जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से रिफ्यूजी बच्चों के सपनों को लग रहे पर
जम्मू-कश्मीर की प्रशासनिक नौकरी के लिए अब रास्ते खुल गए हैं। अब वह विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा पूरी कर यहीं उच्च नौकरी पाने के लिए तैयारी कर रहे हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता। अनुच्छेद 370 खत्म होते ही 72 साल बाद जम्मू कश्मीर के निवासी बने पश्चमी पाकिस्तानी रिफ्यूजियों के युवा अब अपने सपनों को उड़ान देने लगे हैं। जम्मू कश्मीर की नौकरियों को पाने के लिए इन युवाओं ने भी मेहनत शुरू कर दी है।
पहले अनुच्छेद 370 के रहते यह युवा जम्मू कश्मीर की नौकरियों से दूर थे। पढ़-लिखकर भी उन्होंने यहां की नौकरियों के लिए आवेदन का अधिकार नहीं था। लेकिन यह अधिकार अब मिल चुका है। युवाओं के डोमिसाइल प्रमाण पत्र भी बनने आरंभ हो गए हैं। बस अब नौकरियों के लिए यह युवा आवेदन करेंगे। जम्मू-कश्मीर की नौकरियों में अपनी जगह बनाएंगे।
पुरखू गांव के 27 साल के युवा पिंकू कुमार का कहना है कि अब पढऩे में भी खूब मन लग रहा है। पहले पढ़ते तो थे लेकिन मन में यही बात बनी रहती थी कि जम्मू-कश्मीर की नौकरी तो मिलनी नहीं। इससे हताशा होती थी, लेकिन अब हौसले बुलंद हैं। वहीं रणवीर सिंह पुरा के शुभम चौधरी 19 वर्ष के हैं और कालेज में पढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर की प्रशासनिक नौकरी के लिए अब रास्ते खुल गए हैं। अब वह विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा पूरी कर यहीं उच्च नौकरी पाने के लिए तैयारी कर रहे हैं।
वेस्ट पाक रिफ्यूजी फ्रंट के प्रधान लब्बा राम गांधी का कहना है कि बीते सात दशकों में यह रिफ्यूजी लोग जम्मू-कश्मीर की नागरिकता के लिए संघर्ष करते रहे। किसी भी सरकार ने इन रिफ्यूजी लोगों को अधिकार दिलाने के लिए गंभीरता नहीं दिखाई। मगर वर्तमान केंद्र सरकार ने हमारे लोगों का सपना साकार कर दिया। देर से ही सही लेकिन अब हम लोग जम्मू-कश्मीर के नागरिक हैं। यह जानकर खुशी हो रही है कि अब हमारे बच्चे यहां की नौकरियों में अपनी जगह बना सकेंगे।