Raksha Bandhan 2020: लद्दाख में ड्यूटी दे रही सैनिकों की कलाइयों पर सजी देश के कोने-कोने से आई राखियां
सैनिकों के प्रति जवानों की भावना को समझते हुए उत्तरी कमान ने इन राखियों को दूरदराज में तैनात जवानों को भेजने की व्यवस्था की थी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू की गर्मी से लेकर सियाचिन की खून जमाने वाली सर्दी में सरहद पर खड़े जवानों तक रक्षाबंधन पर देश के कोने से कोने से आई राखियों ने देश के मिट्टी के लिए मर मिटने के जज्बे को बल दिया। देश भर से बहनों द्वारा भेजी गई राखियां पूर्वी लद्दाख में चीन के सामने डटे सेना के जवानों तक भी पहुंची।
भाइयों की लंबी आयु की कामना करने के लिए मनाए जाने वाले रक्षाबंधन के त्यौहार पर देश के विभिन्न राज्यों की बहनों ने उन भाईयों को भी याद रखा जो घरों से दूर चुनौतीपूर्ण हालात में देशसेवा कर रहे हैं। महिलाओं के कई संगठनों, छात्राओं ने सैनिकों, सीमा प्रहरियों व सुरक्षाकर्मियों के लिए डाक के माध्यम से राखियां भेजने की व्यवस्था की थी। राखियां भेजने वालों में अन्य राज्यों के साथ देश के उत्तर पूर्वी राज्यों की बहनें भी शामिल थी। पहले कई महिलाओं के संगठन देश के अन्य हिस्सों से राखियां लेकर सरहद पर जवानों के बीच पहुंचते थे। इस बार कोरोना संक्रमण से उपजे हालात में उनका आना संभव नही हुआ। ऐसे में डाक व कोरियर के जरिए राखियां पहुंची।
सैनिकों के प्रति जवानों की भावना को समझते हुए उत्तरी कमान ने इन राखियों को दूरदराज में तैनात जवानों को भेजने की व्यवस्था की थी। ऐसे में सोमवार सुबह रक्षाबंधन के दिन जम्मू, उधमपुर, श्रीनगर, कारगिल व लेह में छोटे छोटे कार्यक्रमों के दौरान ये राखियां सैनिकों ने एक दूसरों को बांधी। ऐसे में रक्षाबंधन के दिन हाथ में बंदूक लेकर डयूटी कर सैनिकों की कलाईयों पर बंधे रक्षा सूत्र ने उनका मनोबल बढ़ाया।
सेना की उत्तरी कमान के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल अभिनव नवनीत ने बताया कि सैनिकों के लिए देश के कोने कोने से राखियां आई हैं। उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन के त्यौहार देशवासियों को यह याद दिलाता है कि दूर सरहद पर भी कोई है जो हर वक्त देश की सेवा कर रहा है। देशवासियों का प्यार और सम्मान की सेना की ताकत है। डयूटी कर रहे सैनिक उन्हें याद रखने वाले देशवासियों के सदैव आभारी हैं।