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Kashmir Situation: बिना कश्मीर जाए जम्मू से पहुंचें लद्दाख, सुरक्षा लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण

बिना कश्मीर जाए जम्मू से पहुंचें लद्दाख। देश-विदेश के टैकर्स की भी पहली पसंद रहा है कारगिल का जंस्कार। सुरक्षा लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 08:47 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 06:37 PM (IST)
Kashmir Situation: बिना कश्मीर जाए जम्मू से पहुंचें लद्दाख, सुरक्षा लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण
Kashmir Situation: बिना कश्मीर जाए जम्मू से पहुंचें लद्दाख, सुरक्षा लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण

किश्तवाड़, बलबीर सिंह जम्वाल। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से सीमा साझा कर रहे केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को आपस में और करीब लाने व सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण एक अन्य वैकल्पिक मार्ग बनाने पर काम शुरू हो गया है। इस मार्ग से कश्मीर जाए बिना जम्मू से सीधा लद्दाख पहुंचना संभव होगा।

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जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले के मचैल से वैकल्पिक मार्ग बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। यह रास्ता किश्तवाड़ से गुलाबगढ़, चशोती, मचैल, सुनचांम होते हुए जंस्कार (कारगिल) से जुड़ेगा। नया मार्ग तैयार होने के बाद किश्तवाड़ से जंस्कार की दूरी करीब 200 किलोमीटर होगी। यानी जम्मू से जंस्कार पहुंचने के लिए 403 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा। यदि पुराने रूट जम्मू से श्रीनगर होते हुए जंस्कार पहुंचना हो तो यह दूरी लगभग 720 किलोमीटर होगी।

कारगिल का जंस्कार क्षेत्र ट्रैकर्स की भी पहली पसंद है। यहां देश-विदेश से टै्रकर्स टैकिंग करने पहुंचते हैं। ऐसे में सैलानियों को भी जम्मू-किश्तवाड़-जंस्कार मार्ग लुभाएगा। सेना की विंग बीकन की 118 आरसीसी कंपनी इस वैकल्पिक मार्ग का सर्वे करने में जुटी हुई है।

ये होगा रूट:

किश्तवाड़ से गुलाबगढ़ 70 किलोमीटर, गुलाबगढ़ से चशोती 19 किलोमीटर, मचैल 29 किलोमीटर, सुनचांम 45 किलोमीटर, उमाशिला 87 किलोमीटर दूर है। किश्तवाड़ से जंस्कार कुल 200 किलोमीटर में कई ग्लेशियर भी आएंगे।

हिमाचल-चंडीगढ़ से भी जुड़ रहा रास्ता :

उमाशीला (जंस्कार) से आगे रास्ता पदम से होते हुए हिमाचल प्रदेश के केलांग से भी मिलता है जिसकी दूरी 200 किलोमीटर है। इसका एक हिस्सा कारगिल की तरफ भी जाता है। अगर यह सड़क तैयार होती है तो चंडीगढ़ से बाया केलांग से होते लेह-कारगिल और उमाशीला के रास्ते किश्तवाड़ में पहुंचा जा सकता है। अगर मनाली (हिमाचल) के रास्ते से बाया कैलाड़ संसारी नाला से गुलाबगढ़ पहुंचना हो तो गुलाबगढ़ से बाया मचैल-जंस्कार के रास्ते कारगिल और लेह में जाना और आसान होगा। गुलाबगढ़ से संसारी नाला (हिमाचल सीमा) तक सड़क का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। अब तैयारी शभाश सड़क बनाने की है। किश्तवाड़ से संसारी नाले तक सड़क तैयार हो चुकी है। किश्तवाड़ जिला प्रशासन की मांग है कि 118 आरसीसी गुलाबगढ़ से मचैल-जंस्कार की सड़क का काम शुरू करे।

डिफेंस रोड माना जाएगा :

किश्तवाड़ के मचैल से जंस्कार सड़क को डिफेंस रोड माना जाएगा। पर्यटकों को आने जाने में भी आसानी होगी। बाया मचैल सुनचांम के रास्ते से पहले कई विदेशी पर्यटक ट्रै¨कग के लिए आते थे। मचैल का रास्ता कई सदियों से इस्तेमाल होता रहा है। जनरल जोरावर ने जब गिलगित पर फतेह पाई थी तो वह भी मचैल के रास्ते से ही गिलगित पहुंचे थे।

मचैल के रास्ते सुनचांम उमाशीला से होते हुए कारगिल की सड़क पर विचार कर रहे हैं। अगर केंद्र इसमें सहमति जताती है तो यह काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। किश्तवाड़ गलहार से संसारी नाला तक काम लगभग पूरा हो गया है। हमने उन सभी जगहों पर क्रैश बैरियर लगाए हैं जहां दुर्घटना होने का डर रहता था।'-लेफ्टिनेंट कर्नल शिव बहादुर बीकन के 118 आरसीसी के ऑफिसर कमां¨डग

118 आरसीसी का काम काफी सराहनीय है। हमने इन्हें प्रशंसा पत्र भी दिए हैं। हम चाहते हैं कि अब मचैल से जंस्कार के लिए सड़क का काम भी बीकन ग्रेफ को दिया जाए। ताकि किश्तवाड़ को लेह लद्दाख के साथ जोड़ा जाए। इससे जिला किश्तवाड़ में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी और यहां का विकास भी होगा।'-अंग्रेज  राणा, पूर्व डीसी किश्तवाड़ 


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