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अति फलदायी है शनैश्चरी अमावस्या, स्थापित की गई शनि शिंगनापुर की प्रतिकृति

जो हनुमान जी की पूजा करते उन्हें शनिदेव कभी पीड़ा नहीं पहुंचाते। शनि अमावस्या पर तेल चढ़ाने और दीपक जलाने से शनि दोष और पितृदोष दूर हो जाता है

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 09:34 AM (IST)
अति फलदायी है शनैश्चरी अमावस्या, स्थापित की गई शनि शिंगनापुर की प्रतिकृति
अति फलदायी है शनैश्चरी अमावस्या, स्थापित की गई शनि शिंगनापुर की प्रतिकृति

जम्मू, जागरण संवाददाता। शनैश्चरी अमावस्या इस बार 11 अगस्त यानी शनिवार को ही है। ऐसे में शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या का महत्व बढ़ जाता है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन किए गए शांति उपाय तुरंत फलदायी होते हैं। इस दिन पितरों के लिए किए गए पूजन-तर्पण से कई गुणा फल मिलता है।

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पवित्र नदियों में पितरों के नाम का स्नान करें और दान करें। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी और उनका आशीर्वाद भी मिलेगा। जिससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पीपल पेड़ को जल और पंचामृत चढ़ाएं। इसके अलावे सम्मान पूर्वक रोली से लिपटा हुआ जनेऊ अर्पण करने के बाद फूल, नैवेद्य का भोग लगाएं।

कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने बताया शास्त्रों में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के असर को कम करने के लिए शनि अमावस्या पर शनि के बीज मंत्र और ऊं शं शनैश्चराय नम: का जप करने के बारे में बताया गया है। इस दिन उड़द दाल और तिल के तेल का दान करना चाहिए। इससे पितृ दोषों से छुटकारा मिलेगा। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनि अमावस्या पर जूते-चप्पल का दान शुभ माना जाता है। इसके अलावा शमी के पेड़ की पूजा करना भी फलदायी होगा।

ऐसी मान्यता कि जो भक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं, उन्हें शनि देव कभी भी पीड़ा नहीं पहुंचाते। शनि अमावस्या पर तेल चढ़ाने और दीपक जलाने से शनि दोष और पितृदोष आसानी से दूर हो जाता है। शनि अमावस्या के दिन काली गाय की सेवा करने से भी शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन काली गाय को रोटी खिलाएं और माथे पर सिंदूर लगाएं। इस दिन सूर्यग्रहण भी लगेगा जिसका समय व सूतक काल को लेकर काफी असमंजस बना हुआ है। 

 स्थापित की गई शनि शिंगनापुर की प्रतिकृति 

 वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गांधी नगर के लक्ष्मी नारायण मंदिर में शुक्रवार को शनि शिंगनापुर की प्रतिकृति स्थापित की गई। भगवान शनि देव की यह शिला हूबहू वैसी ही थी, जैसे शिंगनापुर गांव में है। शिला के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु काफी संख्या में पहुंचे थे।

प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ में शामिल होकर श्रद्धालुओं ने परिवार की कुशलता की कामना की। इस विशेष पूजा के लिए शिंगनापुर से विशेष पंडित बुलाए गए थे। श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर मैनेजमेंट ट्रस्ट के ट्रस्टी गुलचैन सिंह चाढ़क ने बताया कि 23 अप्रैल को विधिवत पूजा-अर्चना के साथ शनि मंदिर का नींव पत्थर रखा गया था। यह मंदिर पुणो के निवासी देवेंद्र खावले ने अपने माता-पिता की याद में बनाया है।

मंदिर को वही शक्ल प्रदान की गई है जैसे की शनि शिंगनापुर में मुख्य मंदिर है। भगवान शनि के दर्शन व आशीर्वाद पाने के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ था। हवन में पूर्णाहुति अर्पित करने के बाद श्रद्धालुओं ने प्रसाद भी ग्रहण किया। इस अवसर पर पूरे मंदिर को विशेष तौर पर सजाया गया था। चाढ़क ने बताया कि शिला स्थापना करने के लिए शिंगनापुर से आए पंडितों में मनधर कुलकर्णी, ऋषिकेश कुलकर्णी, अनंथ कुलकर्णी, रुस्बा जोशी और दीपक कुलकर्णी शामिल हैं।

उन्होंने पूर्णाहुति अर्पित करते हुए जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए भी भगवान शनि देव से प्रार्थना की। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। चाढ़क ने बताया कि शिला स्थापना करने के लिए शिंगनानापुर से आए पंडितों में मनधर कुलकर्णी, ऋषिकेश कुलकर्णी, अनंथ कुलकर्णी, रुस्बा जोशी और दीपक कुलकर्णी शामिल हैं। उन्होंने पूर्णाहुति अर्पित करते हुए जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए भी भगवान शनि देव से प्रार्थना की। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।


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