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शिक्षक दिवस: इच्छा शक्ति के तेल से जली शिक्षा की लौ बन गई मशाल

आज उनके स्कूल में 204 बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं। उन्हें उस दिन और खुशी होगी जब ये बच्चे समाज में बेहतर मुकाम हासिल करेंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 01:13 PM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 01:13 PM (IST)
शिक्षक दिवस: इच्छा शक्ति के तेल से जली शिक्षा की लौ बन गई मशाल
शिक्षक दिवस: इच्छा शक्ति के तेल से जली शिक्षा की लौ बन गई मशाल

जम्मू, अवधेश चौहान। आज के दौर में शिक्षा कमाई का सबसे बड़ा साधन बन गई है, ऐसे में जम्मू के राजेश शर्मा ने झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए जम्मू के छन्नी हिम्मत में स्कूल खोल दिया है। स्कूल भी ऐसा की आप देखकर दंग रह जाएंगे। यहां पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ वे सुविधाएं भी दी जा रही हैं, जो अमीरों के बच्चों के स्कूलों में अच्छी-खासी फीस देने पर मिलती है।

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वर्ष 2012 में मात्र 7 से 10 बच्चों में जलाई गई शिक्षा की यह लौ आज मशाल बन गई है। सन राइज पब्लिक स्कूल में आज 204 बच्चे नि:शुल्क शिक्षा हासिल कर रहे हैं। अपनी मेहनत और शिक्षक पिता केके शाकिर के नक्शे कदम पर चल रहे पोस्ट ग्रेजुएट राजेश शर्मा ने बताया कि जब वे शहर के मुख्य चौराहों, बाजारों में बच्चों को भीख मांगते देखते थे तो उनके मन में यह जिज्ञासा उठती थी कि इन बच्चों का भविष्य क्या होगा? कौन इनकी जिंदगी संवारेगा? फिर एक दिन ख्याल आया कि कोई क्यों, मैं क्यों नहीं। बस फिर क्या था झोपड़-पट्टी, बस्ती में रहने वाले बच्चों में ज्ञान का दीप जलाने के लिए मुहिम शुरू कर दी।

जैसा सोचा था, यह उससे भी मुश्किल था। अभिभावकों के लिए आमदनी का जरिया इन बच्चों को स्कूल तक लाने में कई दिन लग गए। पहले दिन दो बच्चे आए, फिर सात, दस और अब ऐसा लगता है कि उनका यह अभियान हर साल सफलता के पायदान पर अग्रसर होता जा रहा है। आज उनके स्कूल में 204 बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं। उन्हें उस दिन और खुशी होगी जब ये बच्चे समाज में बेहतर मुकाम हासिल करेंगे।

करियर काउंसिलिंग सेंटर से की थी शुरुआत

राजेश शर्मा ने बताया कि वर्ष 2006 में सबसे पहले जम्मू के रिहाड़ी इलाके में उन्होंने करियर काउंसिलिंग सेंटर शुरू किया। इस सेंटर में युवाओं को अपना करियर चुनने के लिए नि:शुल्क सलाह दी जाती थी। लेकिन उस दौरान भी उन्हें झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे बच्चे दिखते। जब कभी समय मिलता वह ऐसे बच्चों के अभिभावकों से मिलते, उन्हें टटोलते, उन्हें बच्चों के बेहतर भविष्य के बारे में बताते थे।

नैतिक मूल्यों और स्वच्छता का भी दिया जाता है ज्ञान

राजेश बताते है कि स्कूल जाते दूसरे बच्चों को देख इन बच्चों में अलग भावना पैदा न हो, इसके लिए इन्हें नि:शुल्क वर्दी भी दी जाती है। स्कूल की वर्दी इन्हें अनुशासन का पाठ भी पढ़ाती है, जो सभी को एक समान दिखाती है। प्रबंधन की ओर से इन बच्चों को कॉपी-पेंसिल, रबड़ सहित शिक्षा सामग्री भी दी जाती है ताकि अभिभावकों को इनकी पढ़ाई आर्थिक बोझ न लगे। उनका स्कूल दूसरे निजी स्कूलों से अलग नहीं है।

प्रतिभाओं को निखारने पर भी दिया जाता है जोर

वर्ष 2012 में अस्तित्व में आए सन राइज एजुकेशनल स्कूल में बच्चों की प्रतिभा को निखारने पर भी जोर दिया जाता है। खेल-कूद, डांसिंग, सिंगिंग आदि की क्लासेज ली जाती हैं। नर्सरी से चौथी कक्षा तक चलने वाले इस स्कूल में 8 शिक्षक पढ़ाते हैं और इन्हें वेतन भी दिया जाता है। स्कूल में सीसीटीवी के जरिये बच्चों की दी जा रही शिक्षा पर नजर रखी जाती है। स्कूल में कंप्यूटर लैब भी है, जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है।

राज्यपाल के सलाहकार भी कर चुके हैं सराहना

राज्यपाल के सलाहकार केके शर्मा भी राजेश शर्मा के कार्य की सराहना कर चुके हैं। राजेश ने बताया कि अभी तक यह स्कूल चौथी कक्षा तक चल रहा है। वह चाहते हैं कि इन बच्चों को वह 12 कक्षा तक ले जाएं। इसके लिए उन्होंने जम्मू विकास प्राधिकरण को 20 कनाल जमीन सस्ते दरों पर मुहैया कराने के लिए कहा है। बच्चे एनडीए, जेईई, जेईई एडवांस, नीट की परीक्षा में भविष्य आजमा सकें, इसके लिए भी उन्हें तैयार किया जाएगा।

लोग भी मदद करने के लिए आते हैं आगे

स्कूल की प्रतिष्ठा और राजेश की लगन को देखते हुए लोग भी बच्चों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। 4 कमरों वाला यह स्कूल छन्नी में किराए की इमारत में चल रहा। करीब 5500 वर्ग फुट में फैले इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की मदद के लिए कई संस्थाएं, लोग अपना सहयोग देते हैं। चिकित्सा शिविर समय-समय पर लगाएं जाते हैं, जिसमें बच्चों की सेहत का पूरा ख्याल रखा जाता है। इतना ही नहीं, अगर कोई छात्र काफी दिनों तक स्कूल नहीं आता तो स्कूल के टीचर उनके घर जाकर उसकी कुशलक्षेम पूछते हैं। 


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