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Kashmir: आतंकवाद से त्रस्त दक्षिण कश्मीर में दिल को दिल से जोड़ रहा रेडियो राब्ता

यह रेडियो स्टेशन स्थानीय युवाओं की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए शुरु किया है। अभी तीन दिन हुए हैं लेकिन हमें जो फीडबैक विभिन्न वर्गाें से प्राप्त हुआ है वह काफी उत्साहवर्धक है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 02:47 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 12:09 AM (IST)
Kashmir: आतंकवाद से त्रस्त दक्षिण कश्मीर में दिल को दिल से जोड़ रहा रेडियो राब्ता
Kashmir: आतंकवाद से त्रस्त दक्षिण कश्मीर में दिल को दिल से जोड़ रहा रेडियो राब्ता

श्रीनगर, नवीन नवाज। आप सुन रह हैं रेडियो राब्ता, दिल से दिल तक। फैयाज मोहम्मद की फरमाइश पर हम उन्हें नुसरत फतेह अली खान की आवाज में बुल्ले शाह का कलाम "तेरे इश्क नचाया कर थैया थैया" सुनाने जा रहे हैं। इसके बाद नुसरत अली की आवाज गूंजने लगती है। रेडियो राब्ता को शुरु हुए महज तीन दिन हुए हैं। यह स्थानीय लोगों में बढ़ी तेजी के साथ लोकप्रिय हो रहा है। सेना का यह कश्मीर में पहला कम्युनिटी रेडियो स्टेशन है, जिसे स्थानीय युवाओं को ध्यान में रखते हुए शुरु किया गया है।गाना समाप्त होता है तो उद्घााेषक की आवाज सुनायी देती है। वह एक श्रोता नाजिया के सवाल के जवाब में बता रहा है कि वह 12वीं पास करने के बाद बाद कौन-कौन से विकल्प अपना सकती है। 

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घाटी में स्थानीय युवाओं को जिहादी तत्वों के दुष्प्रचार से बचा, उन्हें आतंकवाद की राह पर पर चलने से रोकने की अपनी मुहिम को कामयाब बनाने के लिए सेना ने अब रोडियो को अपना माध्यम बनाया है। स्थानीय युवाओं के मनोरंजन, करियर काउंसलिंग व उनके विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए सेना ने अनंतनाग में अपना पहला रेडियो स्टेशन शुरु किया है। हाई ग्राउंड अनंतनाग से संचालित होने वाले इस कम्युनिटी रेडियो स्टेशन को शुरु करने से की योजना विभिन्न समाज सेवी संगठनों, स्थानीय गणमान्य नागरिकों और आतंकियों की चंगुल से मुक्त कराए गए नौजवानों के साथ सेना के विभिन्न अधिकारियों की बातचीत से निकले एक निष्कर्ष के आधार पर बनी।

एक वरिष्ठ सैन्याधिकारी ने बताया कि हमने यह रेडियो स्टेशन स्थानीय युवाओं की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए शुरु किया है। अभी तीन दिन हुए हैं, लेकिन हमें जो फीडबैक विभिन्न वर्गाें से प्राप्त हुआ है, वह काफी उत्साहवर्धक है। समाज का हर वर्ग जो रेडियो से जुड़ा है, ने इसे सराहा है। हमें उम्मीद नहीं थी कि लोग इसे यूं हाथों हाथ लेंगे। 

रेडियो के जरिए युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाने का प्रयास: कश्मीर घाटी में बीते चार सालों से दक्षिण कश्मीर में ही आतंकी हिंसा का केंद्र बना हुआ है।अनंतनाग,कुलगाम, शोपियां और पुलवामा में ही बीते चार सालों में सबसे ज्यादा स्थानीय लड़के आतंकियों के दुष्प्रचार से गुमराह हो, आतंकवाद के रास्ते पर निकले है। केंद्र सरकार, प्रदेश प्रशासन और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों के बावजूद स्थानीय लड़कों की आतंकी संगठनों में भर्ती नहीं रुक रही है। सभी एजेंसियां स्थानीय युवाओं को जिहादियों की चंगुल से बचाए रखने के लिए उनके साथ संवाद-सपंर्क-समन्वय की रणनीति पर काम करते हुए, उनकी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाने में जुटी हुई हैं।

पूरी तरह युवाओं पर केंद्रित है यह कम्युनिटी रेडियो: रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि सामुदायिक रेडियो जिसे हम कम्युनिटी रेडियो स्टेशन भी कहते हैं, पूरी तरह युवाओं पर केंद्रित है। फिलहाल, इसका प्रसारण उर्दू और कश्मीरी भाषा तक सीमित रखा गया है। इसमें हम गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम ज्यादा प्रसारित कर रहे हैं। इसमें सूफी संगीत, हिंदी-पंजाबी गीत, कश्मीरी संगीत, गजलें भी प्रसारित कर रहे हैं। इसके अलावा हम स्थानीय लोगों के लिए प्रासंगिक मुद्दों को भी इसमें उठा रहे हैं। आने वाले दिनों में इसके कार्यक्रमों और उनके कंटेंट का और ज्यादा विस्तार किया जाएगा।

रेडियो के जरिए कश्मीरी युवाओं की आवाज दुनिया तक पहुंचाने का प्रयास: रेडियो राब्ता- दिल से दिल तक जो नाम रखा गया है, वह इसकी मंजिल है। यह एक तरह से आतंकवाद और जिहादी तत्वों से त्रस्त कश्मीरी नौजवानों की भावनाओं को हीलिंग टच देने, उनके दिल की आवाज को दुनिया तक पहुंचाने का प्रयास है। इस तरह के सामुदायिक रेडियो स्टेशन वादी के अन्य जिलाें में भी शुरु किए जाने की योजना है। अगले चरण में हम शोपिया में इसे शुरु करेंगे। जहां भी इस रेडियो स्टेशन को शुरु किया जाएगा, वहां इसके कार्यक्रमों की रुपरेखा स्थानीय परिवेश के मुताबिक ही होगा। सैन्य अधिकारी ने बताया कि वादी में सेना विभिन्न इलाकों में ऑप्रेशन सद्भावना के तहत खेल प्रतियोगिता, स्वास्थ्य शिविर, रोजगार मेले आयोजित करने के अलावा दूरदराज के इलाकों में ग्रामीणों के लिए उनकी आवश्यक्तानुरुप मौलिक सुविधाओं को जुटाने का भी प्रयास करती है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में स्टेशनरी, कंप्यूटर इत्यादि भी उपलब्ध कराती है। ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए वोकेशनल सेंटर भी चला रही है। सामुदायिक रेडियाे स्टेशन इसी कड़ी का हिस्सा है, क्योंकि जवान और अवाम-अमन है मुकाम, यही हमारा आदर्श वाक्य है।

लोगों में अच्छा प्रभाव डाल रहा रेडियो राब्ता: अनंतनाग के युवा समाज सेवी सनम ने कहा कि सामुदायिक रेडियो में जिस तरीके से कश्मीर में कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं,उससे लोगों में अच्छा प्रभाव पड़ा है। वीरवार को मैं अशमुकाम में था, वहां मैंने कुछ लोगों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इसमें स्थानीय बागवानों, किसानों से जुड़े मामलों पर भी चर्चा होनी चाहिए। उनकी यह अपेक्षा सेना की इस पहल की कामयाबी का पैगाम सुनाती है।


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