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Jammu Dusshera 2022: बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतलों के दहन के साथ श्री राम से गूंजा शहर

पुराने शहर के परेड ग्राउंड गांधी नगर के अप्सरा रोड समेत शहर के विभिन्न हिस्सों में बुधवार को पूरे उत्साह के साथ रावण दहन किया गया। दो साल के बाद शहर में एक बार फिर से झांकियां निकली और जहां-जहां रावण दहन था वहां-वहां बाजार सजे थे।

By ashok sharmaEdited By: Vikas AbrolPublished: Wed, 05 Oct 2022 09:17 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 09:17 PM (IST)
Jammu Dusshera 2022: बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतलों के दहन के साथ श्री राम से गूंजा शहर
जम्मू के परेड ग्राउंड में दशहरा पर्व के मौके पर मेघनाद का पुतला दहन करते हुए।

जम्मू, जागरण संवाददाता : बुराई पर अच्छाई की विजय, पाप पर पुण्य की विजय, अत्याचार पर सदाचार की विजय, क्रोध पर दया की विजय का पर्व विजय दशमी पूरी धार्मिक आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया गया।जगह-जगह बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया।सोने की लंका को जलाया गया।

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इस दहन के साथ यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि एक न एक दिन बुराई की हार जरूर होती है। चाहे वह कितनी भी ताकतवर क्यों न हो। यह संदेश समाज में फैला हुआ है लेकिन इसको मन में बसाने की जरूरत है। रावण का पुतला फूंकने का संदेश यह जाता है कि बुराई का पुतला जला दिया गया। लेकिन इससे कहीं ज्यादा जरूरी और सबसे ज्यादा जरूरी है कि मन के भीतर जो रावण का पुतला खड़ा है या बुराई बसी हुई है। उसको जलाया जाए चूंकि रावण दहन सभी देख रहे होते हैं तो यह भी समझना जरूरी है कि मन के भीतर के रावणी पुतले को नष्ट करना भी जरूरी है तभी तो समाज में संयमित और अनुशासित रहते हुए नैतिक गुणों के समावेश के साथ सभ्य नागरिक बना जा सकेगा।

रावण अत्यंत विद्वान था। ईश्वर की आराधना में उसकी बराबरी करने वाला कोई नहीं था। तीनों लोक में उसकी वीरता का डंका बजता था लेकिन उसको भी केवल और केवल उसके मन के भीतर बसे बुराई रूपी रावण के पुतले ने ही मतिभ्रष्ट की स्थिति तक पहुंचाया था।दशहरे का मुख्य कार्यक्रम परेड ग्राउंड में हुआ। वहीं दशहरा ग्राउंड गांधीनगर, भगवती नगर, सैनिक कालोनी, जानीपुर आदि कई क्षेत्रों में सामाजकक समारोह एवं रावण दहन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।सभी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग दशहरा मनाने पहुंचे हुए थे।दशहरे को लेकर बव्च्चों में खासा उत्साह देखने को मिला।बाजारों और दशहरा स्थलों पर मेले जैसा माहौल था। गांधीनगर में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री गुलचैन सिंह चाढ़क ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। यह पर्व प्रेम, भाईचारा और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। श्री सनातन धर्म नाटक समाज दीवाना मंदिर राम लीला क्लब ने रामलीला स्थल पर पूजा अर्चना कर झांकी निकाली और बानर सेना भगवान राम जी के रथ के साथ झांकी के रूप में परेड ग्राउंड पहुंची। यही पर अंतिम युद्ध के दृश्य दर्शाए गए।परेड में भगवान राम जी के रथ का स्वागत संत दिनेश भारती, महंत रामेश्वर दास, श्री सनातन धर्म के अध्यक्ष पुरुषोत्तम दधिची एवं कई गणमान्य लोगों ने किया और पूजा अर्चना में शामिल हुए।

दो साल बाद हुआ आयोजन

कोरोना संकटकाल के दौरान दो साल तक जम्मू में रावण दहन नहीं हुआ। दो सालों तक विजयदशमी की परंपरा निभाई गई लेकिन इस बार विजयदशमी का त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाया गया और एक बार फिर शहर में विजयदशमी पर त्योहारों की रौनक नजर आई। पुराने शहर के परेड ग्राउंड, गांधी नगर के अप्सरा रोड समेत शहर के विभिन्न हिस्सों में बुधवार को पूरे उत्साह के साथ रावण दहन किया गया। दो साल के बाद शहर में एक बार फिर से झांकियां निकली और जहां-जहां रावण दहन था, वहां-वहां बाजार सजे थे। छोटे-छोटे बच्चे एक बार फिर इस बाजारों में धनुष-बाण व मुखौटें खरीदते नजर आए। विजयदशमी पर सुबह से ही तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गई थी और दोपहर बाद लोग रावण दहन देने के लिए पहुंचना शुरू हो गए थे। बुधवार को एक बार फिर भारी संख्या में लोग बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद का दहन देखने पहुंचे। 


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