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कश्मीरियत की मजबूत इमारत का प्रतीक है ‘रियल कश्मीर’

रियल कश्मीर फुटबाल क्लब घाटी की तस्वीर बदलकर हिन्दु-मुस्लिम एकता की एक नई इमारत खड़ी कर रही है। इसकी नींव एक कश्मीरी मुस्लिम और कश्मीरी पंडित ने ही रखी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 12:38 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 12:38 PM (IST)
कश्मीरियत की मजबूत इमारत का प्रतीक है ‘रियल कश्मीर’
कश्मीरियत की मजबूत इमारत का प्रतीक है ‘रियल कश्मीर’

श्रीनगर, नवीन नवाज। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में सुबह के साढ़े छह बज चुके हैं। सूरज की पहली किरण के साथ ही युवा एक जगह इकट्ठा होने लगे हैं, लेकिन यहां न तो पत्थरबाजी की कोई रणनीति बन रही है और न ही आतंकवाद या सर्जिकल स्ट्राइक पर कोई चर्चा। ठंड के कारण चेहरों को मफलर और टोपियों से छिपाए इन युवाओं के हाथ खाली हैं, लेकिन पैरों पर फुटबाल नाच रही है। अभ्यास सत्र के लिए जुट रही खिलाड़ियों की यह टीम है रियल कश्मीर फुटबाल क्लब की, जो घाटी की तस्वीर बदलकर हिन्दु-मुस्लिम एकता की एक नई इमारत खड़ी कर रही है। इसकी नींव भी एक कश्मीरी मुस्लिम और कश्मीरी पंडित ने ही रखी है। जिनके नाम शमीम मेराज और और संदीप चट्टू है।

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वर्ष 2007 में स्थापित आइ लीग में जगह बनाने वाला कश्मीर का पहला क्लब है रियल कश्मीर। यह कहते हुए शमीम की आंखों में एक चमक दिखाई देती है। वह इस क्लब के बनने की दास्तां सांझा करते हैं। कहते हैं, मुझे आज भी याद है दिसंबर 2014 की बाढ़, जिसमें सब कुछ तबाह हो गया था। झेलम का पानी उतर चुका था, लेकिन निशान बाकी थे। एक दिन अपने दोस्तों के साथ सनंतनगर से गुजर रहा था। हालात से परेशान हम एक पार्क के पास बैठ गए। कुछ बच्चों को फुटबाल खेलते देख हम भी मैदान में आ गए। उस दिन आधा घंटा खेला, फिर यह सिलसिला बन गया। एक दिन कालोनी में रहने वाले एक बुजुर्ग ने हमें रोका और कहा कि यह हाउसिंग कालोनी का पार्क है, फुटबाल का मैदान नहीं। कहीं और जाकर खेलो। उस दिन हमें खेल अधूरा छोड़ना पड़ा और सब अपने घरों को चले गए। घर आकर मुझे फुटबाल क्लब बनाने का ख्याल आया। इस मार्फत अपने दोस्त संदीप चट्टू से बात की।

 

2016 में यह ख्याल हकीकत में बदला और रियल कश्मीर फुटबाल क्लब की स्थापना की। धीरे-धीरे खिलाड़ी जुड़ते गए और हम प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर आगे बढ़ते गए। शुरूआत में कई मैच हारे लेकिन 2017 में आइ लीग में जगह बनाकर एक आत्मविश्वास जागा कि हम सही ट्रैक पर हैं। एक स्थानीय अखबार में संपादक शमीम कहते हैं कि पहले मेरी पहचान एक पत्रकार के तौर पर थी परंतु आज यह क्लब मेरी पहचान बन चुका है। उनके दोस्त संदीप चट्टू एक होटल व्यवसायी हैं। कहते हैं, हम युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा देना चाहते थे। उनके बीच मजहबों की दीवार गिराना चाहते थे और इसमें हमारी मदद की फुटबाल ने।

आज इस खेल का मैदान कश्मीर में हिन्दु-मुस्लिम दोस्ती के पुल का काम कर रहा है। सिर्फ राज्य से ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों से, यहां तक कि विदेश से भी आए खिलाड़ी इसका हिस्सा बन गए हैं। आज हमारी टीम में 30 खिलाड़ी हैं, जिसमें 15 स्थानीय, छह विदेशी और नौ देश के अन्य राज्यों से हैं।

विदेशी कोच, हिन्दी गालियां

संदीप चट्टू कहते हैं, लोग कश्मीर को धरती के स्वर्ग के रूप में जानते हैं। हम इसे फुटबाल का स्वर्ग बनाना चाहते हैं। इसीलिए खिलाड़ियों को तराशने के लिए विदेशी कोच से अनुबंध किया है। स्काॅटलैंड के पूर्व फुटबाल खिलाड़ी डेविड राबर्टसन इसी टीम के कोच हैं। अपने सहायक जिमी लिंडसे के साथ इस टीम को धार देने में लगे हुए हैं।

एक साल से श्रीनगर में रह रहे डेविड कश्मीर को पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपने बेटे को भी क्लब में खेलने के लिए स्कॉटलैंड से कश्मीर बुला लिया। डेविड कहते हैं, एक समय था, जब मैं कश्मीर ही नहीं, हिन्दुस्तान के बारे में भी कुछ नहीं जानता था। आज यह देश और यह टीम मेरे लिए बहुत मायने रखती है। टीम के साथ बेहतर तालमेल बिठाने के लिए वह गुस्से में हिन्दी गालियां भी देते हैं, जिसे कुछ खिलाड़ी तो समझ लेते हैं, लेकिन विदेशियों को उनका मतलब अभ्यास सत्र के बाद साथी खिलाड़ियों से पता चलता है। आज उनके पास कोचिंग के चार ऑफर है, लेकिन वह इस टीम को ही ऊंचाई छूते देखना चाहते हैं। 


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