गणतंत्र दिवस समारोह में सभी सरकारी कर्मचारियों की उपस्थिति के आदेश पर शुरू हुई सियासत
गणतंत्र दिवस समारोह में सभी प्रशासकीय व उच्चाधिकारियों को मौजूद रहने के सरकारी आदेश पर शुरु हुई सियासत
जम्मू,राज्य ब्यूरो। गणतंत्र दिवस समारोह में सभी प्रशासकीय व उच्चाधिकारियों को मौजूद रहने के सरकारी आदेश पर शुरु हुई सियासत को दरकिनार करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है। जो राजनीतिक दल इस मामले को राजनीतिक व सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं,वह सिर्फ अपने वोटों और सियासत की खातिर कर रहे हैं। उन्होंने इसी तरह कश्मीर का सत्यनाश किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी अपने टवीट में राज्यपाल का समर्थन करते हुए कहा कि इस तरह के आदेश पहले भी जारी किए जाते हैं। गौरतलब है गत दिनों राज्य सरकार के महाप्रशासनिक विभाग ने एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा है कि जम्मू और श्रीनगर स्थित स्थित सभी वरिष्ठ और उच्च प्रशासनिक अधिकारी,प्रशासकीय सचिव, विभागाध्यक्ष 26 जनवरी 2019 को होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में मौजूद रहें।
जम्मू में यह समारोह जम्मू विश्वविद्यालय में और श्रीनगर में शेरेकश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में होगा। समारोह में भाग न लेने को डयूटी में लापरवाही व सरकारी आदेश की अवज्ञा माना जाएगा। राज्य सरकार के इस आदेश के बाद कश्मीर में कई लोगों ने एतराज जताया है और इसे राष्ट्रवाद थाेपे जाने की संज्ञा दी है। इनमें कश्मीर में मुख्यधारा के कई राजनीतिक दल भी शामिल हैं।
राजयपाल सत्यपाल मलिक ने गणतंत्र दिवस पर सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी के आदेश पर पैदा हुए विवाद को दर किनार करते हुए कहा कि यह आदेश पहली बार नहीं है। इस तरह आदेश तो पहले भी जारी होते रहते हैं। यह किसी पर राष्ट्रवाद थोपने की बात नहीं हैं। सरकारी समारोह है और सरकारी अधिकारी वेतन लेते हैं, उन्हें सरकारी काम करना है,सरकारी समारोह में आना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि जो लोग इस मुददे पर विवाद पैदा कर रहे हैं,वह सिर्फ इस रियासत को सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद के नाम पर बांट अपनी सियासत करना चाहते हैं। वह यहां आप्रंसगिक हो चुके हैं और उन्हें अब यही रास्ता नजर आ रहा है। इन्हीं लोगों ने कश्मीर का सत्यनाश किया।
इस बीच, नेकां उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सही ठहराते हुए टवीटर पर लिखा है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी ऐसे समारोहों में सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति को अनिवार्य बनाया गया है। हकीकत तो यह है कि स्व मुफती मोहम्मद सईद तो हालात में सुधार दिखाने के लिए सरकारी और पुलिस के वाहनों में लोगों को भर-भर कर ऐसे समारोहों में जमा करते रहे हैं।