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जम्मू: विरासत समेटे साइंस कालेज का जीर्णोद्धार हुआ शुरू, पारंपरिक तरीके से हो रहा है चीजों का इस्तेमाल

कालेज की विरासत इमारतों की संरक्षण के लिए 5.87 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसमें कालेज के मुख्य ब्लाक के संरक्षण के लिए 2.28 करोड़ जियोलाॅजी ब्लाक के लिए 1.94 करोड़ रुपये और फिजिक्स व केमिस्ट्री ब्लाक के लिए 1.65 करोड़ रुपये मिले हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 07:27 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 07:27 PM (IST)
जम्मू: विरासत समेटे साइंस कालेज का जीर्णोद्धार हुआ शुरू, पारंपरिक तरीके से हो रहा है चीजों का इस्तेमाल
हेरिटेज का दर्जा उन कॉलेजों को मिला जो एक सौ साल से अधिक पुराने हैं।

जम्मू,राज्य ब्यूरो। विरासत समेटे हुए जम्मू के ऐतिहासिक साइंस कालेज का जीर्णोंद्वार कार्य शुरू हो गया है। कालेज की विरासत इमारतों की संरक्षण के लिए 5.87 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसमें कालेज के मुख्य ब्लाक के संरक्षण के लिए 2.28 करोड़, जियोलाॅजी ब्लाक के लिए 1.94 करोड़ रुपये और फिजिक्स व केमिस्ट्री ब्लाक के लिए 1.65 करोड़ रुपये मिले हैं। शुरुआत में फिजिक्स व केमिस्ट्री ब्लाक के जीर्णोंद्वार का कार्य शुरू किया गया है।

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हालांकि सरकार ने धनराशि जारी करने का फैसला पिछले साल मार्च में किया था लेकिन कोरोना से उपजे हालात व टेंडर प्रक्रिया में समय लग गया। इसके सीमेंट का उपयोग नहीं किया जा रहा है बल्कि पारंपरिक तरीके से उन्हीं चीजों का इस्तेमाल हो रहा है जिससे कालेज की विरासती इमारत का स्वरूप न बिगड़े। कालेज की इमारतों में कई जगह दरारें आ चुकी हैं। बरसात में कुछ जगहों से पानी टपकता है। दीवारों में कई जगहों पर झाडिय़ां उग आई हैं। छतों पर भी वृक्ष उगे हुए हैं। कालेज में कमरोें की छतों से बारिश के दौरान होने वाली लीकेज को भी बंद किया जाएगा। मुख्य ब्लाक में फर्श की मरम्मत की जाएगी। वर्ष 2015 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कॉलेज को हेरिटेज का दर्जा प्रदान किया।

हेरिटेज का दर्जा उन कॉलेजों को मिला जो एक सौ साल से अधिक पुराने हैं। कई नामी हस्तियों को पहचान देने वाला साइंस कालेज वर्ष 1905 में प्रिंस ऑफ वेल्स के दौरे का साक्षी रहा है। इंग्लैंड से जब प्रिंस ऑफ वेल्स जम्मू आए थे तो उनके सम्मान में कालेज खोला गया, जिसका नाम प्रिंस ऑफ वेल्स कालेज रखा गया था। उस समय जम्मू कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह थे।देश की आजादी से पहले साइंस कालेज पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से मान्यता प्राप्त था। आजादी के बाद वर्ष 1969 तक कश्मीर विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त रहा। उसके बाद वर्ष 2017 तक यह कॉलेज जम्मू विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त रहा। अब यह क्लस्टर विवि जम्मू के अधीन है।

कालेज के प्रिंसिपल व जम्मू संभाग के डिग्री कालेजों के नोडल अधिकारी प्रो. रविंद्र टिक्कू का कहना है कि कालेज की विरासती इमारतों के संरक्षण के लिए सरकार ने धनराशि उपलब्ध करवाई है। हम विशेषज्ञों की सलाह अनुसार कालेजों की विरासत वाली इमारतों की मरम्मत पारंपरिक तरीके से करवा रहे हैं। इससे प्राचीन इमारतों के स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। चरणबद्ध तरीके से काम हो रहा है। लीकेज को दूर किया जाएगा। फर्श व अन्य मरम्मत कार्य किए जाएंगे। कोशिश है निर्धारित समय के भीतर कार्य पूरा कर लिया जाए।

कालेज के प्रशासनिक ब्लॉक में प्रिंसिपल का कमरा, परीक्षा हॉल व अन्य कमरे हैं। जियोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री ब्लॉक, ब्वॉयज हॉस्टल और लाइब्रेरी इतिहास समेटे हुए है।जियोलॉजी विभाग में म्यूजियम है जिसमें वर्षो पुरानी दुर्लभ वस्तुएं हैं। लाइब्रेरी में पुरानी व ऐतिहासिक पुस्तकें हैं। हेरिटेज गैलरी है जिसमें वर्षो पुरानी फोटो है। पुराने उपकरण जियोलॉजी विभाग में मौजूद हैं।


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