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Jammu: करोड़ों बेटियों के लिए प्रेरणा है माव्या, जम्मू-कश्मीर से बनी पहली महिला फाइटर पायलट

मां सुषमा का कहना है कि माव्या को खाने का शौक है। राजमा चावल पनीर उसके पसंदीदा डिश हैं। माव्या को एयरफोर्स में ट्रेनिंग के दौरान बेस्ट कैडेट का भी खिताब मिल चुका है। घर में ऐसी कोई जगह नहीं होगी जहां माव्या के तमगे शोभा न बढ़ा रहे हों।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 10:20 AM (IST)
Jammu: करोड़ों बेटियों के लिए प्रेरणा है माव्या, जम्मू-कश्मीर से बनी पहली महिला फाइटर पायलट
माव्या को नियम कानून का उल्लंघन करने वालों से उसे सख्त चिढ़ है।

जम्मू, अवधेश चौहान: 'मंजिल घूमती है तो क्या हुआ, निशाना मेरा अर्जुन के तीर जैसा है, मुश्किलें तो बहुत हैं राह में, लेकिन इरादा मेरा इस देश के वीर जैसा है' यह शब्द जम्मू की पहली और देश की बारहवीं महिला एयर फोर्स फाइटर पायलट माव्या सूदन पर सटीक बैठते हैं। माव्या हाल ही में भारतीय वायु सेना में शामिल हुई हैैं।

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24 साल की फ्लाइंग आफिसर माव्या सूदन की सफलता के बारे में उनके पिता विनोद सूदन कहते हैं कि बचपन से ही उसे एयरफोर्स में पायलट बनने का शौक था। बचपन में वह कमरे की दीवारों पर फाइटर एयरक्राफ्ट की तस्वीरें उकेरा करती थी। इन अरमानों के पंखों के सहारे माव्या ने आज जो सफलता हासिल की है, उससे देश की करोड़ों बेटियों को आसमान छूने की प्रेरणा मिलेगी। पेशे से इंजीनियर विनोद सूदन का कहना है कि माव्या जो ठान लेती थी, उसे पूरा करके ही मानती थी। फिर दुनिया की कोई ताकत उसे दूसरी सोच पर मजबूर नहीं कर सकती थी।

दस वर्ष पहले ही उसका एक ही लक्ष्य था, इंडियन फोर्स में फाइटर पायलट बनना। वर्ष 2016 में महिलाओं को एयरफोर्स में शामिल करने का प्रचलन शुरू हुआ, तो उसकी जिज्ञासा पूरी होती दिखी। परिवार वर्ष 2000 में सीमावर्ती राजौरी जिले के लंबेड़ी इलाके से जम्मू की सैनिक कालोनी में आकर बस गया। माव्या के पिता कहते हैैं कि उनकी दो बेटियों में बड़ी तान्या मल्टीनेशनल कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर है। माव्या, उनके बड़े भाई राज सूदन की बेटी सुजाता परिवार के लिए संपत्ति की तरह है। बेटियों को पढ़ा-लिखा कर अच्छे मुकाम तक पहुंचाना मेरा कर्तव्य है। बड़ी बहनों की सोच और मां सुषमा सूदन के मार्गदर्शन ने माव्या को ऐसा मजबूत बना दिया कि उसने जो लक्ष्य चुना, उसे पूरा किया।

माव्या को नेचर से बहुत लगाव है। यदि कोई पौधा सूखने लगता है तो वह चिंतित हो जाती है। बचपन में रोलर स्केंटिंग, तैराकी, बैडमिंटन, चेस, साइकिलिंग, पेंटिंग के अलावा किताबें पढऩे का उसे काफी शौक था। उनके ताया राजसूदन ने तो घर में पूरी लाइब्रेरी बना रखी है। ऐसी कोई किताब नहीं होगी, जिसे माव्या ने न पढ़ा हो। नियम कानून का उल्लंघन करने वालों से उसे सख्त चिढ़ है। ड्राइविंग करते समय रेड सिग्नल को जो तोड़ता है, उससे खफा हो जाती है। एक बार तो उसने ऐसे व्यक्ति को रोक कर सबक तक सिखाया। पिता विनोद सूदन बताते हैैं कि बचपन में घर पर सूखने के लिए रखे कपड़े चोरी हो गए। घरवालों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन माव्या नहीं रुकी। जिद करके मुझे रिपोर्ट लिखाने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंच गई। यहां तक कि उसने जिस व्यक्ति पर शक जाहिर किया, उसने चोरी की बात स्वीकार कर ली।

ट्रेवलिंग व फोटोग्राफी का भी शौक: मां सुषमा सूदन का कहना है कि माव्या को खाने का शौक है। राजमा चावल, पनीर उसके पसंदीदा डिश हैं। माव्या को एयरफोर्स में ट्रेनिंग के दौरान बेस्ट कैडेट का भी खिताब मिल चुका है। घर में ऐसी कोई जगह नहीं होगी, जहां माव्या के तमगे शोभा न बढ़ा रहे हों। जानवरों के प्रति उसका लगाव देखते ही बनता है। उसने कुछ आवारा कुत्तों को संभल रखा है। ट्रेवलिंग, फोटोग्राफी का शौक उसे अपने ताया राज सूदन से मिला। सूदन बीबीसी में फोटोग्राफर रह चुके है। उन्हेंं एडवेंचर टूर करने का बहुत शौक है। घरवाले उनके जम्मू पहुंचने के इंतजार में हैं। बड़ी बहन की 4 साल की बेटी निविदिता अपनी मौसी माव्या के जम्मू पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने माव्या की सफलता पर बधाई देते हुए कहा है कि देश के लिए खुशी का मौका है, आपने तो इतिहास गढ़ दिया है। आपकी सफलता ने देश की लाखों बेटियों को सपनों के पंख दिए हैं।

सहेलियों में प्रिय थी माव्या: माव्या ने शुरुआती पढ़ाई कार्मल कान्वेंट स्कूल जम्मू से की। दसवीं और बारहवीं उन्होंने जेके पब्लिक स्कूल जम्मू से करने के बाद उन्होंने पालिटिकल साइंस और इकोनामिक्स में डीएवी चंडीगढ़ से डिग्री की। चंडीगढ़ में एनसीसी करने वाली सहेलियों में माव्या प्रिय थी, क्योंकि यह लड़कियां खेलकूद में हिस्सा लेकर खुद को फिट रखती थीं। पंजाब यूनिवॢसटी से डिफेंस स्टडी में पीजी किया। एफसीएटी की परीक्षा दी। साथ में सीडीएस की परीक्षा अपने ज्ञान को परखने को दिया, लेकिन एफसीटी के परिणाम में माव्या मेरिट में आ गई। उन्होंने बचपन से लेकर पीजी करने तक कोई भी कोचिंग नहीं ली। 


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