Ladakh: राजपथ पर दिखेगी लद्दाख की संस्कृति, गणतंत्र दिवस की झांकी में शिल्प, लोक संस्कृति और संगीत की धुन सुनाई देगी
गणतंत्र दिवस समारोह में पहली बार केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की झांकी दिखाई देगी। इसमें लद्दाख के उत्सव सांप्रदायिक सद्भाव शिल्प कला संस्कृति के अलावा मठ और स्तूप से देश-दुनिया को वाकिफ करवाया जाएगा। मशहूर कलाकार वीर मुंशी इसे तैयार कर रहे हैं।
अशोक शर्मा, जम्मू : चांद की धरती कहे जाने वाला लद्दाख इस बार राजपथ पर भी अपनी चमक बिखरेगा। मौका होगा गणतंत्र दिवस समारोह में पहली बार केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की झांकी का। इसमें लद्दाख अपने उत्सवों, सांप्रदायिक सद्भाव, शिल्प, कला संस्कृति के अलावा मठ और स्तूप से देश-दुनिया को वाकिफ करवाएगा। मशहूर कलाकार वीर मुंशी झांकी को तैयार कर रहे हैं। उनका दावा है कि इससे पहले कभी ऐसी झांकी नहीं देखी होगी।
पिछले साल लद्दाख की झांकी को गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने का मौका नहीं मिला था। इस बार जम्मू-कश्मीर की झांकी तो नहीं दिखेगी, लेकिन पहली बार लद्दाख की झांकी को राजपथ पर देखने को जम्मू कश्मीर बेताब है। झांकी तैयार करवा रहे लद्दाख संस्कृति अकादमी के उप सचिव नजीर हुसैन लद्दाखी कहते हैं कि कोरोना के कारण कलाकारों की संख्या सीमित है। 12 कलाकार झांकी में भाग ले रहे हैं। कलाकारों का उत्साह देखते ही बनता है।
वे बेहतर प्रदर्शन कर लद्दाख को पर्यटन के विश्व पटल पर लाना चाहते हैं। झांकी में लद्दाख के उत्सवों के विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों का समिश्रण है। इसकी कला, वास्तुकला, भाषाओं और बोलियों, रीति-रिवाजों, परिधानों, मेलों और त्योहारों, साहित्य शिल्प, संगीत आदि के अलावा समग्र विरासत को दर्शाएगा।
बुद्ध की 49 फीट की प्रतिमा होगी : झांकी तैयार कर रहे वरिष्ठ कलाकार वीर मुंशी ने बताया कि झांकी के अगले हिस्से थिकसे मठ में कमल आसन में बैठे मैत्रेय बुद्ध की 49 फीट की प्रतिमा को दर्शाया जाएगा। दूसरा आधा हिस्सा प्रसिद्ध लेह गेटवे का होगा। पूर्वी लद्दाख के खानाबदोशों के बीच लोकप्रिय याक नृत्य का दृश्य होगा।
झांकी का पिछला हिस्सा थिकसे मठ को दर्शाएगा। 12 मंजिला मठ एक पहाड़ी के ऊपर बनाया है। मठ के किले जैसी संरचना की तुलना अक्सर तिब्बत के पोटाला पैलेस से की जाती है। इसलिए इसे मिनी पोटला कहा जाता है। नजीर ने बताया कि थिकसे मठ बौद्ध अवशेष जैसे प्राचीन थंगका, टोपी, बड़ी तलवारें, पुराने स्तूप और भी बहुत कुछ यहां मौजूद है। यहां 100 से ज्यादा बौद्ध भिक्षु और नन रहते हैं। इस संरचना में 10 मंदिर और एक असेंबली हाल है। इसका बाहरी हिस्सा लाल, गेरुआ और सफेद रंग से रंगा है। यह झांकी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होगी।
कई झांकियां तैयार कर चुके वीर : गणतंत्र दिवस की झांकी को राज्य के प्रसिद्ध कलाकार वीर मुंशी तैयार कर रहे हैं। वीर मुंशी इससे पहले भी कई बार गणतंत्र दिवस समारोह के लिए झांकी पेश कर चुके हैं। उन्हें कई बार जम्मू-कश्मीर की झांकी तैयार करने के लिए सम्मानित किया जा चुका है। इस बार उन्होंने दावा किया है कि दुनिया को अच्छी झांकी देखने को मिलेगी। जो लद्दाख को दुनिया के और नजदीक लाएगी।