Pulwama Terror Attack Anniversary: शहीद जयमल ने देश और यार पर वार दी जिंदगी
13 फरवरी 2019 की शाम जम्मू में केंद्रीय रिजर्व पुलिस (सीआरपीएफ) की 76वीं बटालियन के ट्रांजिट कैंप से अगली सुबह काफिले को श्रीनगर भेजने की तैयारी चल रही थी।
जम्मू, विवेक सिंह। पुलवामा हमले के शहीद हेड कांस्टेबल जयमल सिंह ने देश और दोस्त हेड कांस्टेबल जसवंत सिंह पर अपनी जिंदगी वार दी। जसवंत को बेटे की शादी के लिए भेज कर वह देश की खातिर कुर्बान हो गए। अब जसवंत अपनी जिंदगी को बिछ़ुड़े दोस्त का तोहफा बताते हैं। वह आजीवन उसके ऋणी रहेंगे। पुलवामा हमले का एक साल पूरा होने पर जसवंत की आंखें नम हैं।
13 फरवरी 2019 की शाम जम्मू में केंद्रीय रिजर्व पुलिस (सीआरपीएफ) की 76वीं बटालियन के ट्रांजिट कैंप से अगली सुबह काफिले को श्रीनगर भेजने की तैयारी चल रही थी। सात दिन से खराब मौसम के बाद जवान वहीं फंसे थे। काफिले की एक बस को ड्राइवर हेडकांस्टेबल जसवंत सिंह लेकर रवाना होना था। वहां से लौटते ही बेटे की शादी के लिए घर जाने की योजना थी।
इसी बीच उनके दोस्त हेड कांस्टेबल (ड्राइवर) जयमल सिंह ने यह कहकर जसवंत सिंह की जगह श्रीनगर जाने का फैसला किया कि आप बेटे की शादी के लिए मोगा (पंजाब) जाओ, मैं श्रीनगर होकर आता हूं।
रूंधे गले से जसवंत सिंह बताते हैं कि जयमल ने कहा था कि अगर फिर मौसम खराब हुआ तो आप कश्मीर में फंस जाओगे और बेटे की शादी पर पंजाब समय पर पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। उसी दिन पुलवामा धमाके में दोस्त को पीछे छोड़ जयमल हमेशा के लिए चले गए। सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में शहीदों की याद में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में जसवंत सिंह ने जागरण को बताया कि यह जिदंगी दोस्त की देन है। अगर मैं बस लेकर गया होता तो आज जयमल जिंदा होता। साथी के इस ऋण को मैं आजीवन उतार नहीं सकता। पुलवामा हमले में इस बटालियन के पांच जवानों ने भी शहादत दी थी।
स्वेच्छा से आए थे जयमलः बटालियन के कमान अधिकारी कमांडेंट नीरज पांडे ने जागरण को बताया कि जयमल सिंह बहुत बहादुर थे। उन्होंने स्वेच्छा से हेडकांस्टेल जसवंत की जगह बस का चालक बनकर जाने की पेशकश की थी। मौसम खराब था, ऐसे में जयमल ने कहा कि मैं श्रीनगर में फंस भी गया तो कुछ नहीं होगा, जसवंत को छुट्टी पर जाना है। उन्होंने कहा कि मुङो अपनी बटालियन के शहीदों पर फक्र है। पूरा देश शहीदों को नमन कर रहा है।
40 जवानों ने पाई थी शहादत..ः फरवरी 2019 के पहले सप्ताह में भारी बारिश के कारण जम्मू-श्रीनगर हाईवे एक सप्ताह बंद रहा था। 13 फरवरी को दोपहर बाद राजमार्ग खुलने के बाद सीआरपीएफ ने घरों से लौटे जवानों को ट्रांजिट कैंप से अगले दिन तड़के भेजने का फैसला किया। सीआरपीएफ जवान 78 वाहनों में सवार होकर निकले थे। सुबह सवा तीन बजे स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर अपनाते हुए काफिले के साथ रोड ओपनिंग पार्टियों को रवाना किया गया। मंजिल से करीब 30 किलोमीटर पहले काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ। इसमें 40 जवानों ने शहादत पाई थी।