रफी अहमद बचपन से आतंकवाद की तरफ आर्किषत था, मानसिकता में थी जिहाद की जिद
जब वह 18 वर्ष का हुआ तो उसने अन्य युवकों के साथ मिल आतंकी बनने के लिए पाकिस्तान जाने का प्रयास किया था। वह जैश,लश्कर के लोगों के संपर्क में था।
श्रीनगर, नवीन नवाज। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में रविवार को चार दुर्दांत आतंकियों के साथ मारे गए पांचवें दहशतगर्द डॉ. रफी अहमद बट को बेशक कई लोग बोलेंगे वह एक दिन पुराना आतंकी था। वह बचपन से जिहादी मानसिकता वाला था। करीब 15 साल पहले उसे सुरक्षाबलों ने कुछ अन्य युवकों के साथ आतंकी बनने के लिए पाकिस्तान जाते पकड़ा था। सहृदयता के आधार पर उसे उसी समय रिहाकर परिजनों को सौंप दिया था।
कश्मीर विश्वविद्यालय के सोशियोलॉजी विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रो. डॉ. मोहम्मद रफी बट गत शुक्रवार से लापता थे। सुबह शोपियां में मुठभेड़ शुरू होने के बाद ही पता चला था कि वह आतंकी बन चुका है। बट के साथ मारे गए चार अन्य आतंकी सद्दाम, आदिल, बिलाल और तौसीफ कश्मीर में सक्रिय दुर्दांत आतंकियों में गिने जाते थे। चंदहामा, गांदरबल के संभ्रांत परिवार से संबंधित बट पर उसके पिता फैयाज अहमद बट दो दशकों से लगातार नजर रखे हुए थे। वह आसानी से उसे अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देते थे।
रफी बचपन से आतंकवाद की तरफ आर्किषत था। उसके दो चचेरे भाई 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकी बने थे। सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। वह उनसे खासा प्रभावित था। जब वह 18 वर्ष का हुआ तो उसने कुछ अन्य युवकों के साथ मिलकर आतंकी बनने के लिए पाकिस्तान जाने का प्रयास किया था। वह जैश और लश्कर के कुछ खास लोगों के साथ संपर्क में था।
खैर, पुलिस ने मुखिबरों से मिली खबर के आधार पर उसे व उसके साथियों को समय रहते पकड़ पाक जाने के उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया था। उसके बाद से फैयाज बट ने उसे आतंकवाद और जिहादी तत्वों से दूर रखने का हर संभव प्रयास किया। गत वर्ष जब बट ने कश्मीर विश्वविद्यालय में सोशियोलॉजी विभाग से नियमित पीएचडी की। उसके बाद उसे जब संविदा के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिली तो फैयाज अहमद बट ने सोचा कि चलो अब जिंदगी सुकून से कटेगी।
फैयाज को नहीं पता था कि उसका बेटा जिहादी तत्वों के संपर्क में है। गत शुक्रवार को डॉ. मोहम्मद रफी बट पत्नी और माता-पिता को बिना बताए घर से गायब हो गया। वह मिला, लेकिन मुर्दा। खैर, मरने से पूर्व उसने अपने पिता फोन जरूर किया। बेटे के लिए परेशान फैयाज के फोन की सुबह जब घंटी बजी तो पहले वह कुछ खिन्न हुए। जब उन्होंने दूसरी तरफ से अपने बेटे की आवाज सुनी तो खुश हो गए। यह खुशी उस समय काफूर हो गई जब रफी बट ने अपने पिता से अपनी कोताहियों और गुनाहों के लिए माफी मांगते हुए कहा कि मुझे माफ करना। मैं आपकी उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाया। मैंने आपसे विदा लेने के लिए फोन किया है। यह मेरी आपको अंतिम कॉल है, मैं खुदा से मिलने जा रहा हूं।
पुलिस का एक दस्ता फैयाज अहमद के पास पहुंच गया। उन्होंने कहा कि अगर वह अपने बेटे को बचाना चाहते हैं तो उसे सरेंडर के लिए मनाएं। शोपियां चलें। फैयाज अहमद बट ने पत्नी, अपनी बेटी और बहु को उसी समय तैयार किया ताकि वह बेटे को वापस ला सकें। श्रीनगर के बोटाकदल इलाके में जब वह पहुंचे तो खबर आ गई की अब कोई फायदा नहीं। रफी और उसके साथ अन्य आतंकी मारे गए हैं। बेटे की मौत से सन फैयाज ने कहा कि हालांकि पुलिस वाले मुझे गत रोज से ही कह रहे थे कि रफी आतंकी बन गया है। मेरा दिल नहीं मानता था। मैं उन्हें यकीन दिला रहा था कि मेरा बेटा जिहादी नहीं बन सकता, मैंने उसे आतंकवाद से दूर रखते हुए बड़ी मेहनत से पाला है। उसने वही रास्ता चुना जिससे मैंने रोका था।
आतंकियों और पत्थरबाजों को दफनाया
शोपियां में रविवार को सद्दाम पडर समेत मारे गए पांच आतंकियों और इस दौरान भड़की हिंसा में मारे गए पत्थरबाजों को देर शाम उनके पैतृक कब्रिस्तानों में दफना दिया गया।जानकारी के अनुसार, हेफ शोपियां में आतंकी बिलाल और सद्दाम का नमाज ए जनाजा पांच से छह बार अदा किया गया। दोनों के जनाजे में आतंकियों ने हवा में गोलियां चलाई और अपने मृत साथियों को सलामी दी।
आतंकी आदिल को मलिकगुंड स्थित कब्रिस्तान में दफनाने के मौके पर तीन आतंकी आए। उन्होंने जिहादी नारे लगाती भीड़ के बीच हवा में गोलियां दागकर उसे सलामी दी। आतंकी तौसीफ के जनाजे में भी दो आतंकी देखे गए। हालांकि एक दिन पहले ही आतंकी बने प्रो. रफी बट के जनाजे में आतंकी नजर नहीं आए, लेकिन जनाजे में सैकड़ों लोग शामिल हुए।