यादा होता है लेकिन ज्यादा जानें मैदानी इलाकों में जाती हैं। अगर जम्मू से लखनपुर तक ही नजर दौड़ाई जाए तो रोज दो से तीन लोग विभिन्न सड़क हादसों में जान गंवा रहे हैं। इनमें दोपहिया वाहन चालक अधिक रहते हैं। लोग अपनी गति पर नियंत्रण रखें, हेलमेट और सीट बेल्ट पहने तो हादसा होने पर गंभीर चोटों से बचा सकता है।
- नियमों का पालन न करने वालों पर क्या कार्रवाई की जा रही है?
पिछले चार महीनों में ग्रामीण इलाकों में 34 हजार गाड़ियों को सीज किया गया है जबकि 1,55,000 गाड़ियों के चालान किए गए हैं। लेकिन ट्रैफिक पुलिस का काम सिर्फ चालान करना नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक भी है। लोग हेलमेट पहने, सीट बेल्ट पहने, गाड़ी को गति सीमा में चलाएं। खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों की सुरक्षा का भी ख्याल रखें।
- लोगों के लिए कोई संदेश
युवा स्पीड को एडवेंचर न समझें। अभिभावक बच्चों को ओवरस्पीड से बचने के बारे में जागरूक करें। उन्हें ट्रैफिक नियम सिखाएं। छोटे बच्चों को मोबाइल या वीडियो गेम में भी रे¨सग गेम न खेलने दें। यहीं से बच्चा स्पीड का दीवाना बनता है और जब उसके हाथ में गाड़ी स्टेय¨रग आता है तो वह खुद को रेसर समझने लगता है। घर में ही बच्चों को सीख दे दी जाए तो ज्यादा ठीक रहेगा।