Jammu: सास-ससुर और पति के न होते हुए भी रानो देवी ने संभाल रखा है कुनबा
रानो खुद को खुशनसीब मानती हैं कि उनका परिवार एक साथ रह रहा है। देवर-देवरानी भी अपने बेटे-बहू के समान लगते हैं। वे मेरा बहुत सत्कार करते हैं।
जम्मू, सुरेंद्र सिंह। पहले सास-ससुर और फिर पति के निधन के बाद भी रानो देवी ने अपने परिवार को बिखरने नहीं दिया। संयुक्त परिवार क्या होता है और यह क्यों जरूरी होता है, इसकी शिक्षा रानो देवी से मिलती है। लॉकडाउन में भी परिवार एक साथ रहते हुए दूसरों के लिए मिसाल कायम कर रहा है।
अखनूर के चन्नी टरगवाल में अपने दो बेटे-बहुओं, देवर-देवरानी व देवर के तीन बच्चों के साथ रह रही रानो देवी परिवार में सबसे बुजुर्ग भी हैं। रानो देवी के देवर मनोहर लाल भाभी को मां का दर्जा देते हैं। मनोहर लाल का कहना है कि भाभी ने मुझे मां की कमी महसूस नहीं होने दी। जिस तरह एक मां अपने बेटे का ख्याल रखती है, उसी तरह मेरी भाभी ने मेरा ख्याल रखा। भाई की मौत के बाद भी उन्होंने परिवार को बिखरने नहीं दिया। हमें एक सूत्र में पिरोकर रखा। रानो देवी के दो बेटे हैं। एक अरुण शर्मा सेना में हैं, दूसरा गगनदीप शिक्षक हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। वे पत्नियों के साथ मां के पास ही रहते हैं। इस समय अरुण राज्य से बाहर तैनात हैं। उनकी पत्नी भी कुछ दिन के लिए उनके पास गई थीं जो लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गई हैं।
रानो खुद को खुशनसीब मानती हैं कि उनका परिवार एक साथ रह रहा है। देवर-देवरानी भी अपने बेटे-बहू के समान लगते हैं। वे मेरा बहुत सत्कार करते हैं। रानो के बेटे गगन का कहना है कि परिवार के सब सदस्य शाम को एक साथ खाना न खाएं तो कुछ खालीपन महसूस होता है। भाई सेना में हैं जो कभी-कभी ही घर आते हैं। उनकी कमी महसूस होती है। गगन का कहना है कि परिवार के सभी सदस्य जब इकट्ठा होते हैं तो काफी खुशी होती है। लॉकडाउन में इस समय सभी लोग घर में ही रहते हुए शारीरिक दूरी के नियमों का पालन भी कर रहे हैं ताकि कोरोना संक्रमण को हराया जा सके।