Jammu Kashmir: पुलिस कार्रवाई पर भड़के पंच-सरपंचों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी, 24 को घोषित करेंगे अगली रणनीति
आल जम्मू-कश्मीर प्रचायत कांफ्रेंस के सदस्यों की 24 सितंबर को बैठक बुलाई गई है उसके बाद आंदोलन की अगली रणनीति घोषित की जाएगी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। पंचायतों के विकास के मुद्दे को लेकर जम्मू में प्रदर्शन कर रहे आल जम्मू-कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा समेत 13 पंचायत प्रतिनिधियों को हिरासत में लेने पर भड़के पंच-सरपंचों ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह दबाव बनाकर उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रख रहे थे। प्रशासन ने उनके साथ तो बरताव किया है, उसने उन्हें आंदोलन को और तेज करने को मजबूर कर दिया है। आल जम्मू-कश्मीर प्रचायत कांफ्रेंस के सदस्यों की 24 सितंबर को बैठक बुलाई गई है, उसके बाद आंदोलन की अगली रणनीति घोषित की जाएगी।यह तय है कि अपना अधिकार पाने के लिए वे अब आंदोलन को और तेज करेंगे।
ग्रामीण इलाकों में विकास न होने के मुद्दे पर पंचों, सरपंचों ने गत वीरवार को जम्मू के साथ श्रीनगर में प्रदर्शन कर विधायकों की तर्ज पर कम से कम 25 लाख रूपये का पंचायत विकास फंड स्थापित करने का मुद्दा उठाया था। जम्मू के डोगरा चौक के साथ श्रीनगर में प्रेस कालोनी इलाके में प्रदर्शन हुए। श्रीनगर में प्रदर्शनों का नेतृत्व पंचायत प्रतिनिधि रियाज अहमद बट, इरशाद अहमद बट, बशीर अहमद, रियाज अहमद, जावेद अहमद, मोहम्मद शरीफ बट, अफोराजा अख्तर, नजीर अहमद देदार व इनास उल इस्लाम कर रहे थे।
पंचायत प्रतिनिधियों का यह आरोप था कि पंचायतों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों के मसले हल नहीं हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में संविधान के 73वें संशोधन को प्रभावी बनाकर उन्होंने पंचायती राज को मजबूत बनाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पंचायतों को बैक टू विलेज अभियान से पहले महज दस लाख रूपये देने से लोगों के मसले हल नही होंगे। पंचायतों को कम से कम 25 लाख रूपये मिलने चाहिए।
गत वीरवार दोपहर बारह बजे के करीब जम्मू के डोगरा चौक के प्रदर्शनी मैदान के बाहर प्रदर्शन का रहे पंचों, सरंपचों केे खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अनिल शर्मा समेत 13 पंचायत प्रतिनिधियों को हिरासत में ले लिया। उन्हें शहर के नवाबाद पुलिस स्टेशन में ले जाया गया। करीब छह घंटों के बाद उन्हें शाम साढ़े छह बजे घर जाने की इजाजत दी गई।
आज शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए अनिल शर्मा ने कहा कि हमारा प्रदर्शन सांकेतिक था। सिर्फ 15 सरंपचों को ही बुलाया गया था। प्रदर्शन के दौरान कोरोना की रोकथाम संबंधी सभी निर्देशों का पालन किया जा रहा था। ऐसे में प्रशासन द्वारा अपने पक्ष रख रहे पंचायत प्रतिनिधियों को प्रताड़ित किया गया। अगर सरकार पंचायतों को मजबूत बनाने के प्रति गंभीर है तो 73वें संशोधन काे प्रभावी बनाने में क्या परेशानी है। सरकार सरपंचों को प्रतिमाह दस हजार व पंचों को प्रतिमाह 5 हजार रूपये का मानदेय देकर उनका मसला हल करे। मंहगाई के दौर में उन्हें 3 हजार व 1 हजार का मानदेय देना मजाक है। उन्होंने चेतावनी भरे स्वर में कहा कि प्रशासन के इस बरताव ने उन्हें आंदोलन को तेज करने पर मजबूर कर दिया है। अगला फैसला 24 सितंबर की बैठक में लिया जाएगा।