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Kashmiri Pandit: सैटेलाइट टाउनशिप के बिना संभव नहीं पंडितों की कश्मीर वापसी

ऐसे कई गरीब परिवार है जो अपने बच्चों को दसवीं से आगे पढ़ा नहीं पा रहे क्योंकि उनके पास कामकाज का कोई साधन नहीं। ऐसे विस्थापित परिवारों के लिए सरकार को कम से कम पांच हजार क्लास-फोर के पद सृजित करने चाहिए ताकि वो अपने परिवारों का पोषण कर सके।

By Edited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 08:26 AM (IST)
Kashmiri Pandit: सैटेलाइट टाउनशिप के बिना संभव नहीं पंडितों की कश्मीर वापसी
बेरोजगारी की समस्या भी खत्म होगी और विस्थापितों के घर वापसी का रास्ता भी खुलेगा।

जागरण संवाददाता, जम्मू : जगटी टेनामेंट कमेटी व सोन कश्मीर फ्रंट जेएंडके ने कहा है कि जब तक सरकार कश्मीर में अलग से सैटेलाइट टाउनशिप नहीं बनाएगी, विस्थापित कश्मीरी पंडितों की घर वापसी संभव नहीं। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के इन संगठनों का कहना है कि सैटेलाइट टाउनशिप बनाकर सरकार 35 हजार कश्मीरी पंडितों का घाटी में पुनर्वास कर सकती है, लेकिन बार-बार आग्रह के बावजूद सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही।

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इन विस्थापित कश्मीरी पंडित संगठनों के अनुसार सैटेलाइट टाउनशिप व विस्थापित युवाओं को सरकारी नौकरी देकर ही पंडितों की घर वापसी संभव है। अपनी इन मांगों को लेकर पिछले 105 दिनों से जगटी में धरने पर बैठे इन विस्थापित पंडितों ने बारामूला, श्रीनगर व अनंतनाग में सैटेलाइट टाउनशिप बनाकर पंडितों की घर वापसी कराने की मांग की है।

कश्मीरी युवाओं को सरकारी नौकरियां देने की मांग करते हुए फ्रंट के प्रधान शादी लाल पंडिता ने कहा है कि विस्थापित युवा पुलिस व अन्य सुरक्षाबलों में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहते है। इसके लिए पुलिस विभाग को जगटी व अन्य विस्थापित कैंपों में विशेष भर्ती रैलियां आयोजित करनी चाहिए। इससे समुदाय में बेरोजगारी की समस्या भी खत्म होगी और विस्थापितों के घर वापसी का रास्ता भी खुलेगा।

पंडिता के अनुसार समुदाय में ऐसे कई गरीब परिवार है जो अपने बच्चों को दसवीं से आगे पढ़ा नहीं पा रहे क्योंकि उनके पास कामकाज का कोई साधन नहीं। ऐसे विस्थापित परिवारों के लिए सरकार को कम से कम पांच हजार क्लास-फोर के पद सृजित करने चाहिए ताकि वो अपने परिवारों का पोषण कर सके। विस्थापित कश्मीरी पंडितों को सरकार की ओर से मिलने वाली राहत राशि को 13 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये करने की मांग करते हुए पंडिता ने कहा कि 2014 में यह राशि तय हुई थी और तब से लेकर अब तक महंगाई कई गुणा बढ़ गई है लेकिन राहत राशि नहीं बढ़ी।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया तो आने वाले दिनों में विस्थापित कश्मीरी पंडित जगटी से बाहर निकल कर जम्मू की मुख्य सड़कों पर धरनें देंगे।


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