दूर नहीं हुई दुश्वारी, औने-पौने दाम धान बेचने की मजबूरी
जागरण संवाददाता, जम्मू : धान के उचित दाम दिलाने के लिए जम्मू क्षेत्र में खोले गए खरीद केंद्रों
जागरण संवाददाता, जम्मू : धान के उचित दाम दिलाने के लिए जम्मू क्षेत्र में खोले गए खरीद केंद्रों पर किसानों की राहें आसान नहीं बन पा रही हैं। केंद्रों पर आने वाले किसानों को अभी कई दुश्वारी का सामना करना पड़ रहा है। कहीं धान खरीद की गति धीमी है तो कहीं बोरियां उपलब्ध नहीं। अटकी पड़ी अदायगी से भी किसान चिंतित हैं। इसी वजह से पिछले साल के मुकाबले खरीद धीमी है। पिछले साल जम्मू जिले में 98000 क्विंटल धान खरीदा गया था। इस बार हाल यह है कि बीत रहे सीजन में भी अभी तक 29000 क्विंटल ही खरीद हुई है। किसानों का कहना है कि अगर केंद्रों पर सुनवाई हो तो यहीं धान बेचना पंसद करेंगे। मगर धान की जांच से लेकर बेचने तक जगह-जगह परेशानी होती है। इन झमेलों से बचने के लिए किसान कम दाम पर व्यापारियों को धान बेचने को मजबूर हैं। पिछले दिनों जम्मू कश्मीर किसान सलाहकार बोर्ड के सदस्यों की टीम ने भी इन केंद्रों का दौरा कर किसानों की दिक्कतों को जाना। -जम्मू संभाग में 26 केंद्र
किसानों को प्रति क्विंटल ग्रेड धान के 1770 रुपये प्राप्त हों, इसके लिए जम्मू संभाग में कुल 26 धान खरीद केंद्र खोले गए हैं। इनमें 19 जम्मू जिले में, 6 कठुआ जिले में व एक सांबा जिले में हैं।
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-धान सफाई के मनमाने दाम
सबसे बड़ी दिक्कत धान की सफाई को लेकर है। खरीद केंद्रों पर धान की सफाई करने वाले मनमाने दाम वसूल रहे हैं। प्रति क्विंटल किसानों से 70 रुपये तक ऐंठे जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर किसान 70 रुपये देगा तो इतने दाम अपने आप घट गए। सरकार को चाहिए कि धान सफाई के लिए कम से कम दाम तो निश्चित होने चाहिए। कहीं चालीस रुपये ले रहे हैं तो कहीं 70 रुपये तक मांगे जा रहे हैं। कई केंद्रों पर अभी भी बोरियां नहीं हैं। इसका खमियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि जब बोरियां नहीं होंगी तो माल की भराई कैसे होगी। ऐसे में केंद्र पर तैनात अधिकारी ज्यादा धान खरीदने को राजी नहीं होते। -समय पर भुगतान भी नहीं
सौहांजना पंचायत के पूर्व सरपंच कुलभूषण खजूरिया का कहना है कि धान बेचने वाले किसानों को बाद में अपनी अदायगी के लिए परेशान होना पड़ता है। कारण यह कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया अपनी जिम्मेदारी बखूबी नहीं निभा पा रहा। यहां आने वाले किसानों से स्पष्ट तौर पर पहले ही कहा जाए कि वे अपने बैंक का नंबर व एफसीआइ कोड की स्प्ष्ट कॉपी साथ लेकर आएं। मगर धान बेच दिया जाता है लेकिन खाता नंबर या एफसीआइ नंबर स्पष्ट नहीं होता। ऐसे में बाद में अदायगी रुक जाती है। -समय पर खाली नहीं होता गोदाम
किसान शाम ¨सह का कहना है कि जितना धान इन केंद्रों पर खरीदा जाता है, तुरंत उठा लेना चाहिए ताकि बाकी आने वाले किसानों के माल के लिए जगह बन सके। मगर ऐसा हो नहीं रहा और किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। स्टोर में पहले से ही धान पड़ा होने के कारण किसानों को कई दिन तक इंतजार करना पड़ता है। -अधिकारियों की करनी पड़ती है चापलूसी
कुछ किसानों का कहना है कि केंद्रों पर अधिकारियों की चापलूसी करनी पड़ती है। यहां तक कि स्थायी तौर पर अपना धान टिकाने के लिए भी जगह नहीं मिलती। किसानों का कहना है कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए कि धान खेतों से ही निकलते समय बिक जाए।
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-धान खरीद केंद्रों पर पूरी नजर
चीफ एग्रीकल्चर ऑफिसर नरेंद्र मिश्रा का कहना है कि इन केंद्रों पर पूरी नजर रखी गई है। पहले से बहुत ज्यादा सुधार हुआ है। किसान इन केंद्रों पर पहुंच रहे हैं और धान बेच रहे हैं। अगर कहीं सुविधाओं की कमी है तो उसे दूर करने में हम लोग जुटे हुए हैं। किसानों को भी चाहिए कि वे पूरी तरह से जागरूक रहें। केंद्रों पर किसान सूखे और तय मानक के अनुसार ही धान लेकर लेकर आएं। अगर तय मानकों से धान की गुणवत्ता मेल नहीं खाती तो दिक्कतें होंगी। इसलिए किसानों का भी जागरूक रहना बेहद जरूरी है।