सागर-मदनी पर रिहाई के बाद लगा पीएसए, वीरी घर में किए नजरबंद, उमर-महबूबा भी घर हो सकते हैं शिफ्ट
एहतियातन हिरासत में रखे गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी रिहा कर उनके ही घरों में नजरबंद रखने के विकल्प पर विचार शुरू कर दिया है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में करीब छह महीनों से एहतियातन हिरासत में रखे गए नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर, पीडीपी नेता व महबूबा मुफ्ती के मामा सरताज मदनी और नेशनल कांफ्रेंस के ही पूर्व एमएलसी बशीर वीरी को कुछ ही घंटों की रिहाई मिली। श्रीनगर में सबजेल एमएलए हॉस्टल में बंद इन तीनों नेताओं को दोपहर बाद प्रशासन ने रिहा किया परंतु उसके कुछ की घंटों बाद फिर से जेल में डाल दिया गया। नेकां नेता अली मोहम्मद सागर और सरताज मदनी को पीएसए के तहत फिर से हिरासत में ले लिया गया जबकि बशीर वीरी को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया।
वहीं केंद्र शासित जम्मू कश्मीर राज्य में लगातार सुधरते हालात के मद्देनजर प्रशासन ने बीते छह माह से एहतियातन हिरासत में रखे गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी रिहा कर, उनके ही घरों में नजरबंद रखने के विकल्प पर विचार शुरू कर दिया है। गत बुधवार को प्रशासन ने पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा इकाई के प्रधान वही दुर्रहमान पारा को सबजेल एमएलए हॉस्टल से रिहा कर, घरों में नजरबंद किया गया है।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू किए जाने के मद्देनजर प्रशासन ने एहतियात के तौर पर जम्मू कश्मीर में तीन पूर्व मुख्यमत्रियों समेत मुख्यधारा के विभिन्न राजनीतिक दलों के सभी प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं को पांच अगस्त 2019 की तड़के ही हिरासत में लिया था। उमर अब्दुल्ला को फिलहाल गुपकार मार्ग पर एक सरकारी बंगले में रखा गया है जबकि महबूबा मुफ्ती काे मौलाना आजाद मार्ग पर ट्रांसपोर्ट लेन में स्थित एक सरकारी बंगले में रखा गया है। डा फारुक अब्दुल्ला को उनके घर में ही पीएसए के तहत बंदी बनाया गया है। उमर और महबूबा को धारा 151 और 107 के तहत बंदी बनाया गया है। इन दोनों धाराओं के तहत किसी भी व्यक्ति को अधिकतम एक साल तक ही एहतियातन हिरासत में रखा जा सकता है। धारा 107 के तहत हिरासत की अवधी छह माह ही हो सकती है।
संबधित अधिकारियों ने बताया कि छह माह से उमर और महबूबा हिरासत में हैं। हालात पहले से बेहतर हो चुके हैं। हिरासत में लिए गए अधिकांश नेताओं व कार्यकर्ताओं को रिहा किया जा चुका है। ऐसे हालात में जम्मू कश्मीर की स्थिति को पूरी तरह सामान्य बनाने और किसी कानूनी पेंच में फंसने से बचने के लिए प्रशासन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को एहतियातन हिरासत को समाप्त कर सकता है। वह इन दोनों को रिहा कर भेजे सकता है और वहीं पर इन्हें नजरबंद रखने का विकल्प अपना सकता है। सूत्रों की मानें तो संबधित सुरक्षा एजेंसियों और राज्य गृह विभाग के साथ विचार विमर्श के बाद ही संबधित प्रशाासन इस संदर्भ में अंतिम फैसला लेगा।