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चैंबर पदाधिकारियों के वित्तीय अधिकारों पर प्रतिबंध

जागरण संवाददाता जम्मू सेकेंड एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज जम्मू ने महत्वपूर्ण फैसले में चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू के पदाधिकारियों के वित्तीय अधिकारों पर अस्थायी रोक लगा दी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 08:26 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 08:26 AM (IST)
चैंबर पदाधिकारियों के वित्तीय अधिकारों पर प्रतिबंध
चैंबर पदाधिकारियों के वित्तीय अधिकारों पर प्रतिबंध

जागरण संवाददाता, जम्मू : सेकेंड एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज जम्मू ने महत्वपूर्ण फैसले में चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू के पदाधिकारियों के वित्तीय अधिकारों पर अस्थायी रोक लगा दी है। चैंबर के पूर्व प्रधान वाईवी शर्मा व पूर्व महासचिव पृथ्वी राज गुप्ता ने चैंबर की मौजूदा टीम के वर्ष 2018 में स्पेशल जनरल मीटिग कराकर अपना कार्यकाल बढ़ाने व चैंबर संविधान में संशोधन करने समेत कई अन्य फैसलों को चुनौती दी थी। कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद चैंबर को नोटिस जारी कर दो मार्च तक पक्ष रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि तब तक चैंबर पदाधिकारी अपने पद का इस्तेमाल नहीं कर सकते और न चैंबर का कोई वित्तीय लेनदेन कर सकते है।

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वाईवी शर्मा व पृथ्वी राज गुप्ता की ओर से दायर केस में कहा कि चैंबर रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज के तहत पंजीकृत सोसायटी है जिसका संविधान 16 मार्च 1960 को बना। संविधान के तहत चैंबर पदाधिकारियों का चयन होता है। अंतिम बार चैंबर के चुनाव पांच मार्च 2017 को हुए। दो साल के लिए टीम का चयन हुआ। टीम का कार्यकाल मार्च 2019 में समाप्त होना था। टीम ने संविधान के विरुद्ध जाकर 19 दिसंबर 2018 को होटल रेडिसन ब्लू में स्पेशल जनरल मीटिग बुलाई। इस मीटिग में न तो चैंबर संविधान में संशोधन को लेकर कोई फैसला हुआ और न ही टीम के कार्यकाल को बढ़ाने पर चर्चा हुई। इस मीटिग के मिनट्स बारे में चैंबर सदस्यों को कोई सूचना नहीं दी। चैंबर पदाधिकारियों ने 13 मार्च 2019 को विज्ञापन देकर स्पेशल जनरल मीटिग में लिए गए कथित फैसलों को सार्वजनिक किया। इस सार्वजनिक सूचना से बताया गया कि स्पेशल जनरल मीटिग में मौजूदा पदाधिकारियों के कार्यकाल को मार्च 2021 तक बढ़ा दिया है। विज्ञापन के माध्यम से चैंबर संविधान में किए अन्य संशोधनों की जानकारी भी दी। वाईवी शर्मा व पृथ्वी राज गुप्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट बीएस सलाथिया व उनकी टीम ने तर्क दिया कि चैंबर संविधान के तहत उक्त बैठक असंवैधानिक थी और उसमें लिए गए सारे फैसले असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि कार्यकाल पूरा होने के बाद चैंबर पदाधिकारियों को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं था। अवैध रूप से पदों पर रहते हुए पदाधिकारियों ने चैंबर क्लब बनाने के लिए आवेदन मांगे और सदस्यों से सदस्यता शुल्क लेना भी शुरू कर दिया। उन्हें चैंबर के बैंक खातों का इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं था। सलाथिया ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कई बार चैंबर पदाधिकारियों से अप्रैल 2019 से लंबित चुनाव करवाने की अपील की लेकिन उनकी मांग को सीधे-सीधे ठुकरा दिया। सलाथिया ने कहा कि अगर चैंबर पदाधिकारियों को इसी तरह अवैध रूप से काम करने दिया और बैंक खातों का इस्तेमाल करने दिया तो इससे संस्थान को ऐसा नुकसान होगा जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। पूरे मामले पर गौर करने के बाद कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई दो मार्च को निर्धारित करते हुए चैंबर पदाधिकारियों को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।

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-स्पेशल जनरल मीटिग में लिया गया हर निर्णय संविधान में दायरे में रहकर लिया गया था। कोर्ट ने क्या आदेश दिया है, इसकी उन्हें अभी कोई जानकारी नहीं है। कोर्ट का नोटिस मिलने पर हम अपना पक्ष रखेंगे।

-राकेश गुप्ता, प्रधान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू


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