जम्मू कश्मीर में रेडिएशन आॅफ होप ने कैंसर रोगियों का दर्द भी जाना आैर दवा भी दी
कम सुविधाएं और महंगा इलाज। रोग के बारे में जानकारी का अभाव। कैंसर रोग की स्थिति जम्मू कश्मीर में कुछ ऐसी ही है। कैंसर मतलब मरीजों के लिए चंद वर्ष की जिंदगी।
जम्मू, [रोहित जंडियाल]। कम सुविधाएं और महंगा इलाज। रोग के बारे में जानकारी का अभाव। कैंसर रोग की स्थिति जम्मू कश्मीर में कुछ ऐसी ही है। कैंसर मतलब मरीजों के लिए चंद वर्ष की जिंदगी। सरकार ने योजनाएं तो बनाई मगर लोगों काे लाभ कम ही हुआ। कइयों को इलाज के लिए बहुत कुछ गंवाना पड़ा। परंत कुछ वर्ष पहले ऐसे मरीजों की सहायता के लिए आगे आए कुछ युवा डाक्टर। उन्होंने अपना एक ट्रस्ट बनाया और उसके माध्यम से न सिर्फ यहां के जरूरतमंद मरीजों का इलाज कर रहे हैं बल्कि कइयों की आर्थिक सहायता भी कर रहे हैं।
साल 2010 में कैंसर विशेषज्ञ डा. दीपक अबरोल ने एलबीएन रेडिएशन आफ होप नाम से संस्था बनाई। इसका मकसद दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में स्क्रीनिंग कर उनमें कैंसर का पता लगाने, उनके निशुल्क टेस्ट और इलाज करवाना था। हालांकि यह सब आसान नहीं था। परंतु दस फरवरी 2010 को उन्होंने जम्मू में पहला कैंप आयोजित कर अपने मजबूत इरादों को बता दिया। इसमें जम्मू के कई व्यापारियों, नर्सिंग होम मालिकों और सिविल सोसायटी के सदस्यों को बुलाया। सभी ने राज्य में कैंसर के प्रति जागरूकता अभियान के लिए अपना पूरा सहयोग करने को कहा। इसके बाद ट्रस्ट के सदस्यों ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। डा. दीपक के साथ कैंसर विशेषज्ञ डा. राहुल गुप्ता, डा. मीनु गुप्ता, डा. अंगुराना, डा. अमित सूरी, डा. ज्योत्सना सहित देश विदेश से कई डाक्टर जुड़े।
कैंसर मुक्त भारत अभियान चलाया
ट्रस्ट ने साल 2015 में राज्य में स्वच्छ भारत, कैंसर मुक्त भारत अभियान चलाया। इसमें श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी का सहयोग लिया। इसके तहत लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक करने के लिए कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए। इसी साल कैंसर के मरीजों में खून की कमी को दूर करने के लिए ब्लड कैंप भी आयोजित किए। ट्रस्ट संपन्न लोगों को कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए उन्हें गोद लेने के लिए भी प्रेरित करता है।
कर्क विजयन समूह बनाया
दो साल पहले ट्रस्ट एक कदम और बढ़ा और इसने कैंसर के मरीजों का कर्क विजयन नाम का समूह बनाया। इसमें कैंसर विजेता लोग उन मरीजों को जीने की राह दिखाते हैं जो कि इस समय कैंसर से पीड़ित हैं। मरीजों में जीने का जज्बा पैदा किया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि कैंसर का इलाज पूरी तरह से संभव है और इससे मरीज उनकी तरह ठभ्क होकर पहले की तरह ही स्वस्थ्य जिंदगी जी सकते हैं। डा. दीपक अबरोल का कहना है कि कई मरीज ऐसे हैं जो कि एक दो बार रेडिएशन करवा कर पिर इलाज के लिए नहीं आते हैं। मगर ऐसे मरीजों को जागरूक किया जा रहा है। अब इसका परिणाम भी सामने आ रहा है।
कइयों की आर्थिक सहायता की
ट्रस्ट ने अब तक पचास से अधिक मरीजों की आर्थिक सहायता भी की है। उन्हें लाखों रुपयों की दवाइयां दी हैं। हर साल ट्रस्ट के माध्यम से फंड जुटाकर जरूरतमंद मरीजों की सहायता की जाती है। पिछले साल दो बार कार्यक्रम आयोजित कर ऐसे मरीजों को नकद राशि और दवाइयां दी गई थी। ट्रस्ट से जुड़े डाक्टरों व अन्य का कहना है कि उनके पा जो भी मरीज आता है, उसकी सहायता करने का पूरा प्रयास किया जाता है।
विदेशों से भी जुड़े डाक्टर
ट्रस्ट की मेहनत उस समय रंग लाई जब कुछ महीने पूर्व कैंसर पर लोगों को जागरूक करने के लिए चौबीस घंटे का लाइव चर्चा हुई। इसे कई सोशल साइट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया गया। विदेशों में बैठे डाक्टरों ने भी इसमें भाग लिया। बाद में अमेरिका से डा. पूर्णिमा उपाध्याय ने जम्मू में आकर भ्ज्ञी लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक किया।
हर साल पांच से छह हजार कैंसर मरीजों की पहचान होती है
राज्य में हर साल औसतन पांच से छह हजार कैंसर के मरीज सामने आते हैं। इनमें दो हजार के करीब जम्मू संभाग और तीन से चार हजार कश्मीर संभाग में। कैंसर से हर साल सैकड़ों लोगों की मौत भी हो जाती है। डाक्टरों का कहना है कि इस अभियान का लाभ यह हुआ कि अब पहले से अधिक लोग अस्पतालों में जांच के लिए आते हैं।